राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल सत्ता में काबिज रहने के बाद भाजपा के अधिकांश नेता अब राजनीति के दांव-पेंच में कांग्रेस के आगे पिछड़ते नजर आ रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा को बहुमत होने के बाद भी राजनांदगांव वन मंडल के जिला लघु वनोपज सहकारी समिति के अध्यक्ष पद पर कांग्रेस का कब्जा हो गया.
कांग्रेस ने अल्पमत के बाद भी ऐसी परिस्थति निर्मित कर दी कि भाजपा से अध्यक्ष पद के लिए चाह रखने वाली छुरिया विकासखंड के अछोली निवासी ब्रम्हानी चंद्राकर को प्रस्तावक और समर्थक भी नहीं मिल पाया. भाजपा के तमाम नेताओं की निष्क्रियता से नाराज ब्रम्हानी चंद्राकार के पार्टी से इस्तीफे की पेशकश किए जाने की खबर है.
लघुवनोपज सहकारी समिति में भाजपा के 9 सदस्य
बता दें कि जिले के राजनांदगांव वनमंडल अंतर्गत लघुवनोपज सहकारी समिति के 9 सदस्य हैं. इन सदस्यों में करीब छह सदस्य भाजपा के होने के चलते भाजपा की सत्ता के दौरान मानपुर नेडगांव प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के धरमू भुआर्य अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. इस बार धरमू भुआर्य के नेडगांव मानपुर के सरपंच निर्वाचित होने के बाद उन्होंने लघु वनोपज सहकारी समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, लिहाजा अध्यक्ष के लिए नए निर्वाचन की स्थिति बनी.
भाजपा के नेताओं ने ही नहीं की अपनी पार्टी की मदद
जानकारी के मुताबिक, हाल ही में 30 जुलाई 2020 को अध्यक्ष पद का चुनाव होना था. जिसके लिए आसरा प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति की ब्रम्हानी चंद्राकर अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी में थी. बताया जा रहा है कि भाजपा संगठन के कई नेताओं से उन्होंने इस चुनाव के लिए मदद मांगी. चुनाव में अध्यक्ष की दावेदारी की तैयारी भी की, लेकिन बीजेपी के किसी नेता ने उनकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया.
भाजपा के ही सदस्य प्रस्तावक समर्थक बनने के लिए तैयार नहीं हुए
राजनांदगांव जिला मुख्यालय में वन मंडल कार्यालय में संपन्न हुए चुनाव में ब्रम्हानी चंद्राकर पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई. भाजपा का कोई सदस्य ब्रम्हानी के प्रस्तावक या समर्थक बनने के लिए तैयार नहीं हुआ. बताया जा रहा है कि अध्यक्ष पद हथियाने के लिए कांग्रेस के रमेश खंडेलवाल ने तगड़ी मोर्चाबंदी की थी और वे अपनी रणनीति में भी सफल हो गए.
मैदानी स्तर पर सक्रियता दिखाते तो निश्चित तौर पर सफलता हाथ लगती
गौरतलब है कि जिला, जनपद पंचायत के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद भाजपाईयों में एक नए जोश का संचार हुआ था. इसके बाद से कोराना काल में भी भाजपा संगठन की गतिविधियां बनी हुई हैं. इस बीच हाल ही में जिला भाजपाध्यक्ष मधुसूदन यादव शारीरिक तकलीफों के शिकार हो गए. हालांकि मोबइल पर लगातार उनका संपर्क बना हुआ है. माना जा रहा है कि जिला लघु वनोपज सहकारी समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव में जिले के बाकी नेता मैदानी स्तर पर सक्रियता दिखाते, तो निश्चित तौर पर रिजल्ट कुछ और होता. लेकिन उन्होंने भी मधूसूदन यादव जैसी 'अस्वस्थता' की वजह से ब्रम्हानी चंद्राकर को उनके हाल पर छोड़ दिया और आखिरकार भाजपा के कब्जे वाली जिला लघुवनोपज के अध्यक्ष की कुर्सी हाथ से चली गई.