ETV Bharat / state

SPECIAL: राजनांदगांव का 'भारत छोड़ो आंदोलन' कनेक्शन, मजदूरों की रही अहम भूमिका

भारत छोड़ो आंदोलन में राजनांगांव के मजदूरों की अहम भूमिका है. आंदोलन को मजदूरों का समर्थन मिलने के बाद ठाकुर लोटन सिंह ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने इस आंदोलन के जरिए पूरे देश में बड़ा संदेश दिया. आंदोलन की रूपरेखा दुर्ग से तय होती थी और फिर राजनांदगांव जिले में मजदूरों का समर्थन मिलने से आंदोलन सफल होता रहा.

rajnandgaon
राजनांदगांव का भारत छोड़ो आंदोलन कनेक्शन
author img

By

Published : Aug 8, 2020, 1:31 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 4:01 PM IST

राजनांदगांव : देश की आजादी में भारत छोड़ो आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस आंदोलन के जरिए देशभर में अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. इतिहास के पन्नों को खंगाले तो राजनांदगांव की भूमिका भी अहम थी. सबसे ज्यादा भारत छोड़ो आंदोलन को बल राजनांदगांव जिले से मिला. क्योंकि यहां पर चल रहे मजदूर आंदोलन की बड़ी संख्या और लोगों का समर्थन देशव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ चुका था.

राजनांदगांव का भारत छोड़ो आंदोलन कनेक्शन

भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था, जिसने अंग्रेजों को हिंदुस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया. दरअसल, देश के स्वतंत्रता संग्राम में आठ अगस्त के दिन का एक खास महत्व है. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और 8 अगस्त 1942 को उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी.

बीएनसी मिल के मजदूर आंदोलन से जुड़ गए

इस आंदोलन में राजनांदगांव जिले की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस वक्त राजनांदगांव में संचालित बीएनसी के मजदूर हड़ताल पर थे, इनकी संख्या काफी अधिक थी. मजदूर लगातार पुरानी गंज मंडी में आंदोलन कर रहे थे. बड़ी संख्या में लगातार इकट्ठा भी होते थे ऐसी स्थिति में राष्ट्रव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन के आव्हान के बाद बीएनसी मिल के मजदूर भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ गए.

पढ़ें : सप्रे और दानी स्कूल मैदान में सौंदर्यीकरण पर रोक लगाने की अर्जी खारिज, महापौर ने जताई खुशी

अंग्रेजों से लड़ने जुटानी पड़ रही थी ताकत
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कन्हैया लाल अग्रवाल बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए काफी ताकत जुटानी पड़ रही थी. लोग जेल जाने और अंग्रेजी हुकूमत के खौफ की वजह से सामने नहीं आ पा रहे थे. इस बीच बीएनसी मिल के मजदूरों के हड़ताल के कारण भारत छोड़ो आंदोलन को बड़ा बल मिला. बड़ी संख्या में लोग जुटे और आंदोलन को सफल बनाने के लिए देशभर में एक बड़ा संदेश दिया गया. भारत छोड़ो आंदोलन को राजनांदगांव जिले में सफल बनाने को लेकर जिन लोगों ने भूमिका निभाई उनकी चर्चा महात्मा गांधी से भी हुई और उन्होंने भी आंदोलन में राजनांदगांव जिले की भूमिका को सराहा था.
ऐसे बदला आंदोलन का स्वरूप
राजनांदगांव 1942 में राजनांदगांव स्टेट हुआ करता था, जहां राजा सर्वेश्वर दास की हुकूमत चलती थी. ऐसी स्थिति में यहां पर आंदोलन करने पर धारा 10 के तहत आंदोलनकारियों पर कार्रवाई की जाती थी और फिर उन्हें जेल जाना पड़ता था. लेकिन बीएनसी मिल के मजदूर मिल की नीतियों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इस बीच देशव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन का महात्मा गांधी ने आह्वान किया तो मजदूर इस आंदोलन से भी जुड़ गए और बड़ी संख्या होने के कारण आंदोलन को बेहतर स्वरूप मिल गया. इसके चलते राजनांदगांव की भूमिका इस आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण हो गई.
Quit India Movement was not possible without the laborers of Rajnandgaon
राजनांदगांव का भारत छोड़ो आंदोलन कनेक्शन

पढ़ें : SPECIAL: राखड़ डैम ओवरफ्लो होने से गांव के घर-घर में घुसा पानी, NTPC की ये कैसी मनमानी!

ठाकुर लोटन सिंह ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

राजनांदगांव में भारत छोड़ो आंदोलन को मजदूरों का समर्थन मिलने के बाद ठाकुर लोटन सिंह ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने इस आंदोलन के जरिए पूरे देश में बड़ा संदेश दिया. आंदोलन की रूपरेखा दुर्ग से तय होती थी और फिर राजनांदगांव जिले में मजदूरों का समर्थन मिलने से आंदोलन सफल होता रहा. इतिहासकार गणेश शंकर शर्मा का कहना है कि मजदूर आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के एक होने से भारत छोड़ो आंदोलन को सीधे तौर पर फायदा हुआ और इस बात में कोई दो मत नहीं है कि राजनांदगांव की भूमिका आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण रही.

जानिए क्या है भारत छोड़ो आंदोलन

  • 8 अगस्त 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की. इस आंदोलन के जरिए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस आंदोलन की शुरुआत की गई थी.
  • इस आंदोलन को महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन से शुरू किया था, जो देशव्यापी आंदोलन था.
  • क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था जो कि 8 अगस्त 1942 की शाम को मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुंबई सत्र में शुरू हुआ.
  • इसे अंग्रेजों भारत छोड़ों का नाम दिया गया, हालांकि इस मामले के बाद महात्मा गांधी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उनके आह्वान से ही पूरे देश में आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था.

राजनांदगांव : देश की आजादी में भारत छोड़ो आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस आंदोलन के जरिए देशभर में अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. इतिहास के पन्नों को खंगाले तो राजनांदगांव की भूमिका भी अहम थी. सबसे ज्यादा भारत छोड़ो आंदोलन को बल राजनांदगांव जिले से मिला. क्योंकि यहां पर चल रहे मजदूर आंदोलन की बड़ी संख्या और लोगों का समर्थन देशव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ चुका था.

राजनांदगांव का भारत छोड़ो आंदोलन कनेक्शन

भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था, जिसने अंग्रेजों को हिंदुस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया. दरअसल, देश के स्वतंत्रता संग्राम में आठ अगस्त के दिन का एक खास महत्व है. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और 8 अगस्त 1942 को उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी.

बीएनसी मिल के मजदूर आंदोलन से जुड़ गए

इस आंदोलन में राजनांदगांव जिले की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस वक्त राजनांदगांव में संचालित बीएनसी के मजदूर हड़ताल पर थे, इनकी संख्या काफी अधिक थी. मजदूर लगातार पुरानी गंज मंडी में आंदोलन कर रहे थे. बड़ी संख्या में लगातार इकट्ठा भी होते थे ऐसी स्थिति में राष्ट्रव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन के आव्हान के बाद बीएनसी मिल के मजदूर भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ गए.

पढ़ें : सप्रे और दानी स्कूल मैदान में सौंदर्यीकरण पर रोक लगाने की अर्जी खारिज, महापौर ने जताई खुशी

अंग्रेजों से लड़ने जुटानी पड़ रही थी ताकत
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कन्हैया लाल अग्रवाल बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए काफी ताकत जुटानी पड़ रही थी. लोग जेल जाने और अंग्रेजी हुकूमत के खौफ की वजह से सामने नहीं आ पा रहे थे. इस बीच बीएनसी मिल के मजदूरों के हड़ताल के कारण भारत छोड़ो आंदोलन को बड़ा बल मिला. बड़ी संख्या में लोग जुटे और आंदोलन को सफल बनाने के लिए देशभर में एक बड़ा संदेश दिया गया. भारत छोड़ो आंदोलन को राजनांदगांव जिले में सफल बनाने को लेकर जिन लोगों ने भूमिका निभाई उनकी चर्चा महात्मा गांधी से भी हुई और उन्होंने भी आंदोलन में राजनांदगांव जिले की भूमिका को सराहा था.
ऐसे बदला आंदोलन का स्वरूप
राजनांदगांव 1942 में राजनांदगांव स्टेट हुआ करता था, जहां राजा सर्वेश्वर दास की हुकूमत चलती थी. ऐसी स्थिति में यहां पर आंदोलन करने पर धारा 10 के तहत आंदोलनकारियों पर कार्रवाई की जाती थी और फिर उन्हें जेल जाना पड़ता था. लेकिन बीएनसी मिल के मजदूर मिल की नीतियों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इस बीच देशव्यापी भारत छोड़ो आंदोलन का महात्मा गांधी ने आह्वान किया तो मजदूर इस आंदोलन से भी जुड़ गए और बड़ी संख्या होने के कारण आंदोलन को बेहतर स्वरूप मिल गया. इसके चलते राजनांदगांव की भूमिका इस आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण हो गई.
Quit India Movement was not possible without the laborers of Rajnandgaon
राजनांदगांव का भारत छोड़ो आंदोलन कनेक्शन

पढ़ें : SPECIAL: राखड़ डैम ओवरफ्लो होने से गांव के घर-घर में घुसा पानी, NTPC की ये कैसी मनमानी!

ठाकुर लोटन सिंह ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

राजनांदगांव में भारत छोड़ो आंदोलन को मजदूरों का समर्थन मिलने के बाद ठाकुर लोटन सिंह ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने इस आंदोलन के जरिए पूरे देश में बड़ा संदेश दिया. आंदोलन की रूपरेखा दुर्ग से तय होती थी और फिर राजनांदगांव जिले में मजदूरों का समर्थन मिलने से आंदोलन सफल होता रहा. इतिहासकार गणेश शंकर शर्मा का कहना है कि मजदूर आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के एक होने से भारत छोड़ो आंदोलन को सीधे तौर पर फायदा हुआ और इस बात में कोई दो मत नहीं है कि राजनांदगांव की भूमिका आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण रही.

जानिए क्या है भारत छोड़ो आंदोलन

  • 8 अगस्त 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की. इस आंदोलन के जरिए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस आंदोलन की शुरुआत की गई थी.
  • इस आंदोलन को महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन से शुरू किया था, जो देशव्यापी आंदोलन था.
  • क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था जो कि 8 अगस्त 1942 की शाम को मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुंबई सत्र में शुरू हुआ.
  • इसे अंग्रेजों भारत छोड़ों का नाम दिया गया, हालांकि इस मामले के बाद महात्मा गांधी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उनके आह्वान से ही पूरे देश में आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था.
Last Updated : Aug 8, 2020, 4:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.