राजनांदगांव : जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मानपुर ब्लॉक (Naxal affected area Manpur) के 12-13 गांव के लोगों ने तेंदूपत्ता खुले बाजार में बेचने का ऐलान कर दिया (Tendupatta open market in Manpur villages) है. इसी के साथ सरकार को तेंदूपत्ता नहीं बेचने का फरमान जारी किया है. जिसके बाद गांव के लोगों ने खेड़ेगांव और शारदा गांव में तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र बनाया है. जहां तेंदूपत्ता को इकट्ठा किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि ''तेंदूपत्ता 200 से लेकर 350 रूपए किलो के हिसाब से बिकता है,जबकि छत्तीसगढ़ शासन तेंदूपत्ते के बंडल के हिसाब से हमें पैसा देती है.''
क्यों कर रहे हैं विरोध : जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूर बसे मानपुर क्षेत्र के 12-13 गांव के ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता सरकार को बेचने से इनकार कर दिया है. ग्रामीणों के मुताबिक खुले बाजार में तेंदूपत्ता को बेचने पर उन्हें मुनाफा ज्यादा(not sell tendu leaves to Chhattisgarh government) होगा. क्योंकि महाराष्ट्र में तेंदूपत्ता प्रतिकिलो 200 से 350 रुपए तक बिक जाता है.जबकि छत्तीसगढ़ में सरकार एक बंडल का 400 रुपए देती है. वहीं पिछले सत्र का बोनस भी 45 रुपए तक ही मिल पाया है.
ग्रामीणों ने क्या किया : ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता को खुले बाजार में बेचने के लिए खुद ही संग्रहण केंद्र बना लिया (Villagers built collection center in Manpur) है. इसके लिए शारदा और खेड़ेगांव में ग्रामीणों ने संग्रहण केंद्र बनाए हैं. इस गांव में तेंदूपत्ता संग्रहित करने के बाद इसे खुले बाजार में बेचा जाएगा. इसके साथ ही साथ ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के कार्ड भी बनाए हैं ताकि लोगों को पैसे देने में कोई दिक्कत ना हो.
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ग्रामीणों को क्या होगा फायदा : आपको बता दें कि राजनांदगांव जिले के तेंदूपत्ता की मांग पूरे देश में रहती है. वहीं ग्रामीणों ने जल जंगल जमीन हमारी है की तर्ज पर काम करना शुरू कर दिया है. वहीं ये क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आता है. जिसमें आदिवासियों का कहना है कि ''जल, जंगल और जमीन हमारी है. इसे किस तरीके से बेचना है ये हम तय करेंगे. मानपुर ब्लॉक के ग्रामीणों ने खुद तेंदूपत्ता संग्रहण कर भेजने की तैयारी की है.''