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राजनांदगांव: माहवारी के दौरान महिलाओं को अलग कुटिया में रखने के कुप्रथा को बंद करने का किया जाएगा प्रयास

राजगांदगांव जिले के मोहला मानपुर के लगभग 70 से 80 गांवो में माहवारी के दिनों में महिलाओं को अलग कुटिया में रखने की कुप्रथा को जड़ से मिटाने जागरूकता शिविर लगाकर अभियान चलाया जाएगा. संसदीय सचिव इन्द्रशाह मंडावी ने इसको लेकर भरोसा दिलाया है. ETV BHARAT ने इस विषय को प्रमुखता से उठाया था.

Menstrual awareness campaign
माहवारी के लिए जागरुकता अभियान
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Published : Oct 16, 2020, 6:29 AM IST

राजनांदगांव: मोहला मानपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब 70 से 80 गांव में आज भी महावारी के दौरान महिलाओं को एक छोटी सी कुटिया में बिताना के लिए मजबूर करने वाली कुप्रथा का विरोध अब शुरू होने लगा है. इस मामले को लेकर के ETV BHARAT ने प्रमुखता से उठाया था और महिलाओं को होने वाली तकलीफों को लेकर के प्राथमिकता से खबर दिखाई थी, जिसके बाद अब संसदीय सचिव इंदल शाह मंडावी ने इसे गंभीरता से लिया है और इस कुप्रथा को लेकर के जागरूकता अभियान की शुरुआत की है.

पढ़ें: अंधविश्वास में जकड़ा समाज, यहां माहवारी में 'बेघर' हो जाती हैं महिलाएं

संसदीय सचिव इन्द्रशाह मंडावी ने कहा कि सीतागांव में महिलाओं को माहवारी के समय अलग कुटिया में रखा जाता है, जो कि अनुचित है. कुटिया मे सांप, बिच्छू का सहित अन्य जहरीले कीड़े के काटने का डर तो होता ही है. साथ ही वहां साफ-सफाई भी नहीं होती है. यह परिवार की महिला सदस्य के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि यह एक प्राकृतिक देन है. पाप नहीं है और इसमें छुआ-छूत जैसी कोई बात नहीं है. हमारी माताओं और बहनों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बदलते वक्त के साथ चलने की जरूरत है और अच्छी सोच के साथ समझदारी से काम लेना चाहिए, जिस तरह समय के साथ शिक्षा का स्तर और जीवन के स्तर की गुणवत्ता बढ़ी है. उसी तरह हमें भी समाज की कुप्रथाओं को दूर करना चाहिए. ये बातें उन्होंने मानपुर विकासखंड के सीतागांव में आयोजित महिला जागृति शिविर में कही.

पढ़ें: SPECIAL: शिक्षक बने कोरोना वॉरियर, खुद के खर्च से तैयार किया कोविड-19 अस्पताल

आप सभी को देना होगा साथ: कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कहा है कि यह दुखद बात है और हमारी चिंता बढ़ जाती है, जब हम आगे बढ़ रहे हैं और महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं. इसके बावजूद आज भी इस तरह की कुरीतियां समाज में मौजूद है. यहां की सरपंच महिला है. इसके बाद भी ऐसी कुप्रथा टूट नहीं पा रही है दुख की बात है. उन्होंने कहा कि हम इस सामाजिक कुप्रथा को दूर करने में सहयोग करेंगे. ऐसे चिन्हांकित लोगों के घर-घर जाकर उन्हें समझाइश देंगे कि पहले से चली आ रही प्रथा अब के समय में ठीक नहीं है. माहवारी के दिनों के लिए महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का उपयोग कर रही हैं. यह तकलीफ के दिनों को कम करते हैं, जिसकी वजह से महिलाएं सामान्य दिनों की तरह काम कर पाती हैं. महिला स्वसहायता समूह द्वारा कम कीमत पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने पति और सास-ससुर के बातों पर भरोसा करती है. आप उन्हें समझाएं कि आज के समय में यह सही नहीं है और इस कुरीति को जड़ से खत्म करना है. बच्चों की बेहतरी के लिए हमें यह कार्य करना होगा. पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर और घर-घर जाकर सभी समझाइश देंगे. इस कुरीति को दूर करने के लिए हमें युद्ध स्तर पर कार्य करना होगा और आप सभी को साथ देना होगा.

यह भी पढ़ें: राजनांदगांव: मंत्री उमेश पटेल के बाद खुज्जी विधायक निकलीं कोरोना पॉजिटिव

परिवार को समझाएं और जागरूकता लाएं

SDM सीपी बघेल ने कहा कि समाज की कुप्रथाओं को तोडने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए. समय में परिवर्तन आया है और महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है. हमें समाज की ऐसी अनुचित रूढियों को समाप्त कराना होगा, ताकि महिलाओं को उनके विकास का अवसर मिल सके. कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास रेणु प्रकाश ने कहा कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र में आज भी ऐसी कुरीतियां है, जहां बच्चे की डिलिवरी के बाद माता को अलग कुटिया में रखा जाता है. महिलाओं को भी माहवारी के समय अलग स्थान में रखा जाता है, जबकि ऐसे समय में छोटे से बच्चों को भी संक्रमण से बचाना होता है और अस्वच्छ वातावरण में भी नहीं रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपने परिवार को समझाएं और जागरूकता लाएं.

राजनांदगांव: मोहला मानपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब 70 से 80 गांव में आज भी महावारी के दौरान महिलाओं को एक छोटी सी कुटिया में बिताना के लिए मजबूर करने वाली कुप्रथा का विरोध अब शुरू होने लगा है. इस मामले को लेकर के ETV BHARAT ने प्रमुखता से उठाया था और महिलाओं को होने वाली तकलीफों को लेकर के प्राथमिकता से खबर दिखाई थी, जिसके बाद अब संसदीय सचिव इंदल शाह मंडावी ने इसे गंभीरता से लिया है और इस कुप्रथा को लेकर के जागरूकता अभियान की शुरुआत की है.

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संसदीय सचिव इन्द्रशाह मंडावी ने कहा कि सीतागांव में महिलाओं को माहवारी के समय अलग कुटिया में रखा जाता है, जो कि अनुचित है. कुटिया मे सांप, बिच्छू का सहित अन्य जहरीले कीड़े के काटने का डर तो होता ही है. साथ ही वहां साफ-सफाई भी नहीं होती है. यह परिवार की महिला सदस्य के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि यह एक प्राकृतिक देन है. पाप नहीं है और इसमें छुआ-छूत जैसी कोई बात नहीं है. हमारी माताओं और बहनों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बदलते वक्त के साथ चलने की जरूरत है और अच्छी सोच के साथ समझदारी से काम लेना चाहिए, जिस तरह समय के साथ शिक्षा का स्तर और जीवन के स्तर की गुणवत्ता बढ़ी है. उसी तरह हमें भी समाज की कुप्रथाओं को दूर करना चाहिए. ये बातें उन्होंने मानपुर विकासखंड के सीतागांव में आयोजित महिला जागृति शिविर में कही.

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आप सभी को देना होगा साथ: कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कहा है कि यह दुखद बात है और हमारी चिंता बढ़ जाती है, जब हम आगे बढ़ रहे हैं और महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं. इसके बावजूद आज भी इस तरह की कुरीतियां समाज में मौजूद है. यहां की सरपंच महिला है. इसके बाद भी ऐसी कुप्रथा टूट नहीं पा रही है दुख की बात है. उन्होंने कहा कि हम इस सामाजिक कुप्रथा को दूर करने में सहयोग करेंगे. ऐसे चिन्हांकित लोगों के घर-घर जाकर उन्हें समझाइश देंगे कि पहले से चली आ रही प्रथा अब के समय में ठीक नहीं है. माहवारी के दिनों के लिए महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का उपयोग कर रही हैं. यह तकलीफ के दिनों को कम करते हैं, जिसकी वजह से महिलाएं सामान्य दिनों की तरह काम कर पाती हैं. महिला स्वसहायता समूह द्वारा कम कीमत पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने पति और सास-ससुर के बातों पर भरोसा करती है. आप उन्हें समझाएं कि आज के समय में यह सही नहीं है और इस कुरीति को जड़ से खत्म करना है. बच्चों की बेहतरी के लिए हमें यह कार्य करना होगा. पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर और घर-घर जाकर सभी समझाइश देंगे. इस कुरीति को दूर करने के लिए हमें युद्ध स्तर पर कार्य करना होगा और आप सभी को साथ देना होगा.

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परिवार को समझाएं और जागरूकता लाएं

SDM सीपी बघेल ने कहा कि समाज की कुप्रथाओं को तोडने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए. समय में परिवर्तन आया है और महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है. हमें समाज की ऐसी अनुचित रूढियों को समाप्त कराना होगा, ताकि महिलाओं को उनके विकास का अवसर मिल सके. कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास रेणु प्रकाश ने कहा कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र में आज भी ऐसी कुरीतियां है, जहां बच्चे की डिलिवरी के बाद माता को अलग कुटिया में रखा जाता है. महिलाओं को भी माहवारी के समय अलग स्थान में रखा जाता है, जबकि ऐसे समय में छोटे से बच्चों को भी संक्रमण से बचाना होता है और अस्वच्छ वातावरण में भी नहीं रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपने परिवार को समझाएं और जागरूकता लाएं.

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