राजनांदगांव: लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद बीजेपी बड़ी बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है. मोदी लहर में बड़े-बड़े धुरंधरों ने घुटने टेक दिए और बीजेपी को एक बड़ी जीत मिली. बात छत्तीसगढ़ की करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद लोकसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले थे. कांग्रेस महज दो सीटों पर कब्जा जमा सकी.
राजनांदगांव लोकसभा सीट एक ऐसा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभाओं में से 6 पर कांग्रेस काबिज है बावजूद इसके यहां से कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई और सीट से हाथ धो दिया.
इसके चलते कहीं न कहीं कांग्रेसी विधायकों की कार्यशैली को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जिला कांग्रेस कमेटी ने विधायकों की भूमिका को लेकर जहां मंथन शुरू कर दिया है वहीं कार्यकर्ता भी अब मुखर होकर विधायकों के खिलाफ बोल रहे हैं.
आठ में छह विधानसभा सीट कांग्रेस में कब्जे में
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है. भाजपा ने जहां इस लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मेहनत की वही कांग्रेस विधायक के कब्जे वाली विधानसभा में भी कांग्रेस को बढ़त नहीं मिल पाई, इसके पीछे सीधा कारण विधायकों की भूमिका रही है. राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 2 जिले शामिल हैं. इनमें राजनांदगांव जिले में 6 और वही कवर्धा जिले की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन आठ सीटों में से केवल राजनांदगांव में बीजेपी और खैरागढ़ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का कब्जा है, बाकी की छह सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसके बावजूद कांग्रेस को इस लोकसभा सीट से 1 लाख 11966 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है.
किसने लगाया जोर कौन रहा कमजोर
- कांग्रेस की कब्जे वाली पंडरिया सीट से विधायक ममता चंद्राकर के विधानसभा में पार्टी को सबसे ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ है. यहां से भाजपा को 27 हजार 689 वोट की बढ़त मिली है जो की आठों विधानसभा में सबसे ज्यादा है. इस विधानसभा में कांग्रेस सबसे कमजोर साबित हुई है.
- कवर्धा विधानसभा जहां से प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर विधायक हैं, यहां से भाजपा ने 6490 वोटों की बढ़त हासिल की है जो की न्य़ूनतम बढ़त है.
- इसके अलावा डोंगरगांव विधानसभा सीट से बीजेपी को 22118 वोटों की बढ़त मिली.
- खैरागढ़ विधानसभा की बात करें तो जहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह विधायक हैं. इन्होंने भी कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को अपना समर्थन दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी यहां से कांग्रेस पिछड़ गई. भाजपा ने यहां से 20940 वोट की बड़ी बढ़त प्राप्त की.
- डोंगरगढ़ विधानसभा की बात करें तो विधायक भुनेश्वर बघेल ने भी पार्टी के लिए कुछ खास मेहनत नहीं की और यहां से भाजपा को 19895 वोटों की बढ़त मिली.
केवल 2 विधायकों ने बचाई लाज
वहीं दो विधायक ऐसे भी रहे जिन्होंने मोदी लहर में भी अपनी शाख बचाए रही. मोहला मानपुर विधायक इंदर शाह मंडावी ने पार्टी को अपने विधानसभा से 27187 वोट से आगे रखा, वहीं खुज्जी विधायक छन्नी साहू के क्षेत्र में कांग्रेस को 2204 वोटों से बढ़त मिली.
पार्टी में शुरू हुआ मंथन का दौर
विधानसभा चुनाव में जीत कर सबसे ज्यादा विधायक आने के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस को करारी हार मिली है. इसके लेकर मंथन शुरू हो चुका है. पहले इस बात का मंथन हो रहा है कि किस विधानसभा सीट में पार्टी को बढ़त मिली और किस विधानसभा सीट में पार्टी को वोटों का नुकसान हुआ है.
'समीक्षा के बाद ही स्पष्ट होगी स्थिति'
इस मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रूपेश दुबे का कहना है कि चुनाव में हार-जीत के कई कारण होते हैं. हम किन परिस्थितियों में चुनाव हारे इस विषय पर उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर नेताओं के साथ बैठकर चिंतन कर समीक्षा की जाएगी, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.