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Loksabha Election 2019: इस सीट पर कांग्रेस की धाक, फिर भी विधायक नहीं बचा पाए लाज

राजनांदगांव लोकसभा सीट एक ऐसा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभाओं में से 6 पर कांग्रेस काबिज है बावजूद इसके इन यहां से कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई और सीट से हाथ धो दिया.

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Published : May 28, 2019, 8:23 AM IST

Updated : May 28, 2019, 12:06 PM IST

राजनांदगांव: लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद बीजेपी बड़ी बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है. मोदी लहर में बड़े-बड़े धुरंधरों ने घुटने टेक दिए और बीजेपी को एक बड़ी जीत मिली. बात छत्तीसगढ़ की करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद लोकसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले थे. कांग्रेस महज दो सीटों पर कब्जा जमा सकी.

इस सीट पर कांग्रेस की धाक, फिर भी विधायक नहीं बचा पाए लाज

राजनांदगांव लोकसभा सीट एक ऐसा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभाओं में से 6 पर कांग्रेस काबिज है बावजूद इसके यहां से कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई और सीट से हाथ धो दिया.

इसके चलते कहीं न कहीं कांग्रेसी विधायकों की कार्यशैली को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जिला कांग्रेस कमेटी ने विधायकों की भूमिका को लेकर जहां मंथन शुरू कर दिया है वहीं कार्यकर्ता भी अब मुखर होकर विधायकों के खिलाफ बोल रहे हैं.

आठ में छह विधानसभा सीट कांग्रेस में कब्जे में

राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है. भाजपा ने जहां इस लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मेहनत की वही कांग्रेस विधायक के कब्जे वाली विधानसभा में भी कांग्रेस को बढ़त नहीं मिल पाई, इसके पीछे सीधा कारण विधायकों की भूमिका रही है. राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 2 जिले शामिल हैं. इनमें राजनांदगांव जिले में 6 और वही कवर्धा जिले की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन आठ सीटों में से केवल राजनांदगांव में बीजेपी और खैरागढ़ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का कब्जा है, बाकी की छह सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसके बावजूद कांग्रेस को इस लोकसभा सीट से 1 लाख 11966 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है.

किसने लगाया जोर कौन रहा कमजोर

  • कांग्रेस की कब्जे वाली पंडरिया सीट से विधायक ममता चंद्राकर के विधानसभा में पार्टी को सबसे ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ है. यहां से भाजपा को 27 हजार 689 वोट की बढ़त मिली है जो की आठों विधानसभा में सबसे ज्यादा है. इस विधानसभा में कांग्रेस सबसे कमजोर साबित हुई है.
  • कवर्धा विधानसभा जहां से प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर विधायक हैं, यहां से भाजपा ने 6490 वोटों की बढ़त हासिल की है जो की न्य़ूनतम बढ़त है.
  • इसके अलावा डोंगरगांव विधानसभा सीट से बीजेपी को 22118 वोटों की बढ़त मिली.
  • खैरागढ़ विधानसभा की बात करें तो जहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह विधायक हैं. इन्होंने भी कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को अपना समर्थन दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी यहां से कांग्रेस पिछड़ गई. भाजपा ने यहां से 20940 वोट की बड़ी बढ़त प्राप्त की.
  • डोंगरगढ़ विधानसभा की बात करें तो विधायक भुनेश्वर बघेल ने भी पार्टी के लिए कुछ खास मेहनत नहीं की और यहां से भाजपा को 19895 वोटों की बढ़त मिली.

केवल 2 विधायकों ने बचाई लाज
वहीं दो विधायक ऐसे भी रहे जिन्होंने मोदी लहर में भी अपनी शाख बचाए रही. मोहला मानपुर विधायक इंदर शाह मंडावी ने पार्टी को अपने विधानसभा से 27187 वोट से आगे रखा, वहीं खुज्जी विधायक छन्नी साहू के क्षेत्र में कांग्रेस को 2204 वोटों से बढ़त मिली.

पार्टी में शुरू हुआ मंथन का दौर
विधानसभा चुनाव में जीत कर सबसे ज्यादा विधायक आने के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस को करारी हार मिली है. इसके लेकर मंथन शुरू हो चुका है. पहले इस बात का मंथन हो रहा है कि किस विधानसभा सीट में पार्टी को बढ़त मिली और किस विधानसभा सीट में पार्टी को वोटों का नुकसान हुआ है.

'समीक्षा के बाद ही स्पष्ट होगी स्थिति'
इस मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रूपेश दुबे का कहना है कि चुनाव में हार-जीत के कई कारण होते हैं. हम किन परिस्थितियों में चुनाव हारे इस विषय पर उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर नेताओं के साथ बैठकर चिंतन कर समीक्षा की जाएगी, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

राजनांदगांव: लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद बीजेपी बड़ी बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है. मोदी लहर में बड़े-बड़े धुरंधरों ने घुटने टेक दिए और बीजेपी को एक बड़ी जीत मिली. बात छत्तीसगढ़ की करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद लोकसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले थे. कांग्रेस महज दो सीटों पर कब्जा जमा सकी.

इस सीट पर कांग्रेस की धाक, फिर भी विधायक नहीं बचा पाए लाज

राजनांदगांव लोकसभा सीट एक ऐसा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभाओं में से 6 पर कांग्रेस काबिज है बावजूद इसके यहां से कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई और सीट से हाथ धो दिया.

इसके चलते कहीं न कहीं कांग्रेसी विधायकों की कार्यशैली को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जिला कांग्रेस कमेटी ने विधायकों की भूमिका को लेकर जहां मंथन शुरू कर दिया है वहीं कार्यकर्ता भी अब मुखर होकर विधायकों के खिलाफ बोल रहे हैं.

आठ में छह विधानसभा सीट कांग्रेस में कब्जे में

राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है. भाजपा ने जहां इस लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मेहनत की वही कांग्रेस विधायक के कब्जे वाली विधानसभा में भी कांग्रेस को बढ़त नहीं मिल पाई, इसके पीछे सीधा कारण विधायकों की भूमिका रही है. राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 2 जिले शामिल हैं. इनमें राजनांदगांव जिले में 6 और वही कवर्धा जिले की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन आठ सीटों में से केवल राजनांदगांव में बीजेपी और खैरागढ़ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का कब्जा है, बाकी की छह सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसके बावजूद कांग्रेस को इस लोकसभा सीट से 1 लाख 11966 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है.

किसने लगाया जोर कौन रहा कमजोर

  • कांग्रेस की कब्जे वाली पंडरिया सीट से विधायक ममता चंद्राकर के विधानसभा में पार्टी को सबसे ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ है. यहां से भाजपा को 27 हजार 689 वोट की बढ़त मिली है जो की आठों विधानसभा में सबसे ज्यादा है. इस विधानसभा में कांग्रेस सबसे कमजोर साबित हुई है.
  • कवर्धा विधानसभा जहां से प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर विधायक हैं, यहां से भाजपा ने 6490 वोटों की बढ़त हासिल की है जो की न्य़ूनतम बढ़त है.
  • इसके अलावा डोंगरगांव विधानसभा सीट से बीजेपी को 22118 वोटों की बढ़त मिली.
  • खैरागढ़ विधानसभा की बात करें तो जहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह विधायक हैं. इन्होंने भी कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को अपना समर्थन दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी यहां से कांग्रेस पिछड़ गई. भाजपा ने यहां से 20940 वोट की बड़ी बढ़त प्राप्त की.
  • डोंगरगढ़ विधानसभा की बात करें तो विधायक भुनेश्वर बघेल ने भी पार्टी के लिए कुछ खास मेहनत नहीं की और यहां से भाजपा को 19895 वोटों की बढ़त मिली.

केवल 2 विधायकों ने बचाई लाज
वहीं दो विधायक ऐसे भी रहे जिन्होंने मोदी लहर में भी अपनी शाख बचाए रही. मोहला मानपुर विधायक इंदर शाह मंडावी ने पार्टी को अपने विधानसभा से 27187 वोट से आगे रखा, वहीं खुज्जी विधायक छन्नी साहू के क्षेत्र में कांग्रेस को 2204 वोटों से बढ़त मिली.

पार्टी में शुरू हुआ मंथन का दौर
विधानसभा चुनाव में जीत कर सबसे ज्यादा विधायक आने के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस को करारी हार मिली है. इसके लेकर मंथन शुरू हो चुका है. पहले इस बात का मंथन हो रहा है कि किस विधानसभा सीट में पार्टी को बढ़त मिली और किस विधानसभा सीट में पार्टी को वोटों का नुकसान हुआ है.

'समीक्षा के बाद ही स्पष्ट होगी स्थिति'
इस मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रूपेश दुबे का कहना है कि चुनाव में हार-जीत के कई कारण होते हैं. हम किन परिस्थितियों में चुनाव हारे इस विषय पर उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर नेताओं के साथ बैठकर चिंतन कर समीक्षा की जाएगी, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

Intro:राजनांदगांव लोकसभा चुनाव 2019 में राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा कांग्रेसी विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है इस लोकसभा चुनाव में 6 विधानसभा में कांग्रेस के विधायक मौजूद होने के बावजूद केवल दो विधानसभा में ही कांग्रेस को बढ़त मिल पाई है शेष विधानसभा में भाजपा ने बड़ी लीड लगातार ली है इसके चलते कांग्रेसी विधायकों की कार्यशैली को लेकर आप सवाल उठने लगे हैं जिला कांग्रेस कमेटी ने विधायकों की भूमिका को लेकर जहां मंथन शुरू कर दिया है वहीं कार्यकर्ता भी अब मुखर होकर विधायकों के खिलाफ बोल रहे हैं.


Body:राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है भाजपा ने जहां इस लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मेहनत की वही कांग्रेस विधायक के कब्जे वाली विधानसभा में भी कांग्रेस को बढ़त नहीं मिल पाई इसके पीछे सीधा कारण विधायकों की भूमिका रही है पार्टी के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार राजनांदगांव लोकसभा सीट पर विधायक को के चुनाव में भूमिका को लेकर जहां सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बता दें कि राजधान का लोकसभा सीट में 2 जिले शामिल है इनमें राजनांदगांव जिले की 6 विधानसभा सीटें हैं वही कवर्धा जिले की 2 विधानसभा सीटें शामिल है इनमें केवल राजनांदगांव विधानसभा सीट पर ही भाजपा के विधायक रमन सिंह मौजूद है शेष 6 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं वही खैरागढ़ सीट में जोगी कांग्रेस के विधायक देवव्रत सिंह काबिज है. 8 विधानसभा वाली इस लोकसभा सीट में 6 सीटें कांग्रेस के होने के बावजूद इस लोकसभा सीट में कांग्रेस को 111966 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. इस हार के बाद विधानसभा वार समीक्षा करे तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आती है इनमें सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है कि कांग्रेस विधायक होने के बावजूद विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के लिए सही तरीके से मेहनत नहीं की गई इसके चलते कांग्रेस के हाथ से जीत खिसक गई.
किसने लगाया जोर कौन रहा कमजोर
लोकसभा सीट में पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर के विधानसभा में पार्टी को सबसे ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ है यहां से भाजपा को 27 हजार 689 वोट की बढ़त मिली है जो की आठों विधानसभा में सबसे ज्यादा है इस विधानसभा में कांग्रेस सबसे कमजोर साबित हुई है वही कवर्धा विधानसभा जहां प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर विधायक हैं यहां से भाजपा ने 6490 वोटों की बढ़त ली है जो की लोकसभा में सबसे कम बढ़त है इसके अलावा डोंगरगांव विधानसभा विधायक दिलेश्वर साहू के विधानसभा में 22118 वोट भाजपा को बढ़त के रूप में मिले हैं खैरागढ़ विधानसभा की बात करें तो जहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह विधायक हैं इन्होंने भी कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को अपना समर्थन दिया था लेकिन अपनी विधानसभा में लीड दिलाने में कामयाब नहीं हुए यहां से भाजपा ने 20940 वोट की बड़ी बढ़त ली है. डोंगरगढ़ विधानसभा की बात करें तो विधायक भुनेश्वर बघेल ने भी पार्टी के लिए कुछ खास मेहनत नहीं की और यहां से भाजपा को 19895 वोटों की बढ़त मिली है.
केवल 2 विधायकों ने बचाई लाज
इस लोकसभा चुनाव में जहां पर विधायक मोदी लहर की बात कर अपनी किरकिरी होने से बच रहे हैं वही मोहला मानपुर और खुज्जी विधानसभा ऐसे दो क्षेत्र है जहां के विधायकों ने जी तोड़ मेहनत कर कांग्रेस पार्टी को बढ़त दिलाई है मोहला मानपुर विधायक इंदर शाह मंडावी ने पार्टी को अपने विधानसभा से 27187 वोट से आगे रखा वहीं खुज्जी विधायक छन्नी साहू ने 2204 वोटों से कांग्रेस पार्टी को बढ़त दिलाने में काफी मेहनत की केवल इन दोनों ही विधायकों ने पूरे लोकसभा में कांग्रेस पार्टी को बढ़त दिलाई है.
पार्टी में शुरू हुआ मंथन का दौर
विधानसभा चुनाव में जीत कर सबसे ज्यादा विधायक आने के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस को करारी हार मिली है इस बात को लेकर आप पार्टी में चिंतन मंथन का दौर शुरू हो चुका है सबसे पहले इस बात पर ही चिंतन किया जा रहा है कि किस विधानसभा सीट में पार्टी को बढ़त मिली और किस विधानसभा सीट में पार्टी को वोटों का नुकसान हुआ है.
समीक्षा के बाद ही स्पष्ट होगी स्थिति
इस मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रूपेश दुबे का कहना है कि चुनाव में हार जीत के कई कारण होते हैं हम किन परिस्थितियों में चुनाव हारे इस विषय पर उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर नेताओं के साथ बैठकर चिंतन कर समीक्षा की जाएगी उसके बाद ही स्थिति क्लियर हो पाएगी प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव क्यों हारी है इन स्थितियों की समीक्षा की जाएगी समीक्षा के बाद ही स्थितियां स्पष्ट होगी.



Conclusion:बाइट जिला कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता रूपेश दुबे सफेद हाफ शर्ट पहने हुए चश्मा लगाए हुए हैं केवल इन्हीं की बाइट खबर में लगेगी
Last Updated : May 28, 2019, 12:06 PM IST
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