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राजनांदगांव: मानसिक रोगियों के लिए पुलिस चलाएगी अभियान - Treatment of mental patient in Rajnandgaon

दुर्ग संभाग में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए पुलिस अभियान चलाएगी. इसके तहत मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक किया जाएगा. साथ ही मानसिक रोगियों को इलाज के लिए प्रेरित किया जाएगा. यह अभियान राजनांदगांव जिले में भी चलाया जाएगा.

Rajnandgaon thana police
राजनांदगांव में चलाया जाएगा अभियान
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Published : Sep 8, 2020, 5:20 PM IST

राजनांदगांव: दुर्ग संभाग में पुलिस अब लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करेगी. यह फैसला संभाग में बढ़ती हुई आत्महत्याओं को देखते हुए लिया गया है. इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाकर समुदाय को समझाया जाएगा कि जिंदगी अनमोल होती है, इसलिए इसे बर्बाद न करें बल्कि हिफाजत करना सीखें. मानसिक रोगी की पीड़ा समझने और इलाज के लिए रोगी को प्रेरित करने की कोशिश पर भी जोर दिया जाएगा.

मानसिक रोगी को 'पागल' करार दिए जाने के बजाय उसका इलाज करवाना चाहिए. इस संदेश के साथ दुर्ग संभाग की पुलिस अभियान के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करेगी कि मानसिक स्वास्थ्य के उपचार और इससे जुड़ी गलत भ्रांतियों को हटाने पर मानसिक विकारों का उपचार संभव है. यदि किसी में भी दिमागी असंतुलन के लक्षण दिखें तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें. इससे न सिर्फ रोगी की जान बचाई जा सकती है, बल्कि उसे एक स्वस्थ जिंदगी भी मिल सकती है.

4 साल के भीतर 6 हजार से अधिक लोगों ने की है खुदकुशी

दुर्ग संभाग के आईजी विवेवकानंद सिन्हा ने लॉकडाउन के बाद आत्महत्याओं के अचानक बढ़े ग्राफ को देखकर संभाग के पांचों जिलों से रिपोर्ट तैयार करवाई है. रिपोर्ट में पाया गया कि साल 2016 से जून 2020 के बीच दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा और कबीरधाम जिले में 6 हजार 35 लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में 2 हजार 307 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि सबसे कम आंकड़ा कबीरधाम जिले का है.

आत्महत्या के कारणों का एनॉलिसिस किया जा रहा

रिपोर्ट से पता चला है कि 18 कारण ऐसे हैं जिनकी वजह से लोग मौत को गले लगाने का निश्चय कर बैठते हैं. इनमें पति-पत्नी में विवाद, बीमारी से व्याकुलता या प्रेम संबंध में तनाव के कारण ज्यादातर लोगों ने खुदकुशी की है. आईजी दुर्ग रेंज विवेकानंद सिन्हा ने बताया हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. इससे ठीक पहले इस साल संभाग के पांचों जिलों से आत्महत्या की घटनाओं की रिपोर्ट तैयार करवाई गई है. आत्महत्या के कारणों का एनॉलिसिस किया जा रहा है. सुसाइड को कैसे रोका जा सकता है. इस दिशा में पुलिस बेहतर काम करने का प्रयास करेगी.

मामला एक हो या अनेक विषय संवेदनशील

राजनांदगांव एसपी डी श्रवण ने कहा कि आत्महत्या का मामला एक हो या अनेक, विषय तो यह संवेदनशील है और पुलिस इस दिशा में गंभीर है. आत्महत्या के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने के लिए आईजी विवेकानंद सिन्हा के मार्गदर्शन में जिला पुलिस हर संभव प्रयास करेगी. एसपी डी श्रवण ने आगे कहा कि जल्द ही अभियान शुरू करने की तैयारी की जा रही है, ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत मिल सके.

भारत में चौथे स्थान पर छत्तीसगढ़

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 24.7 प्रति लाख जनसंख्या है, जो राष्ट्रीय दर 10.4 प्रति लाख जनसंख्या से कहीं ज्यादा है. भारत में छत्तीसगढ़ चौथा सबसे ज्यादा आत्महत्या करने वालों का प्रदेश है. मानसिक तनाव आत्महत्या का एक महत्वपूर्ण कारण होता है, अगर लोग मानसिक तौर पर स्वस्थ होंगे तो आत्महत्या का आंकड़ा भी घटेगा. इसके अलावा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ डॉक्टर्स को भी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज की ओर से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है. राज्य में टेली मेडिसीन भी मानसिक विकारों का उपचार कर रही है.

परामर्श या इलाज के लिए स्पर्श क्लीनिक

आत्महत्या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है. अगर लोग मानसिक तौर पर स्वस्थ होंगे तो आत्महत्याओं में भी कमी आएगी. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई प्रकार के कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें 104 हेल्पलाइन एंड स्पर्श क्लीनिक भी है. मनोरोग के उपचार की सुविधा के बारे में CMHO डॉक्टर मिथलेश चौधरी ने बताया कि मनोरोगियों के उपचार के लिए राजनांदगांव में भी स्पर्श क्लीनिक है. यहां विशेषज्ञों के माध्यम से मनोरोगियों की काउंसिलिंग की जाती है और आवश्यकता पड़ने पर समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाता है. रोगियों की जानकारी गुप्त रखी जाती है.

यह गलत अवधारणाएं

  • मानसिक रोग का उपचार नहीं है
  • मानसिक रोग से शर्मिंदगी होती है
  • यह भूत या प्रेतात्माओं के कारण होता है
  • यह छूत का रोग है
  • झाड़-फूंक से इलाज संभव है
  • मरने से ही ठीक होता है

ये है सच्चाई

  • मानसिक रोग का उपचार संभव है
  • मानसिक रोग भी उसी तरह है, जैसे अन्य रोग
  • इसमें शर्मिंदगी जैसा कुछ नहीं
  • इस रोग को भूत या प्रेतात्माओं से जोड़ना गलत और अंधविश्वास है. इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
  • यह छूत का रोग नहीं है
  • इसका चिकित्सकीय उपचार ही सबसे बेहतर और प्रमाणिक है
  • आत्महत्या किसी भी रूप में इसका उपचार नहीं है

राजनांदगांव: दुर्ग संभाग में पुलिस अब लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करेगी. यह फैसला संभाग में बढ़ती हुई आत्महत्याओं को देखते हुए लिया गया है. इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाकर समुदाय को समझाया जाएगा कि जिंदगी अनमोल होती है, इसलिए इसे बर्बाद न करें बल्कि हिफाजत करना सीखें. मानसिक रोगी की पीड़ा समझने और इलाज के लिए रोगी को प्रेरित करने की कोशिश पर भी जोर दिया जाएगा.

मानसिक रोगी को 'पागल' करार दिए जाने के बजाय उसका इलाज करवाना चाहिए. इस संदेश के साथ दुर्ग संभाग की पुलिस अभियान के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करेगी कि मानसिक स्वास्थ्य के उपचार और इससे जुड़ी गलत भ्रांतियों को हटाने पर मानसिक विकारों का उपचार संभव है. यदि किसी में भी दिमागी असंतुलन के लक्षण दिखें तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें. इससे न सिर्फ रोगी की जान बचाई जा सकती है, बल्कि उसे एक स्वस्थ जिंदगी भी मिल सकती है.

4 साल के भीतर 6 हजार से अधिक लोगों ने की है खुदकुशी

दुर्ग संभाग के आईजी विवेवकानंद सिन्हा ने लॉकडाउन के बाद आत्महत्याओं के अचानक बढ़े ग्राफ को देखकर संभाग के पांचों जिलों से रिपोर्ट तैयार करवाई है. रिपोर्ट में पाया गया कि साल 2016 से जून 2020 के बीच दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा और कबीरधाम जिले में 6 हजार 35 लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में 2 हजार 307 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि सबसे कम आंकड़ा कबीरधाम जिले का है.

आत्महत्या के कारणों का एनॉलिसिस किया जा रहा

रिपोर्ट से पता चला है कि 18 कारण ऐसे हैं जिनकी वजह से लोग मौत को गले लगाने का निश्चय कर बैठते हैं. इनमें पति-पत्नी में विवाद, बीमारी से व्याकुलता या प्रेम संबंध में तनाव के कारण ज्यादातर लोगों ने खुदकुशी की है. आईजी दुर्ग रेंज विवेकानंद सिन्हा ने बताया हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. इससे ठीक पहले इस साल संभाग के पांचों जिलों से आत्महत्या की घटनाओं की रिपोर्ट तैयार करवाई गई है. आत्महत्या के कारणों का एनॉलिसिस किया जा रहा है. सुसाइड को कैसे रोका जा सकता है. इस दिशा में पुलिस बेहतर काम करने का प्रयास करेगी.

मामला एक हो या अनेक विषय संवेदनशील

राजनांदगांव एसपी डी श्रवण ने कहा कि आत्महत्या का मामला एक हो या अनेक, विषय तो यह संवेदनशील है और पुलिस इस दिशा में गंभीर है. आत्महत्या के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने के लिए आईजी विवेकानंद सिन्हा के मार्गदर्शन में जिला पुलिस हर संभव प्रयास करेगी. एसपी डी श्रवण ने आगे कहा कि जल्द ही अभियान शुरू करने की तैयारी की जा रही है, ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत मिल सके.

भारत में चौथे स्थान पर छत्तीसगढ़

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 24.7 प्रति लाख जनसंख्या है, जो राष्ट्रीय दर 10.4 प्रति लाख जनसंख्या से कहीं ज्यादा है. भारत में छत्तीसगढ़ चौथा सबसे ज्यादा आत्महत्या करने वालों का प्रदेश है. मानसिक तनाव आत्महत्या का एक महत्वपूर्ण कारण होता है, अगर लोग मानसिक तौर पर स्वस्थ होंगे तो आत्महत्या का आंकड़ा भी घटेगा. इसके अलावा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ डॉक्टर्स को भी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज की ओर से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है. राज्य में टेली मेडिसीन भी मानसिक विकारों का उपचार कर रही है.

परामर्श या इलाज के लिए स्पर्श क्लीनिक

आत्महत्या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है. अगर लोग मानसिक तौर पर स्वस्थ होंगे तो आत्महत्याओं में भी कमी आएगी. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई प्रकार के कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें 104 हेल्पलाइन एंड स्पर्श क्लीनिक भी है. मनोरोग के उपचार की सुविधा के बारे में CMHO डॉक्टर मिथलेश चौधरी ने बताया कि मनोरोगियों के उपचार के लिए राजनांदगांव में भी स्पर्श क्लीनिक है. यहां विशेषज्ञों के माध्यम से मनोरोगियों की काउंसिलिंग की जाती है और आवश्यकता पड़ने पर समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाता है. रोगियों की जानकारी गुप्त रखी जाती है.

यह गलत अवधारणाएं

  • मानसिक रोग का उपचार नहीं है
  • मानसिक रोग से शर्मिंदगी होती है
  • यह भूत या प्रेतात्माओं के कारण होता है
  • यह छूत का रोग है
  • झाड़-फूंक से इलाज संभव है
  • मरने से ही ठीक होता है

ये है सच्चाई

  • मानसिक रोग का उपचार संभव है
  • मानसिक रोग भी उसी तरह है, जैसे अन्य रोग
  • इसमें शर्मिंदगी जैसा कुछ नहीं
  • इस रोग को भूत या प्रेतात्माओं से जोड़ना गलत और अंधविश्वास है. इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
  • यह छूत का रोग नहीं है
  • इसका चिकित्सकीय उपचार ही सबसे बेहतर और प्रमाणिक है
  • आत्महत्या किसी भी रूप में इसका उपचार नहीं है
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