राजनांदगांव: पहाड़ सिंह, ये वो नाम है जिसे सुनते ही नक्सल प्रभावित गांव के लोग कांप जाते थे, जो पूरे देश के उन टॉप मोस्टवांटेड नक्सलियों में से एक था, जिसकी तलाश कई राज्यों की पुलिस कर रही थी. पहाड़ सिंह प्रदेश में लाल आंतक का पर्याय बना हुआ था, लेकिन सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया और आज उसे 5 लाख रुपए की राशि दी गई.
छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों का दायरा बढ़ाने के पीछे पहाड़ सिंह का बड़ा हाथ रहा है, लेकिन सरेंडर के बाद उसकी निशानदेही और सुरागों के आधार पर सुरक्षा बलों को बड़े पैमाने पर नक्सलियों के खिलाफ सफलता मिली और कई बड़े कैडरों को भी मार गिराया गया.
राजनांदगांव पुलिस ने पहाड़ सिंह को पुनर्वास नीति के तहत जो सुविधाएं दी जानी थी, वह उपलब्ध करा दी हैं. इसके साथ ही एसपी कमलोचन कश्यप ने पहाड़ सिंह को सरेंडर करने पर दिए जाने वाले 5 लाख रुपए भी दिए हैं.
ऐसी है छत्तीसगढ़ की नक्सली समर्पण नीति
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर नीति सबसे बेहतर मानी जाती है. तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार ने साल 2014 में इस नीति में बदलाव किया और इसका फायदा भी मिल रहा है, यही कारण है कि मोस्ट वांटेड पहाड़ सिंह जैसे नक्सली समर्पण कर चुके हैं.
- छग में समर्पण करने वाले नक्सलियों पर कैडर के मुताबिक 5 लाख से 1 करोड़ रुपए तक की राशि दी जाती है.
- ये राशि समर्पण करने वाले नक्सली को ही दी जाती है.
- हथियार सहित सरेंडर करने पर 50 हजार से साढ़े 4 लाख रुपए भी आत्मसमर्पित नक्सली को दिए जाते हैं.
पढ़ें- राज्यपाल अनुसुइया उइके ने लिया जंगल सफारी का आनंद
- अगर नक्सली इनामी हैं तो उस इनाम की पूरी राशि भी उसी नक्सली को दी जाती है.
- आत्म समर्पित नक्सली को भरण-पोषण के लिए 10 एकड़ जमीन दी जाती है. वह किसी भी राज्य में दी जाती है.
- खाद्यान्न की सुविधा, दो बच्चों को बारहवीं तक शिक्षा मुफ्त, हॉस्टल में रहने और परिवहन की सुविधा दी जाती है.
- परिवार के एक सदस्य को नौकरी और उसमें भी नक्सली अपराध, उम्र और शिक्षा का कोई बंधन नहीं होता.
- सरेंडर करने वाले को उस केस में न्यायालय में ट्रायल में नहीं जाना पड़ता है.
- बैंक से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध होती है.