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राजनांदगांव : कभी था हार्डकोर नक्सली, सरेंडर के बाद मिले 5 लाख रुपए - पहाड़ सिंह को पुनर्वास नीति

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर नीति सबसे बेहतर मानी जाती है. यही कारण है कि मोस्ट वांटेड पहाड़ सिंह जैसे नक्सली समर्पण कर चुके हैं. एसपी कमलोचन कश्यप ने पहाड़ सिंह को सरेंडर करने पर दी जाने वाली रकम 5 लाख की राशि चेक से भेंट की.

सरेंडर करने के बाद पहाड़ सिंह को मिले 5 लाख रुपए
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Published : Nov 6, 2019, 9:19 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 10:29 PM IST

राजनांदगांव: पहाड़ सिंह, ये वो नाम है जिसे सुनते ही नक्सल प्रभावित गांव के लोग कांप जाते थे, जो पूरे देश के उन टॉप मोस्टवांटेड नक्सलियों में से एक था, जिसकी तलाश कई राज्यों की पुलिस कर रही थी. पहाड़ सिंह प्रदेश में लाल आंतक का पर्याय बना हुआ था, लेकिन सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया और आज उसे 5 लाख रुपए की राशि दी गई.

पहाड़ सिंह को सरेंडर के बाद मिले 5 लाख रुपए

छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों का दायरा बढ़ाने के पीछे पहाड़ सिंह का बड़ा हाथ रहा है, लेकिन सरेंडर के बाद उसकी निशानदेही और सुरागों के आधार पर सुरक्षा बलों को बड़े पैमाने पर नक्सलियों के खिलाफ सफलता मिली और कई बड़े कैडरों को भी मार गिराया गया.

राजनांदगांव पुलिस ने पहाड़ सिंह को पुनर्वास नीति के तहत जो सुविधाएं दी जानी थी, वह उपलब्ध करा दी हैं. इसके साथ ही एसपी कमलोचन कश्यप ने पहाड़ सिंह को सरेंडर करने पर दिए जाने वाले 5 लाख रुपए भी दिए हैं.

ऐसी है छत्तीसगढ़ की नक्सली समर्पण नीति
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर नीति सबसे बेहतर मानी जाती है. तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार ने साल 2014 में इस नीति में बदलाव किया और इसका फायदा भी मिल रहा है, यही कारण है कि मोस्ट वांटेड पहाड़ सिंह जैसे नक्सली समर्पण कर चुके हैं.

  • छग में समर्पण करने वाले नक्सलियों पर कैडर के मुताबिक 5 लाख से 1 करोड़ रुपए तक की राशि दी जाती है.
  • ये राशि समर्पण करने वाले नक्सली को ही दी जाती है.
  • हथियार सहित सरेंडर करने पर 50 हजार से साढ़े 4 लाख रुपए भी आत्मसमर्पित नक्सली को दिए जाते हैं.

पढ़ें- राज्यपाल अनुसुइया उइके ने लिया जंगल सफारी का आनंद

  • अगर नक्सली इनामी हैं तो उस इनाम की पूरी राशि भी उसी नक्सली को दी जाती है.
  • आत्म समर्पित नक्सली को भरण-पोषण के लिए 10 एकड़ जमीन दी जाती है. वह किसी भी राज्य में दी जाती है.
  • खाद्यान्न की सुविधा, दो बच्चों को बारहवीं तक शिक्षा मुफ्त, हॉस्टल में रहने और परिवहन की सुविधा दी जाती है.
  • परिवार के एक सदस्य को नौकरी और उसमें भी नक्सली अपराध, उम्र और शिक्षा का कोई बंधन नहीं होता.
  • सरेंडर करने वाले को उस केस में न्यायालय में ट्रायल में नहीं जाना पड़ता है.
  • बैंक से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध होती है.

राजनांदगांव: पहाड़ सिंह, ये वो नाम है जिसे सुनते ही नक्सल प्रभावित गांव के लोग कांप जाते थे, जो पूरे देश के उन टॉप मोस्टवांटेड नक्सलियों में से एक था, जिसकी तलाश कई राज्यों की पुलिस कर रही थी. पहाड़ सिंह प्रदेश में लाल आंतक का पर्याय बना हुआ था, लेकिन सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया और आज उसे 5 लाख रुपए की राशि दी गई.

पहाड़ सिंह को सरेंडर के बाद मिले 5 लाख रुपए

छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों का दायरा बढ़ाने के पीछे पहाड़ सिंह का बड़ा हाथ रहा है, लेकिन सरेंडर के बाद उसकी निशानदेही और सुरागों के आधार पर सुरक्षा बलों को बड़े पैमाने पर नक्सलियों के खिलाफ सफलता मिली और कई बड़े कैडरों को भी मार गिराया गया.

राजनांदगांव पुलिस ने पहाड़ सिंह को पुनर्वास नीति के तहत जो सुविधाएं दी जानी थी, वह उपलब्ध करा दी हैं. इसके साथ ही एसपी कमलोचन कश्यप ने पहाड़ सिंह को सरेंडर करने पर दिए जाने वाले 5 लाख रुपए भी दिए हैं.

ऐसी है छत्तीसगढ़ की नक्सली समर्पण नीति
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर नीति सबसे बेहतर मानी जाती है. तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार ने साल 2014 में इस नीति में बदलाव किया और इसका फायदा भी मिल रहा है, यही कारण है कि मोस्ट वांटेड पहाड़ सिंह जैसे नक्सली समर्पण कर चुके हैं.

  • छग में समर्पण करने वाले नक्सलियों पर कैडर के मुताबिक 5 लाख से 1 करोड़ रुपए तक की राशि दी जाती है.
  • ये राशि समर्पण करने वाले नक्सली को ही दी जाती है.
  • हथियार सहित सरेंडर करने पर 50 हजार से साढ़े 4 लाख रुपए भी आत्मसमर्पित नक्सली को दिए जाते हैं.

पढ़ें- राज्यपाल अनुसुइया उइके ने लिया जंगल सफारी का आनंद

  • अगर नक्सली इनामी हैं तो उस इनाम की पूरी राशि भी उसी नक्सली को दी जाती है.
  • आत्म समर्पित नक्सली को भरण-पोषण के लिए 10 एकड़ जमीन दी जाती है. वह किसी भी राज्य में दी जाती है.
  • खाद्यान्न की सुविधा, दो बच्चों को बारहवीं तक शिक्षा मुफ्त, हॉस्टल में रहने और परिवहन की सुविधा दी जाती है.
  • परिवार के एक सदस्य को नौकरी और उसमें भी नक्सली अपराध, उम्र और शिक्षा का कोई बंधन नहीं होता.
  • सरेंडर करने वाले को उस केस में न्यायालय में ट्रायल में नहीं जाना पड़ता है.
  • बैंक से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध होती है.
Intro:राजनांदगांव. नक्सलवाद का दामन छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने वाले पहाड़ सिंह को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति का बड़ा फायदा मिला है राजनांदगांव पुलिस ने पहाड़ सिंह को पुनर्वास नीति के तहत जो सुविधाएं देनी थी वह उपलब्ध करा दी है वहीं अब एसपी कमलोचन कश्यप ने पहाड़ सिंह को सरेंडर करने पर दी जाने वाली रकम ₹500000 की राशि चेक से भेंट की है.

Body:पहाड़ सिंह इस शख्स का नाम सुनते ही नक्सल प्रभावित गांव के लोग थर्रा जाते थे छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों का दायरा बढ़ाने के पीछे पहाड़ सिंह का बड़ा हाथ रहा है लेकिन अब यह शख्स राज्य सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर सरेंडर कर चुका है और अब लग गया है नक्सलवाद की कमर तोड़ने में पहाड़ सिंह ने राजनांदगांव जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात कई नक्सली कैडरों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई है सरेंडर करने के बाद पहाड़ सिंह को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति का बड़ा फायदा मिला है वहीं सरेंडर करने के बाद पुलिस मुख्यालय से दी जाने वाली रकम पहाड़ सिंह को एसपी कब लोचन कश्यप ने चेक के माध्यम से भेंट की है पहाड़ सिंह को ₹500000 की राशि बतौर चेक प्रदान की गई है.

Conclusion:ऐसी है छत्तीसगढ़ की नक्सली समर्पण नीति

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर नीति को सबसे बेहतर मानी जाती है. तत्कालीन सरकार ने साल 2014 में इस नीति में बदलाव किया और उसका फायदा भी मिल रहा है, यही कारण है कि मोस्ट वांटेड पहाड़सिंह जैसे नक्सली समर्पण कर चुके हैं. छग में समर्पण करने वाले नक्सलियों पर कैडर के अनुसार 5 लाख से 1 करोड़ रूपए तक की राशि दी जाती हैं. यह राशि समर्पण करने वाले नक्सली को ही दी जाती है. हथियार सहित सरेंडर करने पर 50 हजार से साढ़े 4 लाख रुपए भी उसी नक्सली को दिया जाता है.अगर नक्सली ईनामी हैं तो उस ईनाम की पूरी राशि भी उसी नक्सली को दी जाती हैं. साथ ही भरण-पोषण के लिये 10 एकड़ जमीन दी जाती है. वह भी किसी भी राज्य में दी जाती है. खाद्यान्न की सुविधा, दो बच्चों को बारहवीं तक शिक्षा मुफ्त, हॉस्टल में रहने और परिवहन की सुविधा दी जाती है. एक सदस्य को नौकरी और उसमें भी नक्सली अपराध, उम्र और शिक्षा का कोई बंधन नहीं. सरेंडर करने वाले को उस केस में न्यायालय में ट्रायल में नहीं जाना पड़ता है. बैंक से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध.

Bite एएसपी गोरखनाथ बघेल
Last Updated : Nov 6, 2019, 10:29 PM IST
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