राजनांदगांव: लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा किसान और मजदूरों को परेशान किया है. वहीं खैरागढ़ ब्लॉक के बाजार अतरिया से लगे ग्राम आमाघाट के स्कूल भवन में क्वॉरेंटाइन के लिए ठहरे मजदूर गांव लौटने के बाद भी अपनों से मिलने को तरस गए हैं. यहां महिला-पुरुष और बच्चों के साथ कुल 105 लोग हैं, जिन्हें गांव आते ही पंचायत ने क्वॉरेंटाइन कर दिया है.
शिरडी-मुबंई, हैदराबाद और नागपुर जैसे शहरों से लौटे श्रमिकों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है. जिसके कारण गांव आने के बाद भी मजदूर अपने परिवार के लोगों से दूर हैं.
![laborers unable to meet their family Quarantine for 28 days in rajnandgaon](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-rajnandgaon-khairagarh-gharwapsi-02-cgc10052_16052020210425_1605f_1589643265_890.jpg)
20 साल से नहीं मिला परिवार से: मजदूर
मुंबई से लौटे यादराम लोधी ने कहा कि पिछले 20 साल से वे मुंबई में ही रहकर मजदूरी कर रहे थे, लेकिन कभी भी ऐसे हालात नहीं देखे. कोरोना संक्रमण ने परिवारों को ही बांट दिया है. उन्होंने कहा कि डेढ़ माह से लॉकडाउन के कारण वो मुंबई में ही फंसे थे. परिवार से मिलने के लिए वो जैसे-तैसे साथियों के साथ गांव लौट गए हैं, लेकिन यहां भी 28 दिनों तक परिवार से अलग रखा जा रहा है.
![laborers unable to meet their family Quarantine for 28 days in rajnandgaon](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-rajnandgaon-khairagarh-gharwapsi-02-cgc10052_16052020210425_1605f_1589643265_1060.jpg)
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नहीं हुई मेडिकल जांच
मजदूर पुरुषोत्तम पटेल और झरोखाराम वर्मा ने कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में दस दिन गुजार दिए, लेकिन अभी तक कोई भी मेडिकल टीम उनकी जांच के लिए नहीं पहुंची है.
ग्राम पंचायत सरपंच देवेंद्र शोरी का कहना है कि प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई राहत पैकेज नहीं दिया गया है, इसलिए पंचायत क्वॉरेंटाइन हुए लोगों को कोई मदद भी नहीं कर पा रही है. प्रशासन यदि राहत पैकेज देता, तो हम क्वॉरेंटाइन लोगों को सुविधा उपलब्ध करा पाते.
पंचायतों तक नहीं पहुंचा पैकेज
सरकार की ओर से राहत पैकेज के लिए जिले में राशि भेज दी गई है, लेकिन ये ग्राम पंचायत तक अभी तक नहीं पहुंच पाई है. इसलिए पंचायत की ओर से भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. यहां लगभग 105 मजदूर बाहर से आए हुए हैं, जिनको पंचायत की ओर से क्वॉरेंटाइन किया गया है. यहां क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है.