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SPECIAL: ऑनलाइन एजुकेशन के लिए नहीं है स्मार्ट फोन, पेड़ के नीचे लग रही क्लास - इरफान अहमद कुरैशी

राजनांदगांव जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां नेटवर्क की समस्या है. ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन भी नहीं है, छुरिया ब्लॉक में पदस्थ शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी ने इस समस्या को दूर करने के लिए पेड़ के नीचे क्लास लगाने का तरीका अपनाया है.

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पेड़ के नीचे पढ़ाई
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Published : Aug 8, 2020, 4:22 PM IST

राजनांदगांव: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने लोगों के काम करने के तरीके को बदल दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव हुआ है. स्कूलों में चलने वाली पढ़ाई अब ऑनलाइन क्लास में तब्दील हो चुकी है. राज्य शासन ने पढ़ई तुंहर दुआर योजना से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जोड़ने का फरमान जारी कर दिया है.

पेड़ के नीचे पढ़ाई

कई जगहों पर शिक्षक ऑनलाइन क्लास भी ले रहे हैं, लेकिन कई गांव में नेटवर्क की समस्या है. ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं. अभिभावकों के सामने ये समस्या है कि वे बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस कैसे लगाएं. पूर्व माध्यमिक शाला रतनभाट में पदस्थ शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी ने इस समस्या का भी हल निकाल लिया है.

गांव में ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई को फेल होता देख छुरिया ब्लॉक में पदस्थ शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी खुद गांव पहुंच गए और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए बरगद के पेड़ के नीचे बच्चों की क्लास लगा दी. बच्चे अब ध्यान से पढ़ाई कर रहे हैं. खुली हवा में पेड़ के नीचे पढ़ाई करने से वे खुश भी नजर आ रहे हैं. खास बात यह भी है कि सभी बच्चे मास्क भी पहन रहे हैं.
दिक्कतों के चलते निकाला हल

ETV भारत से चर्चा के दौरान शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी ने बताया कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रतनभाट में 17 बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों के पालकों के पास स्मार्टफोन नहीं है. ऐसी स्थिति में ऑनलाइन क्लास लेना संभव ही नहीं था. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए उन्होंने ये हल निकाला है. इरफान ने बताया कि लंबे समय तक सोचने के बाद उन्होंने गांव पहुंच कर बच्चों को पढ़ाने का प्लान बनाया. कुरैशी बताते हैं कि इसके लिए पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी कि बच्चों को कहां और कैसे पढ़ाना है. वे बताते हैं कि बच्चे हर रोज मास्क पहनकर घर से निकलते हैं और फिर बरगद के नीचे बैठकर अपनी पढ़ाई करते है. गांव के लोग भी शिक्षक की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं.


स्कूल भवन बना क्वॉरेंटाइन सेंटर

शिक्षक कुरैशी ने बताया कि शासन-प्रशासन की ओर से स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. स्कूल को क्वॉरेंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई पेड़ के नीचे कराई जा रही है.

घर पर हो रहे थे बोर

बच्चों का कहना है कि लंबे समय से स्कूल बंद होने के कारण वो घर पर बोर हो रहे थे. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण कहीं आना-जाना भी नहीं हो पा रहा था. पढ़ाई भी पूरी तरीके से बंद थी, लेकिन अब पढ़ाई दोबारा शुरू होने के कारण वे खूब मजे से पढ़ रहे हैं. बच्चों का कहना है कि वह खुश हैं कि ऐसे मुश्किल हालात में भी पढ़ाई का नुकसान नहीं हो रहा है.

अफसर भी करें प्रयास

ऑनलाइन क्लास के संचालन में आ रही दिक्कतों को लेकर कांग्रेस नेता रोशन यदु का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की पढ़ई तुंहर दुआर योजना काफी अच्छी है. कोरोनाकाल में जिस तरीके से लोगों के काम करने का तरीका बदला है. ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार ने काफी अच्छी पहल की है. जमीनी स्तर पर जो दिक्कतें आ रहीं हैं, उसे प्रशासनिक अफसरों को दुरुस्त करना होगा. उन्होंने कहा कि शिक्षक कुरैशी के इस जज्बे ने सभी के लिए एक मिसाल पेश की है.

राजनांदगांव: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने लोगों के काम करने के तरीके को बदल दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव हुआ है. स्कूलों में चलने वाली पढ़ाई अब ऑनलाइन क्लास में तब्दील हो चुकी है. राज्य शासन ने पढ़ई तुंहर दुआर योजना से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जोड़ने का फरमान जारी कर दिया है.

पेड़ के नीचे पढ़ाई

कई जगहों पर शिक्षक ऑनलाइन क्लास भी ले रहे हैं, लेकिन कई गांव में नेटवर्क की समस्या है. ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं. अभिभावकों के सामने ये समस्या है कि वे बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस कैसे लगाएं. पूर्व माध्यमिक शाला रतनभाट में पदस्थ शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी ने इस समस्या का भी हल निकाल लिया है.

गांव में ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई को फेल होता देख छुरिया ब्लॉक में पदस्थ शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी खुद गांव पहुंच गए और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए बरगद के पेड़ के नीचे बच्चों की क्लास लगा दी. बच्चे अब ध्यान से पढ़ाई कर रहे हैं. खुली हवा में पेड़ के नीचे पढ़ाई करने से वे खुश भी नजर आ रहे हैं. खास बात यह भी है कि सभी बच्चे मास्क भी पहन रहे हैं.
दिक्कतों के चलते निकाला हल

ETV भारत से चर्चा के दौरान शिक्षक इरफान अहमद कुरैशी ने बताया कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रतनभाट में 17 बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों के पालकों के पास स्मार्टफोन नहीं है. ऐसी स्थिति में ऑनलाइन क्लास लेना संभव ही नहीं था. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए उन्होंने ये हल निकाला है. इरफान ने बताया कि लंबे समय तक सोचने के बाद उन्होंने गांव पहुंच कर बच्चों को पढ़ाने का प्लान बनाया. कुरैशी बताते हैं कि इसके लिए पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी कि बच्चों को कहां और कैसे पढ़ाना है. वे बताते हैं कि बच्चे हर रोज मास्क पहनकर घर से निकलते हैं और फिर बरगद के नीचे बैठकर अपनी पढ़ाई करते है. गांव के लोग भी शिक्षक की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं.


स्कूल भवन बना क्वॉरेंटाइन सेंटर

शिक्षक कुरैशी ने बताया कि शासन-प्रशासन की ओर से स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. स्कूल को क्वॉरेंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई पेड़ के नीचे कराई जा रही है.

घर पर हो रहे थे बोर

बच्चों का कहना है कि लंबे समय से स्कूल बंद होने के कारण वो घर पर बोर हो रहे थे. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण कहीं आना-जाना भी नहीं हो पा रहा था. पढ़ाई भी पूरी तरीके से बंद थी, लेकिन अब पढ़ाई दोबारा शुरू होने के कारण वे खूब मजे से पढ़ रहे हैं. बच्चों का कहना है कि वह खुश हैं कि ऐसे मुश्किल हालात में भी पढ़ाई का नुकसान नहीं हो रहा है.

अफसर भी करें प्रयास

ऑनलाइन क्लास के संचालन में आ रही दिक्कतों को लेकर कांग्रेस नेता रोशन यदु का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की पढ़ई तुंहर दुआर योजना काफी अच्छी है. कोरोनाकाल में जिस तरीके से लोगों के काम करने का तरीका बदला है. ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार ने काफी अच्छी पहल की है. जमीनी स्तर पर जो दिक्कतें आ रहीं हैं, उसे प्रशासनिक अफसरों को दुरुस्त करना होगा. उन्होंने कहा कि शिक्षक कुरैशी के इस जज्बे ने सभी के लिए एक मिसाल पेश की है.

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