राजनांदगांव: नक्सल हिंसा में प्रभावित हुए परिवारों को हाईकोर्ट ने राहत दी है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला प्रशासन को नक्सल प्रभावितों के परिजनों को 3 महीने के अंदर आवश्यक सुविधाओं सहित सरकारी नौकरी देनी होगी. इसके लिए हाईकोर्ट में कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य को आदेश जारी किया है.
याचिका में हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि याचिका दायर करने वाले कुल 18 लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें नक्सल हिंसा प्रभावित पुनर्वास योजना के तहत सरकारी नौकरी सहित आवश्यक सुविधाएं दी जाएं.
आत्मसमर्पण नक्सलियों को मिलती है सुविधा
परिजनों का कहना है कि राज्य सरकार नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पर सारी सुविधा मुहैया करती है, लेकिन जिन नक्सलियों ने उनके परिवार का सब कुछ छीन लिया, उनके परिवार के सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया. इससे उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई.
परिजनों को नहीं मिल रही है सुविधाएं
किसी ने अपना पिता खोया तो किसी ने अपना बेटा, इससे अब उनके परिवार के पास कोई सहारा नहीं बचा है, उन परिवारों की ओर राज्य शासन ध्यान नहीं दे रही है, लेकिन जिला प्रशासन ने नक्सल हिंसा प्रभावित परिवार के सदस्यों को सुविधाएं देने में कोताही बरत रहा है. इसके चलते प्रभावित परिवार के अलग-अलग करीब 18 सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मुआवजा राशि में भी बंदरबांट
नक्सल हिंसा प्रभावित परिवार के सदस्यों को जो मुआवजा राशि दी जानी चाहिए थी, वह भी अब तक नहीं मिल पाई है. वहीं कुछ सदस्यों को मुआवजा राशि की सही रकम नहीं मिल पाई है. किसी सदस्य को एक लाख तो किसी को दो लाख तक की राशि दे दी गई है, जबकि उन्हें निर्धारित राशि से कम राशि दी गई है. सदस्यों की मानें, तो मुआवजा राशि में भी जमकर बंदरबांट किया गया है. इस बात को लेकर नक्सल हिंसा प्रभावित परिवारों में काफी नाराजगी थी.
हाईकोर्ट में दायर की याचिका
14 नक्सल हिंसा प्रभावित परिवार के लोगों ने हाईकोर्ट में राज्य शासन की पुनर्वास नीति के सही क्रियान्वयन नहीं होने को लेकर याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने उक्त याचिका पर फैसला सुना दिया है.
बैठक कर लेंगे फैसला
इस मामले में कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य का कहना है कि नक्सल हिंसा प्रभावित परिवारों कि जो भी मांग रही है, उन्हें समय-समय पर पूरा किया गया है. आदेश में बैठक कर जो सुविधा परिवार को दी जा सकती है. इस संबंध में फैसला लिया जाएगा.