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सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल केस में राज्य सरकार को मिला दो दिन का समय

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Published : May 19, 2021, 10:10 PM IST

राजनांदगांव के सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल और रायपुर के एमिटी यूनिवर्सिटी केस में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल केस में कोर्ट ने सरकार के सभी दस्तावेज जमा करने के लिए 2 दिन का समय दिया है. वहीं एमिटी केस में अगले 7 जून को सुनवाई होनी है.

bilaspur high court
सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल केस में राज्य सरकार को मिला दो दिन का समय

बिलासपुर: सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल राजनांदगांव से कोरोना संक्रमितों के इलाज की अनुमति वापस लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इसपर सुनवाई करते हाईकोर्ट ने राज्य शासन को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए दो दिनों का समय दिया है. सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल राजनांदगांव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि हॉस्पिटल को पहले से ही कोविड मरीजों के ईलाज की अनुमति थी. अचानक सीएमएचओ ने अनुमति वापस ले ली है.

21 मई को होगी फिर से सुनवाई

इसके खिलाफ अस्पताल प्रबंधन ने याचिका दायर कर दी है. मामले में जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच के सामने याचिकाकर्ता के वकील ने सोमवार को सुनवाई के दौरान बताया कि इस तरह की कार्रवाई बिना किसी सूचना और सुनवाई का मौका दिए बिना किया गया है. इसलिए उन्हें दोबारा कोविड मरीजों के ईलाज की अनुमति दी जाए. सुनवाई के बाद अदालत ने शासन से दो दिन में जवाब तलब किया था और आज कोर्ट में शासन ने जवाब भी पेश किया, लेकिन इसमें सबंधित दस्तावेज पूरे नहीं आ सके थे. जिसके बाद अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए हाइकोर्ट ने शासन को 2 दिन का और समय दिया है. अब मामले में 21 मई शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी.

फीस केस में भी हुई सुनवाई

इधर, ट्यूशन फीस में छूट के साथ किश्तों में जमा करने के लिए लगाई गई छात्र-छात्राओं की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी कर एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति से जवाब-तलब किया है.

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एमिटी यूनिवर्सिटी कुलपति से जवाब-तलब

एमिटी यूनिवर्सिटी रायपुर के छात्र-छात्राओं ने कुलपति के सामने आवेदन प्रस्तुत कर कोरोना काल में हो रही परेशानी और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण ट्यूशन फीस में छूट देने की मांग की थी, लेकिन छात्र-छात्राओं के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर 100 से अधिक एमबीए और फैशन डिजाइनर सहित अलग-अलग डिपार्टमेंट के छात्र-छात्राओं ने अधिवक्ता प्रवीण दास के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल के कारण अभिभावकों के वित्तीय स्थिति खराब हो गई है. साथ ही वर्तमान में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है. बावजूद इसके यूनिवर्सिटी ने एक से डेढ़ लाख रुपये की भारी फीस एक साथ जमा करने को कहा है. इस केस में आगामी सुनवाई 7 जून को होगी.

बिलासपुर: सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल राजनांदगांव से कोरोना संक्रमितों के इलाज की अनुमति वापस लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इसपर सुनवाई करते हाईकोर्ट ने राज्य शासन को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए दो दिनों का समय दिया है. सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल राजनांदगांव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि हॉस्पिटल को पहले से ही कोविड मरीजों के ईलाज की अनुमति थी. अचानक सीएमएचओ ने अनुमति वापस ले ली है.

21 मई को होगी फिर से सुनवाई

इसके खिलाफ अस्पताल प्रबंधन ने याचिका दायर कर दी है. मामले में जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच के सामने याचिकाकर्ता के वकील ने सोमवार को सुनवाई के दौरान बताया कि इस तरह की कार्रवाई बिना किसी सूचना और सुनवाई का मौका दिए बिना किया गया है. इसलिए उन्हें दोबारा कोविड मरीजों के ईलाज की अनुमति दी जाए. सुनवाई के बाद अदालत ने शासन से दो दिन में जवाब तलब किया था और आज कोर्ट में शासन ने जवाब भी पेश किया, लेकिन इसमें सबंधित दस्तावेज पूरे नहीं आ सके थे. जिसके बाद अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए हाइकोर्ट ने शासन को 2 दिन का और समय दिया है. अब मामले में 21 मई शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी.

फीस केस में भी हुई सुनवाई

इधर, ट्यूशन फीस में छूट के साथ किश्तों में जमा करने के लिए लगाई गई छात्र-छात्राओं की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी कर एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति से जवाब-तलब किया है.

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एमिटी यूनिवर्सिटी कुलपति से जवाब-तलब

एमिटी यूनिवर्सिटी रायपुर के छात्र-छात्राओं ने कुलपति के सामने आवेदन प्रस्तुत कर कोरोना काल में हो रही परेशानी और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण ट्यूशन फीस में छूट देने की मांग की थी, लेकिन छात्र-छात्राओं के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर 100 से अधिक एमबीए और फैशन डिजाइनर सहित अलग-अलग डिपार्टमेंट के छात्र-छात्राओं ने अधिवक्ता प्रवीण दास के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल के कारण अभिभावकों के वित्तीय स्थिति खराब हो गई है. साथ ही वर्तमान में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है. बावजूद इसके यूनिवर्सिटी ने एक से डेढ़ लाख रुपये की भारी फीस एक साथ जमा करने को कहा है. इस केस में आगामी सुनवाई 7 जून को होगी.

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