राजनांदगांव: कोरोना काल में जिम्मेदारी से ड्यूटी निभा रहे नगर पालिका सीएमओ, सब इंजीनियर सहित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन के लिए शासन का मुंह ताकना पड़ रहा है. उन्हें पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है. जानकारी के मुताबिक कर्मचारियों को वेतन देने के लिए शासन से ही फंड स्वीकृत नहीं हुआ है, जिसकी वजह से अधिकारी-कर्मचारियों की सैलरी अटकी पड़ी है.
कोरोना काल में अपनी सेवा देने वाले लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. खासतौर पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. पालिका के स्टॉफ, सब इंजीनियर सहित चार कर्मचारी संक्रमित होने के बाद भी अपनी निस्वार्थ सेवा दे रहे है. इस दौरान वे सफाई व्यवस्था, बिजली, राजस्व करों की वसूली, नियमित काम सहित कोरोना संक्रमण के गाइडलाइन का पालन कराने में भी अपनी अहम भूमिका निभाते आ रहे है. इसके बाद भी शासन की ओर से फंड जारी नहीं होना समझ से परे हैं.
लाखों का मिलता है फंड
नगर पालिका में सीएमओ, सब इंजीनियर, नियमित सहित 29 अधिकारी-कर्मचारी पदस्थ हैं. वहीं प्लेसमेंट कर्मी, दैनिक वेतनभोगी सहित अन्य मिलकर नगर पालिका में 86 कर्मचारी है. जिनकी सैलरी हर महीने करीब 22 लाख रूपये बनती है. ऐसे में दो महीने का वेतन करीब 44 लाख रूपये बन रहा है, लेकिन फंड नहीं होने के कारण एक भी स्टॉफ को वेतन नहीं मिला है. अब सभी की निगाहे शासन की ओर टिकी हुई है कि कब फंड जारी होगी, फिर कब तक उन्हें वेतन मिल पाएगा.
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हर काम में आगे, लेकिन वेतन में पीछे
कोरोना के शुरूआती दौर से लेकर अब तक अधिकारी-कर्मचारी निस्वार्थ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. इस दौरान लॉकडाउन का पालन कराने, गुमास्ता के तहत दुकाने बंद कराने, दुकानों सहित शहर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने, बिना मास्क लगाए घूमने वालों पर कार्रवाई करने सहित अन्य व्यवस्था के लिए मोर्चे पर तैनात है. बताया जा रहा है कि कर्मचारियों ने बिना मास्क घूमने वालों से करीब 50 हजार रूपये जुर्माना वसूला है.