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धान के रकबे में कटौती से राजनांदगांव के किसान शासन-प्रशासन से नाराज

राज्य शासन ने पिछले साल 3 लाख 28 हजार हेक्टेयर में धान फसल के लिए प्लानिंग के निर्देश दिए थे. वहीं इस बार सिर्फ 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर की योजना बनाई गई है. इस तरह पिछले साल के मुकाबले करीब तीस हजार हेक्टेयर पर कैंची चला दी गई है. जिससे राजनांदगांव के किसान नाराज हैं.

Farmers of Rajnandgaon are angry due to paddy acreage being reduced
राजनांदगांव के किसान शासन-प्रशासन से नाराज
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Published : May 20, 2021, 11:09 PM IST

राजनांदगांव: राजीव गांधी किसान न्याय योजना से उत्साहित किसानों को राज्य शासन ने बड़ा झटका दिया है. पिछले छह साल के धान रकबे में गौर करें तो शासन ने दो साल में धान के रकबे में जबर्दस्त कटौती कर दी है. वहीं पिछले रिकार्ड में राज्य शासन ने लगातार चार साल तक धान के रकबे में बढ़ोत्तरी की थी. लेकिन पिछले दो साल से रकबे की कटौती किए जाने से किसानों में नाराजगी सामने आ रही है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना बोनस में कटौती किसानों के साथ धोखा: धरमलाल कौशिक

राज्य शासन राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति क्विंटल 25 सौ रुपए का भुगतान कर रही है. जिसके चलते जिले में दलहन-तिलहन के किसान उत्साहित होकर धान की खेती कर रहे हैं. लेकिन शासन ने पिछले दो रकबा में कटौती कर दी है. साथ ही शासन ने दलहन और तिलहन के रकबे में भारी इजाफा किया है.

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पिछले साल किसानों को दलहन फसल के लिए प्रेरित सोयाबीन का रकबा 23969 हेक्टेयर कर रकबे में बढ़ोत्तरी की गई है. जिसे बढ़ाकर इस बार 34100 हेक्टेयर किया गया है. राज्य शासन ने पिछले साल 3 लाख 28 हजार हेक्टेयर में धान फसल के लिए प्लानिंग के निर्देश दिए थे. वहीं इस बार सिर्फ 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर की योजना बनाई गई है. इस तरह पिछले साल के मुकाबले करीब तीस हजार हेक्टेयर पर कैंची चला दी गई है.

समर्थन मूल्य पर धान बेचने की उम्मीद पर फिरा पानी

किसान धान फसल में अच्छी कीमत मिलने के चलते इसकी खेती करते हैं. किसानों को प्रति क्विंटल सौ रुपए भुगतान किया जाता है. खरीफ सीजन में अच्छी कीमत की उम्मीद लगाए ही किसान धान की खेती करते हैं. लेकिन राज्य शासन धान के रकबे में कटौती कर किसानों को झटका दे रही है. जबकि बाजार में दलहन और तिलहन को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाता है. अफसरों का कहना है कि दलहन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

दो साल से धान के रकबे में की गई है कटौती

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में धान का रकबा 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर पर था. वहीं वर्ष 2017 में बदकर 2 लाख 91 हजार हेक्टेयर, 2018 में बढ़कर 2 लाख 99 हजार हेक्टेयर, वर्ष 2019 में बढ़कर 3 लाख 80 हजार 541 हेक्टेयर था. जबकि वर्ष 2020 में घटकर रकबा 3 लाख 28 हजार हो गया. वहीं वर्ष 2021 में और भी घटकर 2 लाख 98 हजार हो गया है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की अगली किस्त का 21 मई को होगा भुगतान, राहुल गांधी हो सकते हैं शामिल

किसानों में आक्रोश

किसान नेता अशोक चौधरी का कहना है कि लगातार राज्य सरकार कृषि रकबे में कटौती कर रही है. अलग-अलग तरीके से राजस्व विभाग किसान के रकबे को कम करने की कोशिश में लगी हुई है. उन्होंने कहा है कि दरअसल राज्य सरकार किसानों को समर्थन मूल्य कम से कम देना पड़े इसके लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है.

गाइडलाइन का कर रहा है पालन

इस मामले में कलेक्टर टीके वर्मा का कहना है कि राज्य शासन से मिले निर्देशों का पालन किया जा रहा है. किसानों के लिए कृषि विभाग में अलग-अलग फसल उत्पादन के लिए इसकी में आ रही है इसके हिसाब से किसानों को अलग-अलग खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

राजनांदगांव: राजीव गांधी किसान न्याय योजना से उत्साहित किसानों को राज्य शासन ने बड़ा झटका दिया है. पिछले छह साल के धान रकबे में गौर करें तो शासन ने दो साल में धान के रकबे में जबर्दस्त कटौती कर दी है. वहीं पिछले रिकार्ड में राज्य शासन ने लगातार चार साल तक धान के रकबे में बढ़ोत्तरी की थी. लेकिन पिछले दो साल से रकबे की कटौती किए जाने से किसानों में नाराजगी सामने आ रही है.

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राज्य शासन राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति क्विंटल 25 सौ रुपए का भुगतान कर रही है. जिसके चलते जिले में दलहन-तिलहन के किसान उत्साहित होकर धान की खेती कर रहे हैं. लेकिन शासन ने पिछले दो रकबा में कटौती कर दी है. साथ ही शासन ने दलहन और तिलहन के रकबे में भारी इजाफा किया है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना: सरकार से किसानों ने की एकमुश्त राशि भुगतान करने की मांग

पिछले साल किसानों को दलहन फसल के लिए प्रेरित सोयाबीन का रकबा 23969 हेक्टेयर कर रकबे में बढ़ोत्तरी की गई है. जिसे बढ़ाकर इस बार 34100 हेक्टेयर किया गया है. राज्य शासन ने पिछले साल 3 लाख 28 हजार हेक्टेयर में धान फसल के लिए प्लानिंग के निर्देश दिए थे. वहीं इस बार सिर्फ 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर की योजना बनाई गई है. इस तरह पिछले साल के मुकाबले करीब तीस हजार हेक्टेयर पर कैंची चला दी गई है.

समर्थन मूल्य पर धान बेचने की उम्मीद पर फिरा पानी

किसान धान फसल में अच्छी कीमत मिलने के चलते इसकी खेती करते हैं. किसानों को प्रति क्विंटल सौ रुपए भुगतान किया जाता है. खरीफ सीजन में अच्छी कीमत की उम्मीद लगाए ही किसान धान की खेती करते हैं. लेकिन राज्य शासन धान के रकबे में कटौती कर किसानों को झटका दे रही है. जबकि बाजार में दलहन और तिलहन को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाता है. अफसरों का कहना है कि दलहन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

दो साल से धान के रकबे में की गई है कटौती

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में धान का रकबा 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर पर था. वहीं वर्ष 2017 में बदकर 2 लाख 91 हजार हेक्टेयर, 2018 में बढ़कर 2 लाख 99 हजार हेक्टेयर, वर्ष 2019 में बढ़कर 3 लाख 80 हजार 541 हेक्टेयर था. जबकि वर्ष 2020 में घटकर रकबा 3 लाख 28 हजार हो गया. वहीं वर्ष 2021 में और भी घटकर 2 लाख 98 हजार हो गया है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की अगली किस्त का 21 मई को होगा भुगतान, राहुल गांधी हो सकते हैं शामिल

किसानों में आक्रोश

किसान नेता अशोक चौधरी का कहना है कि लगातार राज्य सरकार कृषि रकबे में कटौती कर रही है. अलग-अलग तरीके से राजस्व विभाग किसान के रकबे को कम करने की कोशिश में लगी हुई है. उन्होंने कहा है कि दरअसल राज्य सरकार किसानों को समर्थन मूल्य कम से कम देना पड़े इसके लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है.

गाइडलाइन का कर रहा है पालन

इस मामले में कलेक्टर टीके वर्मा का कहना है कि राज्य शासन से मिले निर्देशों का पालन किया जा रहा है. किसानों के लिए कृषि विभाग में अलग-अलग फसल उत्पादन के लिए इसकी में आ रही है इसके हिसाब से किसानों को अलग-अलग खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

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