ETV Bharat / state

राजनांदगांव : उपज मंडी में फसल बेचने से दूर भागते किसान

खैरागढ़ में शासन की बनाई उपज मंडी में किसान अपनी फसल बेचने से कतरा रहे हैं, किसानों को मंडी में उपज बेचने से उचित दाम नहीं मिलता है.

उपज मंडी
author img

By

Published : Nov 23, 2019, 3:16 PM IST

राजनांदगांव : खैरागढ़ में किसानों के उपज बेचने के लिए लाखों रुपयों की लागत से बने कृषि उपज मंडी का लाभ क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा है. अमलीपारा में बनें कृषि उपज मंडी में खरीदी के लिए पर्याप्त सुविधा शासन ने उपलब्ध कराई है, लेकिन मंड़ी प्रांगण में कभी खरीदी नहीं हो पाई है. 2 साल पहले शासन ने किसानों और व्यापारियों के बीच सामंजस्य बनाकर खरीदी की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन किसानों ने घाटे की बात कहकर हाथ पीछे खींच लिया.

मंडी प्रांगण में खरीदी नहीं होने की वजह से किसानों को उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती है. जिसका खामियाजा किसानों और अन्नदाताओं को उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बड़े व्यापारियों की वजह से उन्हे उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती है.

पढ़ें : धान तस्करों ने निकाला नया तरीका, प्रशासन के छूट रहे पसीने
इलाके में 300 से ज्यादा व्यापारियों का पंजीयन हो चुका है, इसमें शहर के साथ गातापार जंगल, पाडादाह, देवरी, गाडाघाट, मुढीपार, जालबांधा, बाजार अतरिया, ढिमरीनकुआं, बढ़इटोला जैसे इलाकों में भी छोटे व्यापारी सक्रिय हैं.

राजनांदगांव : खैरागढ़ में किसानों के उपज बेचने के लिए लाखों रुपयों की लागत से बने कृषि उपज मंडी का लाभ क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा है. अमलीपारा में बनें कृषि उपज मंडी में खरीदी के लिए पर्याप्त सुविधा शासन ने उपलब्ध कराई है, लेकिन मंड़ी प्रांगण में कभी खरीदी नहीं हो पाई है. 2 साल पहले शासन ने किसानों और व्यापारियों के बीच सामंजस्य बनाकर खरीदी की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन किसानों ने घाटे की बात कहकर हाथ पीछे खींच लिया.

मंडी प्रांगण में खरीदी नहीं होने की वजह से किसानों को उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती है. जिसका खामियाजा किसानों और अन्नदाताओं को उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बड़े व्यापारियों की वजह से उन्हे उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती है.

पढ़ें : धान तस्करों ने निकाला नया तरीका, प्रशासन के छूट रहे पसीने
इलाके में 300 से ज्यादा व्यापारियों का पंजीयन हो चुका है, इसमें शहर के साथ गातापार जंगल, पाडादाह, देवरी, गाडाघाट, मुढीपार, जालबांधा, बाजार अतरिया, ढिमरीनकुआं, बढ़इटोला जैसे इलाकों में भी छोटे व्यापारी सक्रिय हैं.

Intro:खैरागढ़. शहर में 24 साल पहले किसानों के उपज बेचने के लिए स्थापित किए गए लाखों की कृषि उपज मंडी का लाभ क्षेत्र के किसानों को नही मिल रहा है। शहर के अमलीपारा में बनें कृषि उपज मंडी में खरीदी के लिए पर्याप्त सुविधा शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है लेकिन मंडी प्रांगण में कभी भी खरीदी नही हो पाई। दो साल पहले शासन ने किसानों और व्यापारियों के बीच सामन्जस्य बनाकर खरीदी प्रक्रिया भी शुरू कराई लेकिन सप्ताह भर में ही व्यापारियों ने इसमें घाटा होता देख हाथ पीछे खींच लिया। मंडी प्रांगण में खरीदी के लिए पूरे साजो सामान, पर्याप्त खादयान रखनें शेड सहित खरीदी किए जाने पर्याप्त व्यवस्थित जगह उपलब्ध है। लेकिन यहाँ खरीदी की प्रक्रिया में शासन प्रशासन का ध्यान नही है।Body:0 व्यापारियों के पास नही मिल रही कीमत

सर्वसुविधायुक्त मंडी प्रांगण होने के बाद भी खरीदी नही होने से किसानों को अपनी उपज की पर्याप्त कीमत नही मिल रही है जिसका खामियाजा किसानों व अन्नदाताओं को उठाना पड़ रहा है। शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य में धान की खरीदी एक दिसंबर से की जानी है। खरीदी मे देरी के चलते किसानों को अपनी उपज बेचनें मंडी की बजाय व्यापारियों के पास जाना पड़ रहा है। व्यापारियों के पास धान का मूल्य 12 से 14 सौ प्रति क्विंटल से ज्यादा नही मिल पा रहा है। इसके कारण किसानों को अपनी उपज औने पौने में बेचने की परेशानी उठानी पड़ रही है।Conclusion:0 इलाके में 3 सौ से अधिक व्यापारियों का पंजीयन

कृषि उपज मंडी में शहर सहित पूरे इलाकें के 3 सौ से अधिक बड़े छोटे व्यापारियों का पंजीयन है इसमें शहर के साथ साथ गातापार जंगल, पाडादाह, देवरी, गाडाघाट, मुढीपार, जालबांधा, बाजार अतरिया, ढिमरीनकुआं, बढ़इटोला जैसे इलाकों में भी छोटे व्यापारी सक्रिय है शहर के लगभग सभी इलाकों में बड़े व्यापारियों के पास रोजाना किसान अपनी उपज बेचने पहुंचते है। ऐसे में मंडी प्रांगण में व्यापारियों द्वारा किसानों की उपज लिए जाने पर किसानों को इसका बेहतर दाम मिल सकता है लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नही हो पाए।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.