कांकेर: 54 गांवों के लोग फ्लोराइड वाला पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं. बच्चे, बूढ़े और नौजवान सभी फ्लोराइड की मात्रा पानी में ज्यादा होने से फ्लोरोसिस नामक बीमारी की गिरफ्त में आते जा रहे हैं. सभी उम्र के लोगों के दांतों का रंग तेजी से पीला पड़ता जा रहा है. बच्चों के दांत तो अभी से खराब होने लगे हैं. फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोगों को हड्डी से जुड़े रोग भी तेजी से हो रहे हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से हेल्थ कैंप लगाया गया है. स्वास्थ शिविर में आने वालों की जांच की जा रही है. प्रभावितों को दवाएं और जरुरी सामान भी दिया जा रहा है.
फ्लोराइड वाला पानी कर रहा बीमार: पानी में सीमित मात्रा में फ्लोराइड हो तो ठीक होता है. अगर पानी में फ्लोराइड की मात्रा तय मानकों से ज्यादा होगी तो वो हमारे शरीर पर बुरा असर डालेगी. कांकेर के इन 54 गांवों में कुछ ऐसा ही हो रहा है. ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से गांव वालों को दांतों और हड्डियों की बीमारी हो रही है. मेडिकल कैंप के जरिए लोगों को जागरुक करने की कोशिश की जा रही है. गांव वालों से फ्लोराइड वाला पानी नहीं पीने की सलाह दी जा रही है. गांव वालों की मजबूरी है कि वो पानी कहां से लाकर पीएं.
फ्लोरोसिस बीमारी की चपेट में कई गांव के लोग हैं. शिविर लगाकर हम लोगों को जागरुक कर रहे हैं. मरीजों का इलाज भी किया जा रहा है. :महेश शांडिया, स्वास्थ्य अधिकारी, कांकेर
जिले के कई गांवों में पानी में फ्लोराइड और आयरन की मात्रा ज्यादा है. सबसे ज्यादा प्रभावित गांव नरहरपुर है. हमारी कोशिश है कि इलाके में जो फ्लोराइड रिमूवल प्लांट बंद हो गए हैं उनको चालू किया जाए. ग्राउंड वाटर की जांच भी लोक स्वास्थ्य और यांत्रिकी विभाग के अधिकारी कर रहे हैं. जहां कहीं भी लापरवाही होगी उसपर कार्रवाई होगी. जिन जगहों से फ्लोराइड युक्त पानी यूज किया जा रहा है उस स्रोत को अभी तक बंद नहीं किया गया है. :नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर
क्या है फ्लोरोसिस बीमारी: फ्लोरोसिस बीमारी एक ऐसी स्थिति है जो फ्लोराइड युक्त पानी के ज्यादा इस्तेमाल से होती है. फ्लोराइड एक प्राकृतिक रूप से पानी में पाया जाने वाला खनिज है. तय मात्रा में इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. जरुरत से ज्यादा अगर ये शरीर में जााता है तो हमारे स्वास्थ्य खासकर दांत और हड्डियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.