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राजनांदगांव: कौड़ियों के भाव बिकी सब्जियां, किसानों ने बर्बाद कर दी अपनी फसल - राजनांदगांव के सब्जी किसान

सब्जी की फसल लगाने वाले किसानों पर भी लॉकडाउन का बड़ा असर पड़ा. गांव के किसानों का कहना है कि सब्जियों की आवक बाहर से होने की वजह से उन्हें बहुत नुकसान हुआ है और वे अपनी फसल अपने हाथ से बर्बाद करने को मजबूर हैं.

rajnandgaon vegetables in lockdown
किसानों को नहीं मिल रहे सब्जियों के सही दाम
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Published : May 5, 2020, 4:25 PM IST

Updated : May 5, 2020, 6:29 PM IST

राजनांदगांव/डोंगरगांव: कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के व्यवसाय में नुकसान हुआ है. इस बंद ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. सब्जी की फसल लगाने वाले किसानों पर भी इसका असर पड़ा. जिन किसानों के खेतों में मजदूर सब्जियों की देखरेख करते थे अब उन किसानों को भी कई परेशानियों का सामना पड़ रहा है. हाल ये हो गया है कि फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

सब्जी की फसलों पर पड़ा लॉकडाउन का असर

किसानों ने बताया कि बीते साल इसी सीजन में लोकल सब्जियों की डिमांड काफी थी और दाम भी अच्छा मिल जाता था. लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से सब्जियों की डिमांड और दाम दोनों गिर गए. नतीजा यह रहा कि पिछले साल थोक बाजार में 40 रुपये में बिकने वाली भिंडी का दाम सोमवार को बाजार में 3 रुपये किलो रहा. इसी तरह से लौकी, बैगन, बरबट्टी, मिर्च और धनिया जैसी दूसरी महंगी फसलों को भी किसान औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं.

देखें- SPECIAL: जुड़वा मासूमों को नई जिंदगी देने 70 किमी पैदल चले स्वास्थ्यकर्मी

लोकल किसानों को हुआ ज्यादा नुकसान

सब्जियों के लगातार गिरते दामों को देख मटिया गांव के एक किसान ने भिंड़ी और मिर्च की तोड़ाई बंद कर दी है. इसके साथ ही खेत में जानवारों को चराने के लिए लगा दिया गया है. इसी प्रकार बरगांव के किशोर साहू ने खेत में लगी मिर्च की खड़ी फसल का वाजिब दाम न मिलने पर जुताई कर दी. कहीं-कहीं किसानों ने फसलों को पानी देना ही बंद कर दिया और सूखने के लिए छोड़ दिया. किसनों ने बताया कि फसलों के रख-रखाव, लागत, तोड़ाई और ढुलाई जैसे कई खर्च वर्तमान स्थिति में निकालना असंभव है. उनके मुताबिक ऐसे समय में फसलों को तबाह कर देना ही सही है. किसानों का कहना है कि सब्जी के फसलों के इतने कम दाम कभी नहीं थे. सब्जियों के दामों में थोड़ी बढ़ोतरी की संभावना थी, लेकिन बाहरी आवक के कारण लोकल किसान तबाह हो गए.

राजनांदगांव/डोंगरगांव: कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के व्यवसाय में नुकसान हुआ है. इस बंद ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. सब्जी की फसल लगाने वाले किसानों पर भी इसका असर पड़ा. जिन किसानों के खेतों में मजदूर सब्जियों की देखरेख करते थे अब उन किसानों को भी कई परेशानियों का सामना पड़ रहा है. हाल ये हो गया है कि फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.

सब्जी की फसलों पर पड़ा लॉकडाउन का असर

किसानों ने बताया कि बीते साल इसी सीजन में लोकल सब्जियों की डिमांड काफी थी और दाम भी अच्छा मिल जाता था. लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से सब्जियों की डिमांड और दाम दोनों गिर गए. नतीजा यह रहा कि पिछले साल थोक बाजार में 40 रुपये में बिकने वाली भिंडी का दाम सोमवार को बाजार में 3 रुपये किलो रहा. इसी तरह से लौकी, बैगन, बरबट्टी, मिर्च और धनिया जैसी दूसरी महंगी फसलों को भी किसान औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं.

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लोकल किसानों को हुआ ज्यादा नुकसान

सब्जियों के लगातार गिरते दामों को देख मटिया गांव के एक किसान ने भिंड़ी और मिर्च की तोड़ाई बंद कर दी है. इसके साथ ही खेत में जानवारों को चराने के लिए लगा दिया गया है. इसी प्रकार बरगांव के किशोर साहू ने खेत में लगी मिर्च की खड़ी फसल का वाजिब दाम न मिलने पर जुताई कर दी. कहीं-कहीं किसानों ने फसलों को पानी देना ही बंद कर दिया और सूखने के लिए छोड़ दिया. किसनों ने बताया कि फसलों के रख-रखाव, लागत, तोड़ाई और ढुलाई जैसे कई खर्च वर्तमान स्थिति में निकालना असंभव है. उनके मुताबिक ऐसे समय में फसलों को तबाह कर देना ही सही है. किसानों का कहना है कि सब्जी के फसलों के इतने कम दाम कभी नहीं थे. सब्जियों के दामों में थोड़ी बढ़ोतरी की संभावना थी, लेकिन बाहरी आवक के कारण लोकल किसान तबाह हो गए.

Last Updated : May 5, 2020, 6:29 PM IST
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