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24 साल में 82 बार रक्तदान कर चुका है ये शख्स, इस बात की है तमन्ना

आज के आधुनिक युग में लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. रक्तदान के लिए लोगों के मन में अलग-अलग भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता है. दुनिया की किसी भी मशीन में रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता. रक्तदान के लिए जागरूक करने वाला फणींद्र उन सब लोगों के लिए मिसाल है जो रक्तदान से कतराते हैं.

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Published : Jun 14, 2019, 9:24 PM IST

Updated : Jun 14, 2019, 9:48 PM IST

फणींद्र जैन

राजनांदगांव: आज हम आपको ऐसे इंसान से मिलाएंगे, जिसने कई लोगों को जीने की नई चाह दी है, कई जिंदगियों को बचाया है. 'रक्तदान जीवनदान है' और इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ता है और ऐसा ही एक वाकया हुआ था राजनांनगांव के रहने वाले फणींद्र जैन के साथ, जिसके बाद उन्होंने रक्तदान करने का फैसला लिया.

24 साल में 82 बार रक्तदान कर चुका है ये शख्स

दुनिया की किसी भी मशीन में रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थितियों में लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करने वाला फणींद्र उन सब लोगों के लिए मिसाल है जो रक्तदान से कतराते हैं. फणींद्र ने 1995 से रक्तदान की शुरुआत की थी. पिता के साथ हुए एक वाकए ने फणींद्र को इस कदर जुनून दिया कि फणींद्र 24 साल के अंदर 82 बार रक्तदान कर चुका है. आखिरी बार फणींद्र ने 6 अप्रैल को रक्तदान किया है. फणींद्र का इच्छा है कि वह जल्द से जल्द इस काम में अपनी सेंचुरी बनाएं.

रक्तदान के लिए जागरूक करने का लिया संकल्प
ETV भारत से चर्चा करते हुए फणींद्र ने बताया कि उनके पिता हुकुमचंद जैन के हाथ का ऑपरेशन किया जाना था, पूरा परिवार अस्पताल में मौजूद था इस बीच अचानक फणींद्र के दिमाग में आया क्यों न अस्पताल घूमकर लोगों की पीड़ा जानी जाए. उन्होंने उस दिन अस्पताल के मरीजों से घूम-घूम कर चर्चा की और उन्हों समझ आया कि दुनिया में न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो खून न मिल पाने की वजह से अपनों से दूर हो जाते हैं और तब से ही फणींद्र ने लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करने और रक्तदान करने का संकल्प किया.

'लोगों को मानसिकता बदलने की जरूरत'
उनका कहना है कि आज के आधुनिक युग में लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. रक्तदान के लिए लोगों के मन में अलग-अलग भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता है.

राजनांदगांव: आज हम आपको ऐसे इंसान से मिलाएंगे, जिसने कई लोगों को जीने की नई चाह दी है, कई जिंदगियों को बचाया है. 'रक्तदान जीवनदान है' और इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ता है और ऐसा ही एक वाकया हुआ था राजनांनगांव के रहने वाले फणींद्र जैन के साथ, जिसके बाद उन्होंने रक्तदान करने का फैसला लिया.

24 साल में 82 बार रक्तदान कर चुका है ये शख्स

दुनिया की किसी भी मशीन में रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थितियों में लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करने वाला फणींद्र उन सब लोगों के लिए मिसाल है जो रक्तदान से कतराते हैं. फणींद्र ने 1995 से रक्तदान की शुरुआत की थी. पिता के साथ हुए एक वाकए ने फणींद्र को इस कदर जुनून दिया कि फणींद्र 24 साल के अंदर 82 बार रक्तदान कर चुका है. आखिरी बार फणींद्र ने 6 अप्रैल को रक्तदान किया है. फणींद्र का इच्छा है कि वह जल्द से जल्द इस काम में अपनी सेंचुरी बनाएं.

रक्तदान के लिए जागरूक करने का लिया संकल्प
ETV भारत से चर्चा करते हुए फणींद्र ने बताया कि उनके पिता हुकुमचंद जैन के हाथ का ऑपरेशन किया जाना था, पूरा परिवार अस्पताल में मौजूद था इस बीच अचानक फणींद्र के दिमाग में आया क्यों न अस्पताल घूमकर लोगों की पीड़ा जानी जाए. उन्होंने उस दिन अस्पताल के मरीजों से घूम-घूम कर चर्चा की और उन्हों समझ आया कि दुनिया में न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो खून न मिल पाने की वजह से अपनों से दूर हो जाते हैं और तब से ही फणींद्र ने लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करने और रक्तदान करने का संकल्प किया.

'लोगों को मानसिकता बदलने की जरूरत'
उनका कहना है कि आज के आधुनिक युग में लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. रक्तदान के लिए लोगों के मन में अलग-अलग भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता है.

Intro:राजनांदगांव पिता के साथ हुए एक वाक्य ने एक शख्स को इस कदर का जुनून दे दिया कि वह महज 24 साल में अब तक 82 बार रक्तदान कर चुका है मतलब 82 ऐसे लोग हैं जिनकी रगों में आज भी फणींद्र का खून दौड़ रहा है. आखरी बार फणींद्र ने 6 अप्रैल को रक्तदान किया है आज विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर वे ऐसे लोगों के लिए मिसाल बने हुए हैं जो रक्तदान से कतराते हैं.





Body:कहते हैं रक्तदान महादान क्योंकि इंसानी किसी भी मशीन में रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता. मानव शरीर में ही रक्त का निर्माण होता है ऐसे में अगर किसी शख्स को रक्त की आवश्यकता है तो उसे किसी ना किसी व्यक्ति से रक्त के लिए संपर्क करना पड़ेगा. ऐसी स्थितियों में लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करने वाले और इस काम में खुद को रचा बसा लेने वाले शख्स का नाम है फणींद्र जैन इन्होंने सन 1995 से रक्तदान की शुरुआत की थी और अब तक 24 सालों में 82 बार रक्तदान कर चुके हैं आखिरी बार 6 अप्रैल 2019 को उन्होंने रक्तदान किया है उनकी इच्छा है कि वह जल्द से जल्द अपनी सेंचुरी इस काम में बनाएं.
एक वाक्य ने दी प्रेरणा
ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए फनींद्र जैन ने बताया कि उनके पिता श्री हुकुमचंद जैन के हाथ का ऑपरेशन किया जाना था पूरा परिवार अस्पताल में मौजूद था इस बीच अचानक फणींद्र के दिमाग में आया क्यों ना अस्पताल घूमकर लोगों की पीड़ा जानी जाए उन्होंने उस दिन अस्पताल के मरीजों से घूम-घूम कर चर्चा की और इसके बाद निष्कर्ष निकाला कि हर दूसरे तीसरे व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता अस्पताल जैसी जगहों में बनी रहती है ऐसे में उन्होंने रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने और जरूरतमंदों को रक्त दिलाने के लिए संकल्प किया और इस संकल्प से रक्तदान करने की प्रक्रिया की शुरुआत की.
लोगों को मानसिकता बदलने की जरूरत
उनका कहना है कि आज के आधुनिक युग में लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है रक्तदान के लिए लोगों के मन में अलग-अलग भ्रांतियां हैं जिसे दूर करने की आवश्यकता है उन्होंने बताया कि वर्तमान में शहर का एक परिवार अपने 3 साल के बेटे का ऑपरेशन कराना चाह रहा है लेकिन वह बाहर से ब्लड खरीदना चाहते हैं जबकि उनके घर पर ही 3 डोनर मौजूद है लेकिन उन्होंने कभी भी आज तक रक्तदान नहीं किया ऐसे में ऐसे लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है ताकि रक्तदान जैसे काम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके.
रक्तदान स्वैच्छिक कार्ड बनाए सरकार
उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि सरकार को भी इस काम के लिए आगे आना चाहिए और एटीएम कार्ड स्मार्ट कार्ड जैसे ही ब्लड डोनर के रक्तदान कार्ड भी बनाना चाहिए जिससे हर ब्लड डोनर ब्लड डोनेट करें और उसे अपने और अपने परिवार और परिचित सहित जरूरतमंदों को अपनी स्वेच्छा से दे सके.


Conclusion:
Last Updated : Jun 14, 2019, 9:48 PM IST
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