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SPECIAL: कोरोना संकट और कर्ज की मार, दाने-दाने को मोहताज हुए ई-रिक्शा चालक

कोरोना संक्रमण काल में ई-रिक्शा चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. हालात ये हो गए हैं कि बैंक का कर्ज पटाना भी मुश्किल हो गया है.

E rickshaw drivers facing problems
कोरोना संकट और ई रिक्शा चालक
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Published : Oct 17, 2020, 11:21 PM IST

राजनांदगांव: बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण ने ई-रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी को संकट में डाल दिया है. हालात यह है कि अब वे बैंक का कर्ज भी नहीं पटा पा रहे हैं. बैंक का ब्याज बढ़ता ही जा रहा है. ई-रिक्शा चालक कर्ज के तले दब चुके हैं. कोरोना के चलते की गई पाबंदी से ई-रिक्शा चलाने वालों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. यहीं कारण है कि ई-रिक्शा चालक अब पहले की तरह अपना व्यवसाय नहीं कर पा रहे हैं और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

कोरोना संकट और ई-रिक्शा चालक

जिले में करीब 1 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा ड्राइवर है. जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर रिक्शा चलाने का व्यवसाय शुरू किया था. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. करीब एक से डेढ़ लाख रुपये की लागत लगाकर श्रमवीरों ने ई-रिक्शा संचालन का काम तो शुरू किया, लेकिन कोरोना संक्रमण ने व्यवसाय पूरी तरह चौपट कर दिया है. लोग घरों से बाहर निकलने को कतरा रहे हैं. जिसकी वजह से ई-रिक्शा संचालकों को पहले जैसे ग्राहक नहीं मिल रहे हैं और न ही उनकी कमाई हो पा रही है. ई-रिक्शा चालक 10 हजार रुपये की किस्त भी नहीं पटा पा रहे हैं.

शासन से कर्जमाफी की गुहार

ई-रिक्शा संचालकों का कहना है कि बैंक से कर्ज लेकर व्यवसाय कर रहे लोगों को राहत पैकेज की जरूरत है. करीब 6 महीने की किस्त माफ की जानी चाहिए, ताकि वे अपना परिवार चला सकें. ई-रिक्शा संचालकों ने पहले भी राज्य शासन से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन अबतक के उनकी इस समस्या का हल नहीं निकल पाया.

पढ़ें-SPECIAL: बस्तर के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, मामूली इलाज के लिए भी 40 किलोमीटर का सफर

ई-रिक्शा चालकों पर दोहरी मार

ई-रिक्शा संचालकों का कहना है कि ई-रिक्शा में 5 बैटरी लगी हुई है. लॉकडाउन के दौरान ई-रिक्शा का संचालन पूरी तरीके से बंद था. जिसकी वजह से बैटरी ई-रिक्शा में लगे-लगे खराब हो गई. उन्होंने 40 हजार रुपये खर्च कर दूसरी बैटरी लगाई. तब जाकर ई-रिक्शा का संचालन फिर से शुरू पाया. इसके अलावा 1,500 रुपये प्रति माह का इलेक्ट्रिक खर्च भी आ रहा है. लेकिन कोरोना के प्रभाव के कारण उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. ई-रिक्शा चालकों ने मांग की है कि उन्हें प्रशासन की ओर से शहर में चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा दी जाए.

पाबंदी में रियायत की मांग

इन दिनों रिक्शा चालकों के हालात ऐसे हैं कि उनकी आवक से ज्यादा खर्चे हैं. ई-रिक्शा के संचालकों का कहना है कि शहर के गुड़ाखू लाइन, सिनेमा लाइन, भारत माता चौक, हलवाई लाइन, भगत सिंह चौक, जयस्तंभ चौक से लेकर के गोल बाजार इलाके में उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता. जिसकी वजह से इस रास्ते की सवारी मिलने के बाद भी वह इन इलाकों में जा नहीं सकते. उनका कहना है कि यातायात विभाग अगर इन इलाकों में आवागमन की छूट दे तो ई-रिक्शा संचालकों की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है.

पढ़ें-SPECIAL: दाल-रोटी खाना भी हुआ मुश्किल!, कोरोना काल में दाल की डिमांड बढ़ने से रेट में उछाल

जिला प्रशासन ने नहीं ली सुध

ई-रिक्शा संचालक अनिल कुमार का कहना है कि जिला प्रशासन ने ई-रिक्शा चालकों की स्थिति को लेकर के अबतक राज्य शासन को कोई रिपोर्ट नहीं दी है. यहीं कारण है कि राज्य शासन से उन्हें रियायत की उम्मीद होने के बाद भी कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि महामारी के इस दौर में हालात इतने बदतर हो गए है कि उन्हें भूखे रह कर गुजारा करना पड़ रहा है.

राजनांदगांव: बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण ने ई-रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी को संकट में डाल दिया है. हालात यह है कि अब वे बैंक का कर्ज भी नहीं पटा पा रहे हैं. बैंक का ब्याज बढ़ता ही जा रहा है. ई-रिक्शा चालक कर्ज के तले दब चुके हैं. कोरोना के चलते की गई पाबंदी से ई-रिक्शा चलाने वालों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. यहीं कारण है कि ई-रिक्शा चालक अब पहले की तरह अपना व्यवसाय नहीं कर पा रहे हैं और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

कोरोना संकट और ई-रिक्शा चालक

जिले में करीब 1 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा ड्राइवर है. जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर रिक्शा चलाने का व्यवसाय शुरू किया था. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. करीब एक से डेढ़ लाख रुपये की लागत लगाकर श्रमवीरों ने ई-रिक्शा संचालन का काम तो शुरू किया, लेकिन कोरोना संक्रमण ने व्यवसाय पूरी तरह चौपट कर दिया है. लोग घरों से बाहर निकलने को कतरा रहे हैं. जिसकी वजह से ई-रिक्शा संचालकों को पहले जैसे ग्राहक नहीं मिल रहे हैं और न ही उनकी कमाई हो पा रही है. ई-रिक्शा चालक 10 हजार रुपये की किस्त भी नहीं पटा पा रहे हैं.

शासन से कर्जमाफी की गुहार

ई-रिक्शा संचालकों का कहना है कि बैंक से कर्ज लेकर व्यवसाय कर रहे लोगों को राहत पैकेज की जरूरत है. करीब 6 महीने की किस्त माफ की जानी चाहिए, ताकि वे अपना परिवार चला सकें. ई-रिक्शा संचालकों ने पहले भी राज्य शासन से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन अबतक के उनकी इस समस्या का हल नहीं निकल पाया.

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ई-रिक्शा चालकों पर दोहरी मार

ई-रिक्शा संचालकों का कहना है कि ई-रिक्शा में 5 बैटरी लगी हुई है. लॉकडाउन के दौरान ई-रिक्शा का संचालन पूरी तरीके से बंद था. जिसकी वजह से बैटरी ई-रिक्शा में लगे-लगे खराब हो गई. उन्होंने 40 हजार रुपये खर्च कर दूसरी बैटरी लगाई. तब जाकर ई-रिक्शा का संचालन फिर से शुरू पाया. इसके अलावा 1,500 रुपये प्रति माह का इलेक्ट्रिक खर्च भी आ रहा है. लेकिन कोरोना के प्रभाव के कारण उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. ई-रिक्शा चालकों ने मांग की है कि उन्हें प्रशासन की ओर से शहर में चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा दी जाए.

पाबंदी में रियायत की मांग

इन दिनों रिक्शा चालकों के हालात ऐसे हैं कि उनकी आवक से ज्यादा खर्चे हैं. ई-रिक्शा के संचालकों का कहना है कि शहर के गुड़ाखू लाइन, सिनेमा लाइन, भारत माता चौक, हलवाई लाइन, भगत सिंह चौक, जयस्तंभ चौक से लेकर के गोल बाजार इलाके में उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता. जिसकी वजह से इस रास्ते की सवारी मिलने के बाद भी वह इन इलाकों में जा नहीं सकते. उनका कहना है कि यातायात विभाग अगर इन इलाकों में आवागमन की छूट दे तो ई-रिक्शा संचालकों की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है.

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जिला प्रशासन ने नहीं ली सुध

ई-रिक्शा संचालक अनिल कुमार का कहना है कि जिला प्रशासन ने ई-रिक्शा चालकों की स्थिति को लेकर के अबतक राज्य शासन को कोई रिपोर्ट नहीं दी है. यहीं कारण है कि राज्य शासन से उन्हें रियायत की उम्मीद होने के बाद भी कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि महामारी के इस दौर में हालात इतने बदतर हो गए है कि उन्हें भूखे रह कर गुजारा करना पड़ रहा है.

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