राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश में सभी राजनीतिक दल खुद को मजबूत करने में जुटे हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अंदरूनी कलह सार्वजनिक होते दिख रही है. दरअसल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम के संगठन में फेरबदल के आदेश को रद्द कर दिया है. इसे लेकर सियासी गलियारों में कानाफूसी शुरू हो गई है. कुमारी शैलजा की तरफ से मोहन मरकाम के आदेश को रद्द करना कांग्रेस में अंतर्कलह को दर्शाता है.
जानिए क्या था मोहन मरकाम का आदेश: पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने 16 जून को संगठन में फेरबदल का आदेश जारी किया. इस आदेश के मुताबिक कांग्रेस नेता और महामंत्री अरुण सिसोदिया को राजनांदगांव जिले के प्रभारी से, प्रभारी महामंत्री प्रशासन और संगठन के पद पर नियुक्त किया जाना था. साथ ही प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष को प्रभारी बस्तर संभाग का पद देना था. इसके अलावा प्रभारी महामंत्री संगठन अमरजीत चावला को प्रभारी रायपुर शहर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के पद पर नियुक्त किया जाना था. इसके अलावा उपाध्यक्ष और प्रभारी रायपुर शहर प्रतिमा चंद्राकर को प्रभारी राजनांदगांव के पद पर और महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला को प्रभारी मोहला मानपुर के पद पर नियुक्त किया जाना था. महामंत्री और प्रभारी कोंडागांव यशवर्धन राव को प्रभारी प्रशिक्षण के पद पर नियुक्त किया जाना था. कुमारी शैलजा ने इस फेरबदल को ही रद्द कर दिया है.
"छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी, समय समय पर पदाधिकारियों का प्रभार बदलती है. जिनकी, जहां जरुरत होगी, हम देखते हैं. फिर उन्हें वहां भेजा जाता है. चुनाव को देखते हुए जहां जिसकी उपयोगिता है, वहां संगठन को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किया जा सकता है. शैलजा जी का पत्र आया है, उसमें हम लोग समीक्षा कर रहे हैं." मोहन मरकाम, पीसीसी चीफ
अमित शाह के दौरे पर कटाक्ष: मोहन मरकाम ने कांग्रेस की गुटबाजी पर पूछे गए सवाल का चतुराई से जवाब तो दिया ही लगे हाथ गुरुवार को अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे पर तंज कसा. मोहन मरकाम ने कहा, " पिछली बार भी अमित शाह बस्तर आए थे. भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा साहब भी आए थे. जेपी नड्डा खुद अपना प्रदेश यानी हिमाचल प्रदेश नहीं बचा पाए तो छत्तीसगढ़ आकर क्या बचाएंगे? हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे साहब कर्नाटक से आते हैं और कर्नाटक को एकतरफा जीत दिलाई. केंद्र सरकार और उनके देश भर के मुख्यमंत्री और बीजेपी के दूसरे पदाधिकारी लगे हुए थे, लेकिन वहां कुछ नहीं कर पाए. भाजपा नेताओं के छत्तीसगढ़ आने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा."
आदिवासियों के लिए काम कर रही कांग्रेस: कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह की चर्चा भले ही हो लेकिन मोहन मरकाम ने एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह कांग्रेस की मजबूती के साथ ही आदिवासी वोट बैंक का जिक्र भी किया. मोहन मरकाम ने कहा, "हमारी सरकार आने के बाद लगातार हम छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के विकास के लिए काम कर रहे हैं. योजनाएं बना रहे हैं. हमारी सरकार ने जो मुद्दे थे जैसे आदिवासी समाज का पेसा कानून, पंचायती राज और कई विषय पर काम किया है. इसलिए हमने 29 आरक्षित सीटों में से 27 जीते हैं. 3 सामान्य सीटों से जीते 30 हमारे आदिवासी विधायक हैं. हमारी सरकार आदिवासियों के लिए लगातार काम कर रही है."
क्या कांग्रेस की अंतर्कलह का चुनाव पर पड़ेगा असर? : छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और मोहन मरकाम तीन पावर सेंटर्स है. सियासी हलकों में कांग्रेस के इन तीन दिग्गजों के बीच मतभेद की बातें भी तैर रहीं हैं. सार्वजनिक मंच पर मतभेद की बातों से नेता इनकार भी करते हैं. इस बार कुमारी शैलजा के आदेश रद्द करने पर खुद मोहन मरकाम ने सफाई दे दी है. फिर भी गाहे बगाहे कांग्रेस का अंतर्कलह सार्वजनिक हो ही जाता है. इसका प्रभाव कहीं न कहीं आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है. जानकारों की मानें तो कांग्रेस में चल रहे मनमुटाव का असर चुनाव पर पड़ सकता है.