राजनांदगांव/डोंगरगांव: कांग्रेस सरकार की महत्वकांक्षी कहे जाने वाली योजना नरवा,गरुवा, घुरवा और बाड़ी धरातल पर ध्वस्त होता नजर आ रहा है. भूपेश सरकार की गौठान योजना दम तोड़ रही है. दरअसल, डोंगरगांव के जनपद पंचायत मोहड़ में ग्रामीण पंचायत के पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों और गौठान की व्यवस्था से खुश नहीं हैं. इस वजह से वे अपने मवेशियों को गौठान में नहीं भेजना चाहते हैं. वहीं इस मामले में जिम्मेदार कर्मचारी और प्रतिनिधि कुछ भी कहने से साफ बचते नजर आ रहे हैं.
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डोंगरगांव के मोहड़ गांव में बना गौठान अब तक मवेशियों का इंतजार कर रहा है. इस गौठान के निर्माण से लेकर अब तक एक भी गाय ने यहां प्रवेश नहीं किया है. गौठान में बने शेड भी गिरने लगे हैं. पेयजल के लिए बनाई गई टंकियां अभी से ध्वस्त होने लगी है. इसमें पड़ी दरारों की वजह से पानी भरना मुमकिन नहीं है. वर्मी कम्पोस्ट खाद के लिए बनाए गए शेड भी अस्त-व्यस्त हो चुका है. फेंसिंग के नाम पर पंचायत ने कटीली झाड़ियों को बार्डर पर लगा दिया है. इस विषय में जब सरपंच आशा देवांगन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य पूर्व सरपंच ने कराया था. इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि नवनिर्मित गौठान में अव्यवस्था की वजह से वहां मवेशियों को एकत्रित किया जाना संभव नहीं है.
अधूरी फेंसिंग के लिए 30 हजार खर्च
गौठान की व्यवस्था को लेकर सचिव डेमन साहू ने इस कार्य को मनरेगा मद से कराए जाने की बात कही है. हालांकि उन्होंने 14वें वित्त मद से कुछ राशि खर्च किए जाने की बात स्वीकार की थी. उक्त गौठान में पराली की सुरक्षा के लिए बाढ़ के नाम पर बीते अप्रैल और जून माह में पंचायत ने 30 हजार से अधिक की राशि व्यय दिखाई है, जबकि मौके पर कोई भी पैरा और चारा सुरक्षा घेरे में नहीं था.