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SPECIAL: आस्था पर कोरोना का ग्रहण, मां से दूर हुए भक्त

कोरोना वायरस ने शारदीय नवरात्र पर भक्तों को मां से दूर कर दिया है. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मंदिर परिसर में भक्तों के प्रवेश को वर्जित कर दिया गया है. जिससे भक्त मां के दर्शन के बिना ही लौट रहे हैं.

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कोरोना ने आस्था पर लगाया ग्रहण
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Published : Oct 18, 2020, 4:29 PM IST

राजनांदगांव: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने क्वांर नवरात्र पर मां के दरबार में लगने वाले दर्शनार्थियों के मेले पर ग्रहण लगा दिया है. डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर में जहां तकरीबन 5 से 7 लाख की भीड़ नवरात्र के दौरान उमड़ती थी, आज उस परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिला प्रशासन की सख्त गाइडलाइन और दर्शनार्थियों के मंदिर परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने के कारण, इस साल डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर का नजारा ही बदल गया है. मंदिर परिसर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.

सूना पड़ा है मां का दरबार

डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर में हर साल चैत्र और क्वांर नवरात्रि के अवसर पर भक्तों का रेला लगता आ रहा है. डोंगरगढ़ में दोनों ही नवरात्र के दौरान तकरीबन 5 से 7 लाख लोग माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इनमें तकरीबन 4 लाख लोग तो केवल पदयात्रा करते हुए यहां पर मां के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन जारी की है. इसके चलते दर्शनार्थियों को मंदिर परिसर से दूर ही रोका जा रहा है.

ये हैं गाइडलाइन

कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लिए जिला प्रशासन ने इस बार सख्त गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत जिला प्रशासन ने बैठक कर फैसला लिया है कि, नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों और पैदल यात्रियों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

  • सुरक्षा के दृष्टिकोण से पद यात्रियों और दर्शन करने वाले लोगों को मंदिर परिसर से 200 मीटर दूर ही रोका जा है.
  • मंदिर से 200 मीटर पहले बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं.
  • श्रीफल सहित प्रसाद सामग्री भी बैरिकेड्स के पास ही छोड़ने की अनुमति दी गई है.
  • मंदिर परिसर को समय समय पर सैनिटाइज करने के निर्देश दिए गए हैं.
  • मंदिर परिसर में हर साल लगने वाले मेले को भी स्थगित कर दिया गया है.
  • मंदिर परिसर में ट्रस्ट समितियों और सेवादारों के अलावा किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है.

मंदिर परिसर में सैनिटाइजर की व्यवस्था

मंदिर परिसर में ट्रस्ट के सदस्यों और सेवादारों को भी आने-जाने के दौरान सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई है. सैनिटाइजर टनल लगाकर यहां से पुजारी और कर्मचारी मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं. इसके अलावा मंदिर परिसर को लगातार सैनिटाइज किया जा रहा है. मंदिर परिसर के आसपास के इलाके में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा ऊपर मंदिर तक हर जगह पर हाथ धोने की भी व्यवस्था है. ऐसी व्यवस्था को देखकर माना जा रहा है कि मंदिर ट्रस्ट समिति भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. ऊपर मंदिर परिसर में स्वास्थ्य विभाग की टीम भी तैनात है. जो लगातार कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर नजर रख रही है.

शारदीय नवरात्र: शक्ति की आराधना का दूसरा दिन, आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

मायूस होकर लौट रहे भक्त

जिला प्रशासन के फैसले के मुताबिक मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. वहीं माता रानी के दर्शन पर रोक लगा दी गई है. इस कारण दर्शनार्थी मायूस होकर लौट रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट समिति और सेवादारों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति को मूर्ति तक जाने की अनुमति नहीं दी गई है. आसपास के इलाकों से भी ग्रामीण नवरात्र के पहले दिन मंदिर परिसर दर्शन करने पहुंचे, लेकिन उन्हें बिना दर्शन किए ही लौटना पड़ा. मुसरा निवासी सोमेश्वर कुमार का कहना है कि वे तकरीबन 15 किलोमीटर दूर पैदल चलकर मंदिर परिसर पहुंचे हैं, लेकिन माता रानी के दर्शन नहीं होने से उन्हें मायूस लौटना पड़ रहा है.

मंदिर का इतिहास

डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर का अपना ही अलग इतिहास है. कामाख्या नगरी के नाम से प्रसिद्ध डोंगरगढ़ मंदिर में मां बमलेश्वरी के प्रकट होने का तकरीबन 12वीं सदी के आसपास का इतिहास है. राजाओं के जमाने से इस मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही है. माता रानी का मंदिर सोलह सौ फीट ऊपर पहाड़ी में स्थित है. वहीं एक छोटा मंदिर नीचे भी स्थित है. तकरीबन 11 सौ सीढ़ियां चढ़कर जाने के बाद माता रानी के दर्शन होते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद मां पूरी कर देती है. यहीं वजह है कि नवरात्र पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के श्री चरणों में आशीर्वाद लेने भक्त यहां पहुंचते हैं.

राजा ने कराया मंदिर का निर्माण

मंदिर के संबंध में मान्यता है कि कामाख्या नगरी में राजा वीर सिंह का शासन था. यहां संतान की कामना के लिए उन्होंने मां भगवती और शिवजी की उपासना की थी. इसके फलस्वरूप उन्हें 1 साल के अंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. वीरसेन के पुत्र का नाम मदन सेन रखा गया. मां भगवती और भगवान शिव के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए राजा ने मां बमलेश्वरी का मंदिर बनवाया. वहीं बाद में मदन सेन के पुत्र काम सेन ने राजगद्दी संभाली.

प्रज्जवलित की जाती है ज्योत

मां बमलेश्वरी मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर में मनोकामना के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. हर साल यहां करीब 6 से 8 हजार तक के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं, लेकिन इस साल ज्योति कलश की संख्या कम हुई है. इस साल करीब 5 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित किया गया है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर डोंगरगढ़ थाना प्रभारी एलेग्जेंडर किरो का कहना है कि दर्शनार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. थ्री लेयर सुरक्षा के तहत बाघ नदी और चिचोला सहित मंदिर परिसर के आसपास बैरिकेड्स लगाकर दर्शनार्थियों को रोका जा रहा है.

राजनांदगांव: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने क्वांर नवरात्र पर मां के दरबार में लगने वाले दर्शनार्थियों के मेले पर ग्रहण लगा दिया है. डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर में जहां तकरीबन 5 से 7 लाख की भीड़ नवरात्र के दौरान उमड़ती थी, आज उस परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिला प्रशासन की सख्त गाइडलाइन और दर्शनार्थियों के मंदिर परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने के कारण, इस साल डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर का नजारा ही बदल गया है. मंदिर परिसर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.

सूना पड़ा है मां का दरबार

डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर में हर साल चैत्र और क्वांर नवरात्रि के अवसर पर भक्तों का रेला लगता आ रहा है. डोंगरगढ़ में दोनों ही नवरात्र के दौरान तकरीबन 5 से 7 लाख लोग माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इनमें तकरीबन 4 लाख लोग तो केवल पदयात्रा करते हुए यहां पर मां के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन जारी की है. इसके चलते दर्शनार्थियों को मंदिर परिसर से दूर ही रोका जा रहा है.

ये हैं गाइडलाइन

कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लिए जिला प्रशासन ने इस बार सख्त गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत जिला प्रशासन ने बैठक कर फैसला लिया है कि, नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों और पैदल यात्रियों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

  • सुरक्षा के दृष्टिकोण से पद यात्रियों और दर्शन करने वाले लोगों को मंदिर परिसर से 200 मीटर दूर ही रोका जा है.
  • मंदिर से 200 मीटर पहले बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं.
  • श्रीफल सहित प्रसाद सामग्री भी बैरिकेड्स के पास ही छोड़ने की अनुमति दी गई है.
  • मंदिर परिसर को समय समय पर सैनिटाइज करने के निर्देश दिए गए हैं.
  • मंदिर परिसर में हर साल लगने वाले मेले को भी स्थगित कर दिया गया है.
  • मंदिर परिसर में ट्रस्ट समितियों और सेवादारों के अलावा किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है.

मंदिर परिसर में सैनिटाइजर की व्यवस्था

मंदिर परिसर में ट्रस्ट के सदस्यों और सेवादारों को भी आने-जाने के दौरान सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई है. सैनिटाइजर टनल लगाकर यहां से पुजारी और कर्मचारी मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं. इसके अलावा मंदिर परिसर को लगातार सैनिटाइज किया जा रहा है. मंदिर परिसर के आसपास के इलाके में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा ऊपर मंदिर तक हर जगह पर हाथ धोने की भी व्यवस्था है. ऐसी व्यवस्था को देखकर माना जा रहा है कि मंदिर ट्रस्ट समिति भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. ऊपर मंदिर परिसर में स्वास्थ्य विभाग की टीम भी तैनात है. जो लगातार कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर नजर रख रही है.

शारदीय नवरात्र: शक्ति की आराधना का दूसरा दिन, आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

मायूस होकर लौट रहे भक्त

जिला प्रशासन के फैसले के मुताबिक मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. वहीं माता रानी के दर्शन पर रोक लगा दी गई है. इस कारण दर्शनार्थी मायूस होकर लौट रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट समिति और सेवादारों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति को मूर्ति तक जाने की अनुमति नहीं दी गई है. आसपास के इलाकों से भी ग्रामीण नवरात्र के पहले दिन मंदिर परिसर दर्शन करने पहुंचे, लेकिन उन्हें बिना दर्शन किए ही लौटना पड़ा. मुसरा निवासी सोमेश्वर कुमार का कहना है कि वे तकरीबन 15 किलोमीटर दूर पैदल चलकर मंदिर परिसर पहुंचे हैं, लेकिन माता रानी के दर्शन नहीं होने से उन्हें मायूस लौटना पड़ रहा है.

मंदिर का इतिहास

डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी मंदिर का अपना ही अलग इतिहास है. कामाख्या नगरी के नाम से प्रसिद्ध डोंगरगढ़ मंदिर में मां बमलेश्वरी के प्रकट होने का तकरीबन 12वीं सदी के आसपास का इतिहास है. राजाओं के जमाने से इस मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही है. माता रानी का मंदिर सोलह सौ फीट ऊपर पहाड़ी में स्थित है. वहीं एक छोटा मंदिर नीचे भी स्थित है. तकरीबन 11 सौ सीढ़ियां चढ़कर जाने के बाद माता रानी के दर्शन होते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद मां पूरी कर देती है. यहीं वजह है कि नवरात्र पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के श्री चरणों में आशीर्वाद लेने भक्त यहां पहुंचते हैं.

राजा ने कराया मंदिर का निर्माण

मंदिर के संबंध में मान्यता है कि कामाख्या नगरी में राजा वीर सिंह का शासन था. यहां संतान की कामना के लिए उन्होंने मां भगवती और शिवजी की उपासना की थी. इसके फलस्वरूप उन्हें 1 साल के अंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. वीरसेन के पुत्र का नाम मदन सेन रखा गया. मां भगवती और भगवान शिव के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए राजा ने मां बमलेश्वरी का मंदिर बनवाया. वहीं बाद में मदन सेन के पुत्र काम सेन ने राजगद्दी संभाली.

प्रज्जवलित की जाती है ज्योत

मां बमलेश्वरी मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर में मनोकामना के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. हर साल यहां करीब 6 से 8 हजार तक के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं, लेकिन इस साल ज्योति कलश की संख्या कम हुई है. इस साल करीब 5 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित किया गया है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर डोंगरगढ़ थाना प्रभारी एलेग्जेंडर किरो का कहना है कि दर्शनार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. थ्री लेयर सुरक्षा के तहत बाघ नदी और चिचोला सहित मंदिर परिसर के आसपास बैरिकेड्स लगाकर दर्शनार्थियों को रोका जा रहा है.

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