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सिस्टम का सितम: 4 घंटे तक बॉर्डर पर भाई का शव लेकर बैठी रही बहन, जिम्मेदारों ने नहीं ली सुध - सिस्टम का सितम

मंगलवार को राजनांदगांव के बॉर्डर इलाके बाघ नदी के पास एक बुजुर्ग प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस तो मौके पर पहुंची और मामले को दर्ज किया, लेकिन चार घंटे बीत जाने के बाद भी पोस्टमॉर्टम के लिए शव को नहीं भेजा जा सका.

Death of migrant labour
प्रवासी मजदूर की मौत
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Published : May 27, 2020, 4:16 PM IST

Updated : May 27, 2020, 6:09 PM IST

राजनांदगांवः सरकार प्रवासी मजदूरों की मदद को लेकर लाख दावे तो कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं ये दावे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं. मंगलवार को राजनांदगांव के बॉर्डर इलाके बाघ नदी के पास एक बुजुर्ग प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस तो मौके पर पहुंची, लेकिन चार घंटे बीत जाने के बाद भी शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा गया. मृतक की बहन तपती धूप में लाश को लेकर बैठी रही, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा. ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के काम को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.

प्रवासी मजदूर की मौत

मृतक का नाम सपतउल्ला शेख अंजुरा है, जो वेस्ट बंगाल का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि मृतक और उसकी बहन बस के जरिए महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ के बॉर्डर बाघनदी तक तो पहुंच गए, लेकिन इस बीच सपत की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और अचानक उसकी मौत हो गई. पुलिस ने मौत की प्राइमरी सूचना दर्ज कर ली, लेकिन लाश को तकरीबन 4 घंटे तक पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा जा सका. जिससे बॉर्डर इलाके में मजदूरों की मदद और स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने का दावा नाकाम साबित होता नजर आया.

पढ़ेंः-मजदूर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव, दो दिन पहले चरोदा में हुई थी मौत

अचानक हुई मौत जांच का विषय

कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी मजदूर की मौत होने के बावजूद तकरीबन 4 घंटे तक न तो स्वास्थ्य अमले ने लाश को अपने सुपुर्द लिया और न ही कोरोना जांच के लिए उसका सैंपल लिया गया. ऐसे में मजदूर की मौत किस वजह से हुई, इसका पता नहीं चल सका है. अगर मजदूर की मौत कोरोना की वजह से हुई होगी, तो स्थिति गंभीर हो सकती है.

राजनांदगांवः सरकार प्रवासी मजदूरों की मदद को लेकर लाख दावे तो कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं ये दावे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं. मंगलवार को राजनांदगांव के बॉर्डर इलाके बाघ नदी के पास एक बुजुर्ग प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस तो मौके पर पहुंची, लेकिन चार घंटे बीत जाने के बाद भी शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा गया. मृतक की बहन तपती धूप में लाश को लेकर बैठी रही, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा. ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के काम को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.

प्रवासी मजदूर की मौत

मृतक का नाम सपतउल्ला शेख अंजुरा है, जो वेस्ट बंगाल का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि मृतक और उसकी बहन बस के जरिए महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ के बॉर्डर बाघनदी तक तो पहुंच गए, लेकिन इस बीच सपत की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और अचानक उसकी मौत हो गई. पुलिस ने मौत की प्राइमरी सूचना दर्ज कर ली, लेकिन लाश को तकरीबन 4 घंटे तक पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा जा सका. जिससे बॉर्डर इलाके में मजदूरों की मदद और स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने का दावा नाकाम साबित होता नजर आया.

पढ़ेंः-मजदूर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव, दो दिन पहले चरोदा में हुई थी मौत

अचानक हुई मौत जांच का विषय

कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी मजदूर की मौत होने के बावजूद तकरीबन 4 घंटे तक न तो स्वास्थ्य अमले ने लाश को अपने सुपुर्द लिया और न ही कोरोना जांच के लिए उसका सैंपल लिया गया. ऐसे में मजदूर की मौत किस वजह से हुई, इसका पता नहीं चल सका है. अगर मजदूर की मौत कोरोना की वजह से हुई होगी, तो स्थिति गंभीर हो सकती है.

Last Updated : May 27, 2020, 6:09 PM IST
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