राजनांदगांव : आपने भ्रष्टाचार की अक्सर कई तस्वीरें देखी होंगी.लेकिन आज हम जिस तस्वीर को दिखाने जा रहे (Corruption in bridge construction in Rajnandgaon) हैं. उसे देखने के बाद आपको अंदाजा लग जाएगा कि इंसानी जिंदगी का घोटालेबाजों के लिए क्या मोल है. भ्रष्टाचार का दीमक इस कदर सरकारी तंत्र पर सवार है कि कितना भी साफ कर लो अपनी छाप छोड़ ही जाता है.राजनांदगांव के डोंगरगांव में बरगांव पुल पिछले 6 साल बाद बनकर (Bargaon bridge open pole in Rajnandgaon Dongargaon) है.लेकिन ये पुल अपनी मजबूती के बजाए भ्रष्टाचार की कहानी के लिए अब ज्यादा जाना जा रहा है. इस पुल को 4 करोड़ 43 लाख की लागत से बनाया गया था. लेकिन ये पैसा कहां लगाया गया शायद इस पुल को ही नहीं पता. सावन की पहली बारिश ने ही इस पुल की पोल खोलकर रख दी है.
क्या है पुल का नजारा : राजनांदगांव में पिछले तीन दिन से बारिश हो रही है.बारिश रुकी तो पुल की तस्वीर किसी को भी समझ में नहीं आ रही थी. क्योंकि बारिश के बाद जो पुल लोगों के सामने अवतरित हुआ उसे देखने के बाद ऐसा लग रहा था मानो अंग्रेजों के जमाने का पुल गिरने के इंतजार में खड़ा है. क्योंकि बारिश से पुल कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है.एप्रोच रोड पूरी तरह से उखड़ चुका (Approach road of Dongargaon Baragaon bridge is flowing) है. लिहाजा अब ग्रामीण पुल की हालत देखकर आंदोलन करने को तैयार हैं.
क्यों होगी परेशानी : 6 साल में तैयार हुए पुल से लोग घबराने लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुल में कई जगह दरारें हैं. बारिश के कारण नदी उफान पर है. पुल में चलने से ऐसा लगता है कि कहीं वह गिर ना (Rajnandgaon bridge scam) जाए. इस कारण ग्रामीण पुल से आना-जाना भी नहीं कर रहे हैं. पुल के किनारे किए गए पैचिंग वर्क में केवल खानापूर्ति की गई है. कई जगह से पत्थर उखड़ गए हैं और कई जगह केवल मुरम डाल कर ही छोड़ दिया गया है. मौके पर निर्माण कार्य को देखने पर साफ तौर पर अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है क्योंकि जिस तरीके से अधिकारियों ने लापरवाही पूर्वक काम करते हुए ठेकेदार को खुली छूट दी. इसका फायदा ठेकेदार ने भी बखूबी उठाया.
कैसे होता है पैचिंग वर्क : किसी भी पुल की शुरुआत में दोनों साइड पर मिट्टी का कटाव किया जाता है. मिट्टी नदी के तेज बहाव से बहे ना इसलिए उसमें बड़े-बड़े पत्थरों को व्यवस्थित ढंग से लगाया जाता है. इसके आधार पर ही पुल खड़ा होता है. किसी भी पुल का पैचिंग वर्क सही ना किया जाए तो पुल की समय सीमा कम हो जाती है. वह कमजोर पुल कभी भी नदी की धार में बह सकता है.
किन महानुभावों की देखरेख में हुआ काम : इस महान नमूने को बनाने में जिन लोगों की मेहनत हैं. उनकी भी लिस्ट ईटीवी भारत के पास है.क्योंकि जिस तरह से इतिहास की इमारतों को याद करके उन्हें बनाने वालों को भी नमन किया जाता है.शायद कुछ सालों बाद इस पुल का निर्माण करने वाले इन महान लोगों को भी बरगांव की जनता याद करें. इस पुल के निर्माण कार्य में कार्यपालन अभियंता-एसवी पडेगावहकर, अनुविभागीय अधिकारी टीएन संतोष, उप अभियांत्रिकी- एआर रंगारी और उमेश साहू का हाथ है.साथ ही जिस कंपनी को ठेका दिया गया है वो इरेटट इन्फ्रास्ट्रक्चर( अमर बम्बरा) की है. इसकी निर्माण अवधि 28 मार्च 2016 से 28 मार्च 2018 तय की गई थी. पुल की लंबाई 168 मीटर है.
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भ्रष्टाचार के पुल पर अफसरों का जवाब : जब ईटीवी भारत ने पुल की सच्चाई को जिम्मेदारों तक पहुंचाया तो अधिकारियों ने जांच की बात कही. जिम्मेदारों ने कहा कि '' पुल के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है. एसडीओ को जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. साथ ही जो भी पुल में कमी पाई गई है. उसकी पूरी भरपाई ठेकेदार से करवाई जाएगी. इसका भी निर्देश दे दिया गया है.