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SPECIAL: 20 वर्षों में हजारों लोग हुए लापता, कागजों में ढूंढ रही पुलिस!

राजनांदगांव में साल दर साल गुमशुदगी के केस बढ़ते जा रहे हैं. साल 2000 से 2016 तक कुल 6234 केस दर्ज हुए हैं. इसमें पुलिस ने 5 हजार 764 लोगों को ढूंढ निकाला है. इसके अलावा पुलिस के रिकार्ड में 1181 ऐसे केस अब भी पेंडिंग में है, जिनका आज तक कोई सुराग नहीं मिला है.

20 वर्षों में हजारों लोग हुए लापता
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Published : Jun 11, 2020, 8:42 PM IST

राजनांदगांव: हर साल सैकड़ों लोग राजनांदगांव जिले से रहस्यमयी तरीके से गायब हो रहे हैं, लेकिन पुलिस को लापता लोगों का न तो कोई सुराग मिल पा रहा है और न ही इनकी तलाश हो पा रही है. पुलिस भी ऐसे मामलों में परिजनों की रिपोर्ट पर कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन ऐसे गुमशुदा लोगों को ढूंढने में पुलिस ने अब तक कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है. यहीं कारण है कि पिछले 20 वर्षों में तकरीबन 1181 ऐसे मामले पुलिस के रिकॉर्ड में लंबित पड़े हुए हैं. इन लोगों को न तो परिजन ढूंढ पाए और न ही पुलिस तलाश कर पाई.

20 वर्षों में 6234 लोग हुए लापता

जिले में आखिर 20 वर्षों में 1181 लोग कहां लापता हुए इस बात का पता अब तक नहीं चल पाया है. पुलिस भी इन लोगों के सुराग नहीं जुटा पाई और न ही यह पता लगा पाई है कि ये लोग कहां गए. क्या कोई ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसा मामला है या फिर किसी मनोरोग का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में 20 वर्षों में जो शिकायतें मिली है, इन्हें देखकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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ऐसा है पुलिस में गुमशुदगी का रिकॉर्ड
साल 2000 से 2016 तक कुल 6234 मामले पुलिस में दर्ज किए गए. इनमें गुमशुदा बच्चे, युवतियां, महिला और पुरुष सभी शामिल है. ज्यादातर मामले किशोर वर्ग के बच्चों के हैं. हालांकि पुलिस ने 5764 मामले में उन लोगों को ढूंढ कर निकाला भी है, लेकिन इसके बावजूद 467 ऐसे मामले आज भी लंबित है. जिनमें पुलिस कोई भी सुराग नहीं ढूंढ पाई है. साल 2017 में भी जिले से 643 प्रकरण सामने आए थे. इनमें 127 लोगों को आज तक नहीं ढूंढा जा सका है. 2018 में 850 मामले सामने आए थे, जिनमें पुलिस ने 621 लोगों को ही ढूंढ पाई है. 2019 में 971 लोग लापता हुए थे, इनमें 421 लोगों को ही पुलिस ढूंढ पाई है. 2020 में 242 लोग अबतक लापता हुए हैं, इनमें 137 लोगों को ढूंढ लिया गया है.

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20 वर्षों में 1181 मामले
पुलिस के रिकॉर्ड में 20 वर्षों में 1181 लापता लोगों के मामले हैं, जो साल दर साल बढ़ते हुए पहुंच यहां तक पहुंचे हैं. इन लोगों को ढूंढने में अब तक पुलिस सफल नहीं हो पाई है. सन 2020 की बात करें तो जिले में 242 लोग लापता हो चुके हैं. इनमें 137 लोगों को ही पुलिस अब तक ढूंढ पाई है. यह आंकड़ा जनवरी से लेकर के मई के बीच का है, बावजूद इसके पुलिस गुमशुदा लोगों की पतासाजी को लेकर के कोई भी विशेष अभियान नहीं चला पाई है.

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स्कूली बच्चों से लेकर कॉलेज छात्र तक हुए हैं लापता
पुलिस के रिकॉर्ड में कई ऐसे प्रकरण भी है, जिनमें गुमशुदा होने वाले स्कूली बच्चे या फिर कॉलेज के छात्र-छात्राएं हैं. पुलिस ज्यादातर कॉलेज के छात्र छात्राओं के मामले में तो उन्हें ढूंढने में सफल हुई है, लेकिन नाबालिग बच्चों के मामले में पुलिस के हाथ अब तक के खाली हैं. लोगों की गुमशुदगी के मामले में पुलिस सबसे पहले मोबाइल ट्रेस कर उन्हें ढूंढ निकालने की कोशिश करती है, लेकिन नाबालिग बच्चों के मामले में पुलिस के हाथ खाली रह जाते हैं. महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिलने की स्थिति में पुलिस नाबालिग मामलों में ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है.

हर स्तर पर ढूंढने की कोशिश
मामले में एएसपी गोरखनाथ बघेल का कहना है कि नाबालिग के गुमशुदा होने की स्थिति में पुलिस रिपोर्ट लिखती है और उनकी पतासाजी करती है. साथ ही पुलिस गुम लोगों की रिपोर्ट दर्ज कर उसे हर स्तर पर ढूंढने का प्रयास करती है. समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से इस्तिहार भी जारी कराई जाती है. साथ ही संबंधित थाना क्षेत्र के लोगों को सूचना दी जाती है. इसके बाद राज्य शासन और केंद्र शासन के पोर्टल में भी गुमशुदा लोगों की जानकारी दी जाती है. जिससे लापता लोगों को ढूंढा जा सके.

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20 वर्षों में 6234 लोग हुए लापता

जिले में आखिर 20 वर्षों में 1181 लोग कहां लापता हुए इस बात का पता अब तक नहीं चल पाया है. पुलिस भी इन लोगों के सुराग नहीं जुटा पाई और न ही यह पता लगा पाई है कि ये लोग कहां गए. क्या कोई ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसा मामला है या फिर किसी मनोरोग का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में 20 वर्षों में जो शिकायतें मिली है, इन्हें देखकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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ऐसा है पुलिस में गुमशुदगी का रिकॉर्ड
साल 2000 से 2016 तक कुल 6234 मामले पुलिस में दर्ज किए गए. इनमें गुमशुदा बच्चे, युवतियां, महिला और पुरुष सभी शामिल है. ज्यादातर मामले किशोर वर्ग के बच्चों के हैं. हालांकि पुलिस ने 5764 मामले में उन लोगों को ढूंढ कर निकाला भी है, लेकिन इसके बावजूद 467 ऐसे मामले आज भी लंबित है. जिनमें पुलिस कोई भी सुराग नहीं ढूंढ पाई है. साल 2017 में भी जिले से 643 प्रकरण सामने आए थे. इनमें 127 लोगों को आज तक नहीं ढूंढा जा सका है. 2018 में 850 मामले सामने आए थे, जिनमें पुलिस ने 621 लोगों को ही ढूंढ पाई है. 2019 में 971 लोग लापता हुए थे, इनमें 421 लोगों को ही पुलिस ढूंढ पाई है. 2020 में 242 लोग अबतक लापता हुए हैं, इनमें 137 लोगों को ढूंढ लिया गया है.

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20 वर्षों में 1181 मामले
पुलिस के रिकॉर्ड में 20 वर्षों में 1181 लापता लोगों के मामले हैं, जो साल दर साल बढ़ते हुए पहुंच यहां तक पहुंचे हैं. इन लोगों को ढूंढने में अब तक पुलिस सफल नहीं हो पाई है. सन 2020 की बात करें तो जिले में 242 लोग लापता हो चुके हैं. इनमें 137 लोगों को ही पुलिस अब तक ढूंढ पाई है. यह आंकड़ा जनवरी से लेकर के मई के बीच का है, बावजूद इसके पुलिस गुमशुदा लोगों की पतासाजी को लेकर के कोई भी विशेष अभियान नहीं चला पाई है.

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पुलिस के रिकॉर्ड में कई ऐसे प्रकरण भी है, जिनमें गुमशुदा होने वाले स्कूली बच्चे या फिर कॉलेज के छात्र-छात्राएं हैं. पुलिस ज्यादातर कॉलेज के छात्र छात्राओं के मामले में तो उन्हें ढूंढने में सफल हुई है, लेकिन नाबालिग बच्चों के मामले में पुलिस के हाथ अब तक के खाली हैं. लोगों की गुमशुदगी के मामले में पुलिस सबसे पहले मोबाइल ट्रेस कर उन्हें ढूंढ निकालने की कोशिश करती है, लेकिन नाबालिग बच्चों के मामले में पुलिस के हाथ खाली रह जाते हैं. महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिलने की स्थिति में पुलिस नाबालिग मामलों में ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है.

हर स्तर पर ढूंढने की कोशिश
मामले में एएसपी गोरखनाथ बघेल का कहना है कि नाबालिग के गुमशुदा होने की स्थिति में पुलिस रिपोर्ट लिखती है और उनकी पतासाजी करती है. साथ ही पुलिस गुम लोगों की रिपोर्ट दर्ज कर उसे हर स्तर पर ढूंढने का प्रयास करती है. समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से इस्तिहार भी जारी कराई जाती है. साथ ही संबंधित थाना क्षेत्र के लोगों को सूचना दी जाती है. इसके बाद राज्य शासन और केंद्र शासन के पोर्टल में भी गुमशुदा लोगों की जानकारी दी जाती है. जिससे लापता लोगों को ढूंढा जा सके.

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