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राजनांदगांव में खिला ब्रह्म कमल, देखने के लिए जुटी भीड़ - Brahma Kamal

राजनांदगांव के एक घर में ब्रह्म कमल खिला है. ब्रह्म कमल (Brahma Kamal flower) साल में एक बार सूर्यास्त के बाद खिलता है और सुबह होते ही मुरझा जाता है. ब्रह्म कमल धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर होता है. यह वर्ष में एक बार ही खिलता है.

Brahma Kamal
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Published : Jul 6, 2021, 4:32 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 5:56 PM IST

राजनांदगांव: वर्ष में एक बार ही खिलने वाला ब्रह्म कमल राजनांदगांव शहर के लाल बाग हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले संतोष तिवारी के घर पर खिला है. ब्रह्म कमल को दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है. इसे ब्रह्मा जी का फूल माना जाता है. यह फूल अक्सर यह ठंडे इलाकों में जुलाई और अगस्त के महीने में खिलता है. लेकिन राजनांदगांव के रहने वाले संतोष तिवारी के यहां ये फूल खिला है. जिससे उनका परिवार खुश है. इसकी जानकारी मिलते ही आस-पास के लोग भी ब्रह्म देखने के लिए पहुंचे.

ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल

कई नामों से जाना जाता है ब्रह्म कमल

ब्रह्म कमल उत्तराखंड के पिण्डारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ में पाया जाता है. इसे भारत के अन्य भागों में कई और नामों से भी पुकारा जाता है. हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस के नाम से भी ब्रह्म कमल को जाना जाता है.

Special : ब्रह्मकमल को देखने उमड़ी लोगों की भीड़, दुर्लभ फूलों में होती है गिनती

औषधीय गुणों से भरपूर

ब्रह्म कमल जमीन पर उगता है. ब्रह्म कमल का वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम Saussurea obvallata है. मान्यता है ब्रह्म कमल की पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है. ब्रह्म कमल से पुरानी (काली) खांसी का भी इलाज किया जाता है. इस फूल से कैंसर और कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है. इनके अलावा जननांगों की बीमारी, लिवर संक्रमण, यौन रोगों का इलाज भी इससे होता है. हड्डियों में दर्द से राहत में भी कमल के फूल के रस का पुल्टिस बांधना आराम देता है. हालांकि अभी तक ऐसे किसी दावे की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर ये काफी प्रचलित है.

उत्तराखंड : अक्टूबर माह में भी खिला ब्रह्म कमल, जानें विशेषज्ञों की राय

महाभारत में भी मिलता है उल्लेख

मान्यता है, ब्रह्मकमल भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है. केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में ब्रह्म कमल ही चढ़ाया जाता है. मान्यता है ब्रह्म कमल का फूल विशेष दिनों में केदारनाथ में चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. ब्रह्म कमल का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. बताते हैं, द्रौपदी भी इसे पाना चाहती थीं, तब भीम इसे लेने के लिए हिमालय गए थे. जहां उनका सामना भगवान हनुमान से हुआ था. भीम उन्हें एक वानर समझकर उनकी पूंछ हटाने का कहा था, जिसपर भगवान हनुमान ने कहा कि तुम शक्तिशाली हो तो खुद ही यह पूंछ हटा लो, लेकिन भीम से ऐसा नहीं हुआ. जिसके बाद भीम को अपनी गलती का एहसास हुआ.

राजनांदगांव: वर्ष में एक बार ही खिलने वाला ब्रह्म कमल राजनांदगांव शहर के लाल बाग हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले संतोष तिवारी के घर पर खिला है. ब्रह्म कमल को दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है. इसे ब्रह्मा जी का फूल माना जाता है. यह फूल अक्सर यह ठंडे इलाकों में जुलाई और अगस्त के महीने में खिलता है. लेकिन राजनांदगांव के रहने वाले संतोष तिवारी के यहां ये फूल खिला है. जिससे उनका परिवार खुश है. इसकी जानकारी मिलते ही आस-पास के लोग भी ब्रह्म देखने के लिए पहुंचे.

ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल

कई नामों से जाना जाता है ब्रह्म कमल

ब्रह्म कमल उत्तराखंड के पिण्डारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ में पाया जाता है. इसे भारत के अन्य भागों में कई और नामों से भी पुकारा जाता है. हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस के नाम से भी ब्रह्म कमल को जाना जाता है.

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औषधीय गुणों से भरपूर

ब्रह्म कमल जमीन पर उगता है. ब्रह्म कमल का वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम Saussurea obvallata है. मान्यता है ब्रह्म कमल की पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है. ब्रह्म कमल से पुरानी (काली) खांसी का भी इलाज किया जाता है. इस फूल से कैंसर और कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है. इनके अलावा जननांगों की बीमारी, लिवर संक्रमण, यौन रोगों का इलाज भी इससे होता है. हड्डियों में दर्द से राहत में भी कमल के फूल के रस का पुल्टिस बांधना आराम देता है. हालांकि अभी तक ऐसे किसी दावे की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर ये काफी प्रचलित है.

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महाभारत में भी मिलता है उल्लेख

मान्यता है, ब्रह्मकमल भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है. केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में ब्रह्म कमल ही चढ़ाया जाता है. मान्यता है ब्रह्म कमल का फूल विशेष दिनों में केदारनाथ में चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. ब्रह्म कमल का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. बताते हैं, द्रौपदी भी इसे पाना चाहती थीं, तब भीम इसे लेने के लिए हिमालय गए थे. जहां उनका सामना भगवान हनुमान से हुआ था. भीम उन्हें एक वानर समझकर उनकी पूंछ हटाने का कहा था, जिसपर भगवान हनुमान ने कहा कि तुम शक्तिशाली हो तो खुद ही यह पूंछ हटा लो, लेकिन भीम से ऐसा नहीं हुआ. जिसके बाद भीम को अपनी गलती का एहसास हुआ.

Last Updated : Jul 6, 2021, 5:56 PM IST
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