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SPECIAL: राजनांदगांव के खेमलाल कर रहे ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस की खेती

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Published : Aug 18, 2020, 2:34 PM IST

राजनांदगांव के सोमाझिटिया गांव के किसान खेमलाल देवांगन जैविक खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं. ये किसान अपने खेत में एक साथ 4 अलग-अलग तरह की धान की फसल ले रहे हैं. इनमें ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस शामिल हैं, जो पोषण से भरपूर होते हैं. इसकी बाजार में भी काफी डिमांड है.

Farmers doing organic farming
जैविक खेती कर रहे किसान

राजनांदगांव: शहर में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है, वैसे-वैसे लोग अपनी सेहत को लेकर सजग होने लगे हैं. लोगों ने अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है. ज्यादातर लोग व्यायाम, योग और पोषण से भरपूर आहार के जरिए अपनी सेहत सुधार रहे हैं. बेहतर भोजन के लिए जरूरी है केमिकल के बिना नेचुरल खाद के प्रयोग से उगाया गया अनाज. ऐसी ही खेती कर रहे हैं सोमाझिटिया गांव के किसान खेमलाल देवांगन. खेमलाल जैविक खेती के जरिए लोगों को शुद्ध अनाज उपलब्ध करा रहे हैं. ऑर्गेनिक फार्मिंग और इसके प्रोडक्ट की बाजार में भारी डिमांड भी है. किसान खेमलाल ने अपने 3 एकड़ खेत में धान की चार अलग-अलग किस्म की फसल ले रहे हैं.

ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस की खेती

पढ़ें- SPECIAL: मौसम किसानों पर मेहरबान, इस साल धान की होगी बंपर पैदावार

छत्तीसगढ़ में किसान खूब जैविक खेती कर रहे हैं. प्रदेश के अधिकतर किसान रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान और गुणवत्ताविहीन फसल से किनारा करते हुए ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं. सोमाझिटिया के किसान खेमलाल देवांगन ने पिछले साल प्रयोग के तौर पर अपनी एक एकड़ खेत में काले गेहूं की जैविक खेती की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने महामारी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब पूर्ण रूप से जैविक खेती करने का संकल्प ले लिया है. इस साल 3 एकड़ के रकबे में वे धान की 4 अलग-अलग किस्में ले रहे हैं.

ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस की फसल

किसान खेमलाल ने अपने खेत के 3 एकड़ रकबे में ब्लैक, ग्रीन, रेड राइस और जिंक राइस की खेती की है. खेतों में रोपाई का काम होने के बाद फसल तैयार हो रही है. कुछ ही दिनों में धान में बालियां आना शुरू हो जाएंगी. चार तरह के धान की फसल ले रहे किसान खेमलाल का कहना है कि इन चारों फसलों की अपनी खासियत है.

farmer of Rajnandgaon is taking 4 crops in one farm through organic farming
ग्रीन राइस की खेती

चावल की खासियत

  • ब्लैक राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. ये हृदय रोग, डाइबिटीज, अल्जाइमर और कैंसर से बचाव के लिए उपयोगी है.
  • रेड राइस में एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए ये फायदेमंद होता है. इसके साथ ही ये कैंसर के खतरे को कम करके वजन को सही रखने में मदद करता है.
  • ग्रीन राइस में क्लोरोफिल बी, ग्लूटेन मुक्त, उच्च मात्रा में प्रोटीन और फाइबर मौजूद होते हैं. ये कैंसर के खतरे और मोटापा कम करने के लिए उपयोगी होता है.
  • जिंक राइस में जिंक की मात्रा होती है, जो एनीमिया, सिकलिन और कुपोषण से लड़ने में सबसे ज्यादा मदद करता है.

स्वास्थ्य के साथ मुनाफे की फसल

जैविक खेती के अंतर्गत धान की अलग-अलग किस्म के प्रति एकड़ में तकरीबन 15 से 18 क्विंटल तक का उत्पादन होता है. धान की इस फसल से होने वाला अनाज जहां स्वास्थ के लिए सबसे बेहतर होता है, वहीं किसानों की आय बढ़ाने में भी यह काफी कारगर है. देश-विदेश में जैविक अनाज की काफी पूछ परख है. 200 से 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से जैविक अनाज की डिमांड है, जबकि सामान्य अनाज की कीमत 40 से 70 रुपए के भीतर ही है. ऐसी स्थिति में जैविक खेती कर धान की अलग-अलग फसल लेने से किसानों को उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में भी काफी मदद मिल रही है.

परंपरागत खेती से हटकर जैविक खेती कर रहे किसानों को थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बाजार डिमांड के हिसाब से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जैविक खेती एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है. हालांकि सरकार इस ओर काफी ध्यान देकर प्रचार प्रसार कर रही है, खेमलाल जैसे किसान एक बेहतर सोच के साथ जैविक खेती को अपनाकर लोगों के स्वास्थ की चिंता तो कर रहे हैं साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं.

राजनांदगांव: शहर में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है, वैसे-वैसे लोग अपनी सेहत को लेकर सजग होने लगे हैं. लोगों ने अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है. ज्यादातर लोग व्यायाम, योग और पोषण से भरपूर आहार के जरिए अपनी सेहत सुधार रहे हैं. बेहतर भोजन के लिए जरूरी है केमिकल के बिना नेचुरल खाद के प्रयोग से उगाया गया अनाज. ऐसी ही खेती कर रहे हैं सोमाझिटिया गांव के किसान खेमलाल देवांगन. खेमलाल जैविक खेती के जरिए लोगों को शुद्ध अनाज उपलब्ध करा रहे हैं. ऑर्गेनिक फार्मिंग और इसके प्रोडक्ट की बाजार में भारी डिमांड भी है. किसान खेमलाल ने अपने 3 एकड़ खेत में धान की चार अलग-अलग किस्म की फसल ले रहे हैं.

ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस की खेती

पढ़ें- SPECIAL: मौसम किसानों पर मेहरबान, इस साल धान की होगी बंपर पैदावार

छत्तीसगढ़ में किसान खूब जैविक खेती कर रहे हैं. प्रदेश के अधिकतर किसान रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान और गुणवत्ताविहीन फसल से किनारा करते हुए ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं. सोमाझिटिया के किसान खेमलाल देवांगन ने पिछले साल प्रयोग के तौर पर अपनी एक एकड़ खेत में काले गेहूं की जैविक खेती की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने महामारी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब पूर्ण रूप से जैविक खेती करने का संकल्प ले लिया है. इस साल 3 एकड़ के रकबे में वे धान की 4 अलग-अलग किस्में ले रहे हैं.

ब्लैक, ग्रीन, रेड और जिंक राइस की फसल

किसान खेमलाल ने अपने खेत के 3 एकड़ रकबे में ब्लैक, ग्रीन, रेड राइस और जिंक राइस की खेती की है. खेतों में रोपाई का काम होने के बाद फसल तैयार हो रही है. कुछ ही दिनों में धान में बालियां आना शुरू हो जाएंगी. चार तरह के धान की फसल ले रहे किसान खेमलाल का कहना है कि इन चारों फसलों की अपनी खासियत है.

farmer of Rajnandgaon is taking 4 crops in one farm through organic farming
ग्रीन राइस की खेती

चावल की खासियत

  • ब्लैक राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. ये हृदय रोग, डाइबिटीज, अल्जाइमर और कैंसर से बचाव के लिए उपयोगी है.
  • रेड राइस में एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए ये फायदेमंद होता है. इसके साथ ही ये कैंसर के खतरे को कम करके वजन को सही रखने में मदद करता है.
  • ग्रीन राइस में क्लोरोफिल बी, ग्लूटेन मुक्त, उच्च मात्रा में प्रोटीन और फाइबर मौजूद होते हैं. ये कैंसर के खतरे और मोटापा कम करने के लिए उपयोगी होता है.
  • जिंक राइस में जिंक की मात्रा होती है, जो एनीमिया, सिकलिन और कुपोषण से लड़ने में सबसे ज्यादा मदद करता है.

स्वास्थ्य के साथ मुनाफे की फसल

जैविक खेती के अंतर्गत धान की अलग-अलग किस्म के प्रति एकड़ में तकरीबन 15 से 18 क्विंटल तक का उत्पादन होता है. धान की इस फसल से होने वाला अनाज जहां स्वास्थ के लिए सबसे बेहतर होता है, वहीं किसानों की आय बढ़ाने में भी यह काफी कारगर है. देश-विदेश में जैविक अनाज की काफी पूछ परख है. 200 से 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से जैविक अनाज की डिमांड है, जबकि सामान्य अनाज की कीमत 40 से 70 रुपए के भीतर ही है. ऐसी स्थिति में जैविक खेती कर धान की अलग-अलग फसल लेने से किसानों को उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में भी काफी मदद मिल रही है.

परंपरागत खेती से हटकर जैविक खेती कर रहे किसानों को थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बाजार डिमांड के हिसाब से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जैविक खेती एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है. हालांकि सरकार इस ओर काफी ध्यान देकर प्रचार प्रसार कर रही है, खेमलाल जैसे किसान एक बेहतर सोच के साथ जैविक खेती को अपनाकर लोगों के स्वास्थ की चिंता तो कर रहे हैं साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं.

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