राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में बीते महीने कोरोना संक्रमण के संकट काल में नमक की कमी की खबर ने शहरवासियों की नींद उड़ा दी थी. नमक की कमी की अफवाह इस कदर फैल गई थी कि बाजारों में देखते ही देखते नमक लेने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी. इसके बाद खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अमृत नमक को सभी सरकारी राशन दुकानों में उपल्ब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन जून महीना बीतने को है, राशन दुकानों में अमृत नमक का एक ढेला भी नहीं पहुंचा है. राशन दुकानों में नमक नहीं मिलने से हितग्राही चिंतित नजर आ रहे हैं.
दरअसल, डोंगरगांव ब्लॉक में 77 शासकीय उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं. जिनके माध्यम से हितग्राहियों और आमजनों को खाद्य सामग्री का वितरण किया जाता है. बीते दो दिन पहले तक इनमें से कहीं भी नमक की उपलब्धता नहीं थी. नतीजा यह है कि हितग्राहियों को बगैर नमक के चावल और शक्कर लेकर आना पड़ा, जबकि इस बार एपीएल कार्डधारक भी घोषणा के अनुसार नमक की आस लगाए बैठे थे.
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एपीएल कार्डधारक नमक के लिए आस लगाए बैठे
डोंगरगांव ब्लॉक के राशन दुकान पर पहुंचकर हितग्राहियों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि इस महीने से उन्हें अमृत नमक नहीं मिला है. पूछे जाने पर दुकानदारों के द्वारा सप्लाई नहीं आने की बात कही जा रही है, जबकि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद इस बार एपीएल कार्डधारक भी नमक के लिए आस लगाए थे, लेकिन राशन दुकानों में नमक ही नहीं है.
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जुलाई में एक साथ दोनों महीने का मिलेगा नमक
मामले में क्षेत्र की खाद्य निरीक्षक राबिया खान ने बताया कि भंडारण में देर होने के कारण वितरण में भी देरी हुई है. क्षेत्र के 77 में से 45 दुकानों में बीपीएल कार्डधारकों के लिए नमक का खेप पहुंच चुका है, जबकि एपीएल हितग्राहियों के लिए नमक का भंडारण अभी नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि आगामी एक-दो दिनों में यह व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू हो जाएगी, साथ ही जिन हितग्राहियों को जून महीने का नमक नहीं मिला होगा, वह जुलाई महीने में एक साथ दोनों महीने का नमक ले सकते हैं.
इस महीने एपीएल कार्डधारकों को नहीं मिलेगा नमक
बता दें कि क्षेत्र की खाद्य निरीक्षक के मुताबिक मुख्यमंत्री की घोषणा का लाभ इस महीने APL कार्डधारकों को नहीं मिलेगा. इसके पीछे गोदाम प्रभारियों की बड़ी लापरवाही एक बड़ा कारण है. बीते दिनों छुरिया क्षेत्र के गोदाम में पहुंचे नमक के खेप को गोदाम प्रभारी ने दो दिनों तक अनलोड ही नहीं किया था. इसकी शिकायत संबंधित ट्रांसपोर्टर ने उच्च कार्यालय में भी की थी, बावजूद इसके अधिकारी मामले में चुप्पी साधे हैं.