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राजनांदगांव के 'तोड़के' में 14 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ आंगनबाड़ी भवन

राजनांदगांव के नक्सल प्रभावित (naxal affected) क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेंदोड़ी के आश्रित ग्राम तोड़के में 10 साल बाद भी आंगनबाड़ी भवन (anganwadi building) नहीं बन पाया है. इससे बच्चों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Anganwadi's dream was not fulfilled even in fourteen years in 'Todke'
तोड़के में आंगनबाड़ी भवन का सपना
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Published : Sep 10, 2021, 3:35 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 4:20 PM IST

राजनांदगांवः नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेंदोड़ी के आश्रित ग्राम तोड़के में आंगनबाड़ी भवन (anganwadi building) को पंचायत ने 2011-12 में तैयार बता दिया था. जबकि हकीकत में निर्माण कार्य अधूरा (construction work unfinished) पड़ा है. वहीं इस भवन में शौचालय (toilet), पानी (Water), बिजली (Lightning) की भी कोई सुविधा नहीं है. आंगनबाड़ी भवन निर्माण कराने के लिए सवा लाख की स्वीकृति 2007 में दी गई थी. भवन निर्माण कराने के लिए ग्राम पंचायत ने एक निर्माण एजेंसी बनाई. वहीं इस पूरे मामले में जिला प्रशासन (district administration) सफाई देते नजर आ रहा है.

'तोड़के' में 14 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ आंगनबाड़ी भवन

कागजों तक ही सिमट गया भवन का निर्माण

निर्माण एजेंसी (construction agency) ने आंगनबाड़ी भवन का 2011 में निर्माण (Construction) कार्य शुरू किया और 2012 में कार्य पूरा होना बताया. सूत्रों का कहना है कि रिकॉर्ड (record) में भवन का निर्माण कार्य भी पूरा करा लिया गया है. जबकि हकीकत में भवन निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है. ग्रामीणों का कहना है कि आंगनबाड़ी भवन आधा-अधूरा (Half-unfinished) है जहां बच्चों के बैठने की भी जगह नहीं है. इसके चलते आंगनबाड़ी निजी मकान (private house) में संचालित कराया जा रहा है.

ग्रामीणों में है गुस्सा

ग्रामीण गनसाय सलामे, सुकलुराम हलामी पटेल, देरेश कुमार आर्य, अनित राम पोटाई, सुरेश आर्य, मनिता बाई, ललेश्वर बाई कृषान का कहना है कि भवन निर्माण में भारी लापरवाही और गुणवत्ता की अनदेखी की गई है. लाखों की लागत से बने बिल्डिंग के अंदर प्लास्टर (Plaster) नहीं किया गया है. बाहर से रंग-रोगन (paint) कर दिया गया है. भवन के पिछले हिस्से में दरार पड़ गया है. वह कब गिर जाएगा, कोई भरोसा नहीं है. आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कार्य पूरा दिखाने के लिए बिल्डिंग (building) को बाहर से रंग-रोगन (paint) कर चकाचक कर दिया है.

जानिए, क्यों मनाया जाता है बस्तर का भादो जातरा मेला

महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही

भीतर से जर्जर हो चुके भवन में रोड ठेकेदारों ने सीमेंट रख कर उसका उपयोग गोदाम के रूप में कर किया है. तोड़के गांव में जब से आंगनबाड़ी खुला है तब से यह आंगनबाड़ी किराए पर संचालित हो किया जा रहा है. बच्चे आज भी गांव के एक निजी मकान में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही (negligence of officials) के चलते बच्चों को बैठने के लिए किराये के मकान का सहारा लेना पड़ रहा है. हालत ऐसे है कि यहां न शौचालय है और न ही पानी की सुविधा. बारिश के दिनों में बच्चों को इस मकान में बैठना भी दूभर हो जाता है. यह आंगनबाड़ी केंद्र 1996 में खुला. तब से गांव के एक निजी मकान में आंगनबाड़ी को संचालित किया जा रहा था. ग्रामीणों की मांग पर 2007 में भवन के लिए स्वीकृति मिली. जिसे बनाने के लिए ग्राम पंचायत ने एक ठेकेदार को भवन बनाने का ठेका दिया. पर उसने भी इस भवन के निर्माण को अधूरा छोड़ दिया.

राजनांदगांवः नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेंदोड़ी के आश्रित ग्राम तोड़के में आंगनबाड़ी भवन (anganwadi building) को पंचायत ने 2011-12 में तैयार बता दिया था. जबकि हकीकत में निर्माण कार्य अधूरा (construction work unfinished) पड़ा है. वहीं इस भवन में शौचालय (toilet), पानी (Water), बिजली (Lightning) की भी कोई सुविधा नहीं है. आंगनबाड़ी भवन निर्माण कराने के लिए सवा लाख की स्वीकृति 2007 में दी गई थी. भवन निर्माण कराने के लिए ग्राम पंचायत ने एक निर्माण एजेंसी बनाई. वहीं इस पूरे मामले में जिला प्रशासन (district administration) सफाई देते नजर आ रहा है.

'तोड़के' में 14 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ आंगनबाड़ी भवन

कागजों तक ही सिमट गया भवन का निर्माण

निर्माण एजेंसी (construction agency) ने आंगनबाड़ी भवन का 2011 में निर्माण (Construction) कार्य शुरू किया और 2012 में कार्य पूरा होना बताया. सूत्रों का कहना है कि रिकॉर्ड (record) में भवन का निर्माण कार्य भी पूरा करा लिया गया है. जबकि हकीकत में भवन निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है. ग्रामीणों का कहना है कि आंगनबाड़ी भवन आधा-अधूरा (Half-unfinished) है जहां बच्चों के बैठने की भी जगह नहीं है. इसके चलते आंगनबाड़ी निजी मकान (private house) में संचालित कराया जा रहा है.

ग्रामीणों में है गुस्सा

ग्रामीण गनसाय सलामे, सुकलुराम हलामी पटेल, देरेश कुमार आर्य, अनित राम पोटाई, सुरेश आर्य, मनिता बाई, ललेश्वर बाई कृषान का कहना है कि भवन निर्माण में भारी लापरवाही और गुणवत्ता की अनदेखी की गई है. लाखों की लागत से बने बिल्डिंग के अंदर प्लास्टर (Plaster) नहीं किया गया है. बाहर से रंग-रोगन (paint) कर दिया गया है. भवन के पिछले हिस्से में दरार पड़ गया है. वह कब गिर जाएगा, कोई भरोसा नहीं है. आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कार्य पूरा दिखाने के लिए बिल्डिंग (building) को बाहर से रंग-रोगन (paint) कर चकाचक कर दिया है.

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महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही

भीतर से जर्जर हो चुके भवन में रोड ठेकेदारों ने सीमेंट रख कर उसका उपयोग गोदाम के रूप में कर किया है. तोड़के गांव में जब से आंगनबाड़ी खुला है तब से यह आंगनबाड़ी किराए पर संचालित हो किया जा रहा है. बच्चे आज भी गांव के एक निजी मकान में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही (negligence of officials) के चलते बच्चों को बैठने के लिए किराये के मकान का सहारा लेना पड़ रहा है. हालत ऐसे है कि यहां न शौचालय है और न ही पानी की सुविधा. बारिश के दिनों में बच्चों को इस मकान में बैठना भी दूभर हो जाता है. यह आंगनबाड़ी केंद्र 1996 में खुला. तब से गांव के एक निजी मकान में आंगनबाड़ी को संचालित किया जा रहा था. ग्रामीणों की मांग पर 2007 में भवन के लिए स्वीकृति मिली. जिसे बनाने के लिए ग्राम पंचायत ने एक ठेकेदार को भवन बनाने का ठेका दिया. पर उसने भी इस भवन के निर्माण को अधूरा छोड़ दिया.

Last Updated : Sep 10, 2021, 4:20 PM IST
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