राजनांदगांव: जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के प्रबंधक एक बार फिर विवादों में आ गए हैं. इस बार 80 लाख रुपये के गबन के आरोपी को गुपचुप तरीके से बाहर कर दिया गया है. हालांकि इस मामले में बैंक प्रबंधक का कहना है कि गबन के आरोपी ने 48 लाख रुपए वापस खाते में जमा करा दिया है. शेष बची राशि को शपथ पत्र के आधार पर कर्मचारी के वेतन से काटी जाएगी, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर गबन के आरोपी को शाखा में कैसे पदस्थ कर दिया गया.
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत आने वाले पंडरिया सोसायटी में लिपिक के पद पर पदस्थ रहे कर्मचारी मोहन चंद्राकर ने 5 साल पहले 80 लाख रुपए का गबन किया था. शिकायत सामने आने पर उसे तत्काल पद से बर्खास्त कर दिया गया. विभागीय सूत्रों की मानें तो बाद में लिपिक ने 48 लाख रुपये की राशि बैंक के खाते में जमा करा दी है. शेष राशि देने के लिए उसने शपथ पत्र दिया. इसके आधार पर लिपिक को अब बहाली कर दी गई है, लेकिन कर्मचारी की बहाली के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस कर्मचारी ने बैंक में गबन किया. उसे क्यों गुपचुप तरीके से बहाली की जा रही है.
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फैसला आना बाकी
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधक ने कर्मचारी को बहाली में काफी जल्दबाजी की है. कर्मचारी के खिलाफ सक्षम न्यायालय में बैंक प्रबंधक ने अपील प्रस्तुत की थी, जिसका फैसला अब तक नहीं आया है. कर्मचारी को पदस्थ करने पर बैंक प्रबंधन की कार्यशैली को लेकर के सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर क्यों कर्मचारी पर इस कदर मेहरबानी की जा रही है. यह जांच का विषय हो सकता है.
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जांच होनी चाहिए
मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष सचिन बघेल का कहना है कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. बैंक प्रबंधक किसी भी तरह की लापरवाही बरत रहा है, तो सीधा नुकसान बैंक को उठाना पड़ेगा. लापरवाह कर्मचारियों और गबन करने वाले कर्मचारियों को शह देने के चलते ही बैंक को लगातार नुकसान हो रहा है.
बैंक प्रबंधन का अपना ही पक्ष
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ सुनील वर्मा का कहना है कि कर्मचारी मोहन चंद्राकर ने 5 साल पहले पंडरिया सोसायटी में 80 लाख रुपए का गबन किया था. मामला सामने आने के बाद मामले में कार्रवाई भी की गई. कर्मचारी ने 48 लाख रुपए बैंक के खाते में जमा करा दिए हैं. शेष रकम शपथ पत्र के आधार पर कर्मचारी के वेतन से 12 हजार रुपये प्रतिमाह काटी जाएगी.