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Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत करने पर भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा, जानें पूजन विधि और मुहूर्त

Pradosh Vrat 2022: त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार का प्रदोष व्रत 15 जनवरी दिन शनिवार को है. प्रदोष व्रत की पूजा और विधि के बारे में जानिए

Pradosh Vrat
प्रदोष व्रत
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Published : Jan 14, 2022, 4:23 PM IST

Updated : Jan 14, 2022, 11:19 PM IST

रायपुर: मृगशिरा नक्षत्र ब्रह्म योग कौलव और तैतिल करण के मंगलकारी योग में शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2022) शनिवार के दिन उत्तरायण काल में 15 जनवरी को मनाया जाएगा. आज के शुभ दिन रवि योग और निवृत्ति योग भी है. सुबह से ही चंद्रमा का आगमन मिथुन राशि में हो जाएगा. यह कल्याणकारी है, मृगशिरा में सूर्य वेद भी बन रहा है और प्रदोष व्रत करने पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है. महामृत्युंजय रूद्र को आज के दिन जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक करने पर विशेष लाभ मिलता है. अनादि शंकर भगवान को शमी पत्र, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल और प्रकृति के विभिन्न रंगों के फूल बहुत प्रिय हैं. आज के शुभ दिन भवानी शंकर को दूध भी चढ़ाया जाता है. पंचामृत दही दूध का अभिषेक करना पवित्र माना गया है.

प्रदोष व्रत करने पर भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा

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जानें शुभ मुर्हूत

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा (Astrologer and Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma) ने बताया कि प्रदोष व्रतधारी को एकासना का अभ्यास करना चाहिए. अनेक व्रती निराहार रहकर इस पर्व को मनाते हैं. आज के शुभ दिन महामृत्युंजय, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम, पंचाक्षरी मंत्र, शिव संकल्प मंत्र और अष्टाध्यायी का पाठ करना शुभ माना गया है. प्रदोष काल में विशेष महत्व है. मुख्य पूजा प्रदोष काल के समय ही करनी चाहिए. अनेक विद्वान सूर्यास्त के बाद 72 मिनट पूर्व और 72 मिनट बाद प्रदोष काल को मानते हैं. शाम को 4:28 बजे से लेकर शाम 6:52 तक प्रदोष काल रहेगा.

भगवान शिव की साधना

ऐसी मान्यता है कि इस समय कैलाश पर्वत में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. इस काल में वृद्धि एवं साधकों को विशेष पूजा करनी चाहिए. शिव जी की आरती आस्था पूर्वक पाठ करना चाहिए शिवजी को कपूर की तरह गौर वर्ण का माना गया है. कपूर का भी उचित रीति से इस पूजन में प्रयोग करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: गौरेबा पेंड्रा मरवाही में दिव्यांगों के प्रोत्साहन राशि में अफसरों की बंदरबांट, कैमरे के सामने कबूला अपना जुर्म

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष काल के समय पूजा करते समय हाथ और मुंह और पैरों को अच्छी तरह से धोकर ही पूजा करनी चाहिए. यदि संभव हो तो साधकों को पुनः स्नान करके प्रदोष काल में पूजन करना चाहिए. इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में स्थिरता आती है. ऐसी कन्या जिनके विवाह नहीं हुए हैं. उनको प्रदोष का व्रत करने पर शिव जैसे ही दुर्लभ गुणों से युक्त पति की प्राप्ति होती है. ऐसा माना गया है यह प्रदोष व्रत उत्तरायण का प्रथम प्रदोष है. अतः इस शनि प्रदोष का अलग ही महत्व है.

रायपुर: मृगशिरा नक्षत्र ब्रह्म योग कौलव और तैतिल करण के मंगलकारी योग में शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2022) शनिवार के दिन उत्तरायण काल में 15 जनवरी को मनाया जाएगा. आज के शुभ दिन रवि योग और निवृत्ति योग भी है. सुबह से ही चंद्रमा का आगमन मिथुन राशि में हो जाएगा. यह कल्याणकारी है, मृगशिरा में सूर्य वेद भी बन रहा है और प्रदोष व्रत करने पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है. महामृत्युंजय रूद्र को आज के दिन जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक करने पर विशेष लाभ मिलता है. अनादि शंकर भगवान को शमी पत्र, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल और प्रकृति के विभिन्न रंगों के फूल बहुत प्रिय हैं. आज के शुभ दिन भवानी शंकर को दूध भी चढ़ाया जाता है. पंचामृत दही दूध का अभिषेक करना पवित्र माना गया है.

प्रदोष व्रत करने पर भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा

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जानें शुभ मुर्हूत

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा (Astrologer and Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma) ने बताया कि प्रदोष व्रतधारी को एकासना का अभ्यास करना चाहिए. अनेक व्रती निराहार रहकर इस पर्व को मनाते हैं. आज के शुभ दिन महामृत्युंजय, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम, पंचाक्षरी मंत्र, शिव संकल्प मंत्र और अष्टाध्यायी का पाठ करना शुभ माना गया है. प्रदोष काल में विशेष महत्व है. मुख्य पूजा प्रदोष काल के समय ही करनी चाहिए. अनेक विद्वान सूर्यास्त के बाद 72 मिनट पूर्व और 72 मिनट बाद प्रदोष काल को मानते हैं. शाम को 4:28 बजे से लेकर शाम 6:52 तक प्रदोष काल रहेगा.

भगवान शिव की साधना

ऐसी मान्यता है कि इस समय कैलाश पर्वत में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. इस काल में वृद्धि एवं साधकों को विशेष पूजा करनी चाहिए. शिव जी की आरती आस्था पूर्वक पाठ करना चाहिए शिवजी को कपूर की तरह गौर वर्ण का माना गया है. कपूर का भी उचित रीति से इस पूजन में प्रयोग करना चाहिए.

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष काल के समय पूजा करते समय हाथ और मुंह और पैरों को अच्छी तरह से धोकर ही पूजा करनी चाहिए. यदि संभव हो तो साधकों को पुनः स्नान करके प्रदोष काल में पूजन करना चाहिए. इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में स्थिरता आती है. ऐसी कन्या जिनके विवाह नहीं हुए हैं. उनको प्रदोष का व्रत करने पर शिव जैसे ही दुर्लभ गुणों से युक्त पति की प्राप्ति होती है. ऐसा माना गया है यह प्रदोष व्रत उत्तरायण का प्रथम प्रदोष है. अतः इस शनि प्रदोष का अलग ही महत्व है.

Last Updated : Jan 14, 2022, 11:19 PM IST
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