रायपुर: आज पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र की शुभ बेला में हरियाली तीज का पावन पर्व मनाया जा रहा है. इसे मधुश्रावणी तृतीया के रूप में भी मनाया जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी आज के दिन व्रत रखना चाहिए. इससे उनके विवाह का योग बन जाएगा.
बिहार प्रांत में यह पर्व 13 दिनों की साधना की समापन के रूप में भी मनाया जाता है. आज के दिन सिद्ध शिव और स्थिर योग का संयोग बन रहा है. आज चंद्रमा और कन्या राशि में विराजमान रहेगा. कन्या में ही शुक्र का आगमन हो रहा है. इसे स्वर्ण गौरी व्रत ठकुराइन जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. पश्चिम में ठकुराइन जयंती काफी प्रसिद्ध है.
हरियाली तीज की कथा (story of Hariyali Teej )
योग गुरु विनीत शर्मा ने पौराणिक मान्यता के अनुसार बताया कि माता पार्वती का विवाह उनके पिता हिमालय राज विष्णु भगवान से करना चाहते थे. यह जानकर माता पार्वती को बड़ा दुख हुआ और वह अपने आराध्य और प्रिय भगवान शिव की आराधना करने के लिए निकल पड़ती है.
निरंतर श्रावण मास में शिव की आराधना साधना अभिषेक से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं. उन्हें यह वर देते हैं कि आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगी और मुझसे ही अर्थात भगवान भोलेनाथ से ही माता पार्वती का विवाह होगा. उसके बाद हिमालय राज भगवान विष्णु से क्षमा याचना मांग कर मां पार्वती का विवाह भगवान शिव से संपन्न कराते हैं.
इस उपलक्ष्य में श्रावण मास में हरियाली तीज का यह व्रत पड़ा कुंवारी कन्याएं मनोवांछित पति की प्राप्ति के लिए इस व्रत को श्रावण शुक्ल तीज में करती आई हैं. सौभाग्यवती महिलाएं भी हरियाली तीज को अपने पति के सुख, समृद्धि, आनंद और आयु वर्धन के लिए इस उपवास को करती हैं. कई जगह इसे निराहार और निर्जला रूप में भी किया जाता है.
मैथिल प्रांत में यह व्रत 13 दिनों का भी किया जाता है.11 अगस्त को इस व्रत का समापन होता है. विशेषकर नवविवाहित जोड़ें इस व्रत साधना को करते हैं. व्रत पूरा होने के पश्चात ही कन्याएं आहार ग्रहण करती है.
संपूर्ण श्रावण मास वृक्षारोपण हरीतिमा और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन शिव को प्रिय बेल शमी पत्र का पौधा, आक का पौधा, धतूरा सहित सभी तरह के वृक्षों का रोपण किया जाता है. यह हरियाली को संवर्धन करने का पर्व है. इस दिन वाहन क्रय-विक्रय, वाणिज्य, गृह प्रवेश, लता रोपण, नए बीजों को डालना, नई पेड़ पौधे उगाना प्रचुर मात्रा में करना शुभ माना गया है. हरियाली तीज में वृक्षारोपण माता वसुंधरा प्रसन्न होती हैं. यह पर्व पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी दोनों नक्षत्रों में पड़ रहा है.
यह व्रत करवा चौथ व्रत की तरह ही होता है. बस इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है. अगले दिन सुबह व्रत का पारण करने के बाद व्रत पूरा होता है. इस त्योहार को झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है.
पूजन में चढ़ाई जाती है सुहाग की सामग्री
इस पूजा में माता पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है, जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावल आदि शामिल हैं.