रायपुर: गुरुवार को नवरात्र का दूसरा दिन है. दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा का दिन होता है. ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है. मां का ये रूप अपने भक्तों को अनंत फल देने वाला है. इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है.
शास्त्रों में ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली बताया गया है. देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमंडल धारण किए हैं.
कथाओं के मुताबिक भगवान शिव के लिए किया था तप
मान्यता है कि पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी यानी ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा गया. कहते हैं कि देवी ने भगवान शंकर को पाने के लिए बहुत कठिन तपस्या की इसलिए देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने कहा कि आपके जैसा तप किसी ने नहीं किया. आपको भगवान भोलेनाथ प्राप्त होंगे.
मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है. नवरात्र के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है.