रायपुर: हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है. इस दौरान लोगों को बहरेपन और श्रवण हानि को रोकने के लिए जागरूक किया जाता है. आज विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर हम इन्हीं बातों की जानकारी देने जा रहे हैं. आधुनिक गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से कानों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर ईटीवी भारत ने ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर राकेश गुप्ता से खास बातचीत की. सुनिए उन्होंने इन गैजेट्स के इस्तेमाल से कानों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर क्या कहा.
"लोगों के सुनने की क्षमता कब कम हो गई है": डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि "इस प्रकार के गैजेट्स हेडफोन, ब्लूटूथ डिवाइस जिनको कानों में लगाकर हम लोग उपयोग करते हैं. वह कानों के लिए अमूमन बहुत ज्यादा नुकसानदायक साबित हो रहे हैं. क्योंकि हम बहुत लंबे समय तक इयर फोन, हेड फोन लगाकर सुनते रहेते हैं. पिछले कुछ सालों में ब्लूटूथ डिवाइस के उपयोक का चलन बढ़ा है. हमारे कान लंबे समय तक अनजाने में बहुत समय तक हाई फ्रीक्वेंसी के शोर से एक्सपोज रहेते हैं. यह देखने में आया है कि लोगों को पता ही नहीं लगता कि उनके कानों में सुनने की क्षमता में कमी आ गई है.
"हेडफोन लगाकर वॉकिंग करना हानिकारक": डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि "अभी थोड़ी देर पहले एक मरीज को का मैंने चेक अप मैंने किया. जो हेडफोन लगाकर सैर किया करता था. अचानक उसके कानों में सोमवार से सुनाई देने में कमी हो गई. उसे ये नहीं पता था कि बाएं कान के अलावा उसके दाएं कान में भी सुनने की क्षमता में कमी आई है.
"आधुनिक गैजेट्स कानों के लिए अभिशाप": डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि "हाई फ्रिकवेंसी साउंड सुनाई देने में कमी होती है. शुरुआती लक्षण में पता नहीं चलता है. मरीज को सिटी की आवाज आने लगती है, या किसी प्रकार की अनावश्यक आवाज कान में आने लगती है. ये बीमारी जांच के बाद उनके समझ में आती है कि उसकी सुनने की क्षमता में कमी आई है. माडर्न डिवाइस हमारे कानों के लिए एक प्रकार से अभिशाप साबित हो रहे हैं."
"लोगों में होने लगता है चिड़चिड़ापन": डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि "लंबे समय तक डिवाइस के उपयोग से कानों की सुनने की क्षमता कम होती है. इससे चिड़चिड़ापन होने लगता है. जो कि लोग नहीं बताना चाहते हैं कि उनको सुनाई देने में कमी आई है. ऐसे में लोगों को किसी भी तरह की बात को सुनने के लिए ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. जिस वजह से लोगों में तनाव के लक्षण दिखने लगते हैं. मुझे लगता है कि जिन लोगों को सुनाई देने में कमी होती है. उन लोगों के साथ सामाजिक अलगाव की स्थिति भी आ जाती है."
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"आधुनिक डिवाइसों के इस्तेमाल से बचें" डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि "बेहतर है कि कानों को सुरक्षित रखने के लिए इस प्रकार के डिवाइस से भरसक कोशिश करे कि इससे बचा जाए. वरना देर सवेर अनजाने में तेज शोर आने पर सुनाई देने में कमी हो जाती है. यदि बहुत जरूरी है, तो सीमित समय के लिए कम आवाज वाले ब्लूटूथ डिवाइस या हेडफोन यूज करें. लेकिन फिर भी उससे भी आवाज सुनाई देने में कमी होने का खतरा हमेशा मौजूद रहता है."