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World Health Day: हेल्थ सेक्टर को लेकर सिंहदेव और सीएम के बयान में अंतर, स्वास्थ्य मंत्री ने बीजेपी को भी दिया क्रेडिट

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के अलग अलग बयान आए हैं. सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी शासन काल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को बद्दतर करार दिया था. वहीं इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि" बीजेपी शासनकाल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कुछ नहीं किया गया यह कहना गलत होगा. हम बीजेपी के किए गए काम से आगे काम कर रहे हैं."

health services of Chhattisgarh
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव
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Published : Apr 7, 2023, 9:37 PM IST

रायपुर: शुक्रवार को पूरी दुनिया में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. इस मौके पर ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री से खास चर्चा की. इस चर्चा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने हेल्थ सेक्टर के कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी और हमारे सवालों के जवाब दिए.

सवाल: बीजेपी शासनकाल में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति थी

जवाब: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि "स्वास्थ्य व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था. उसको हम और आगे ले गए हैं. यह कहना गलत होगा कि पहले कुछ नहीं किया गया. उस दौरान हमारे पास स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी थी. महज10-12 परसेंट स्पेशलिस्ट थे. आज लगभग 3 गुना स्पेशलिस्ट हैं. सौ सवा सौ की जगह अब 475 से ऊपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भर्ती हुई है. लेकिन हमें अभी और भी स्पेशल लोग चाहिए. बीजेपी ने कुछ नहीं किया. यह बात नहीं है. डॉक्टरों के प्रमोशन बहुत दिनों से रुके थे, उसे पूरा किया गया. उस समय मेडिकल कॉलेज 6 थे. 3 चालू नहीं थे. उसे बढ़ाया गया . कुछ और नए मेडिकल कॉलेज खुलने वाले हैं. जिसका भूमि पूजन मुख्यमंत्री जल्द कर सकते हैं"

सवाल: मानव संसाधन सहित मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कैसी स्थिति है

जवाब: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि " स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था मुख्य रूप से दो चीजों पर निर्भर है. एक मानव संसाधन यानी वार्ड ब्वॉय, नर्स से लेकर सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक. दूसरा भौतिक संसाधन है. इसमें सब हेल्थ सेंटर से लेकर मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य सेवाओं की तकनीकी चीजें शामिल हैं. कोई राज्य किस प्रकार की इलाज की सुविधा दे सकता है. इसमें हम लोगों ने यह प्रयास किया है. विगत वर्षों में जितने भी सब हेल्थ सेंटर 5300 के करीब थे. उसमें सात आठ सौ नए हेल्थ सेंटर भी शामिल हैं. आने वाले साल को मिलाकर भी उसकी मंजूरी मिल गई है. सारे सब सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित होंगे. इसके लिए लगभग 28 लाख की एक बिल्डिंग बनती है. अब जिन जगहों में बिल्डिंग नहीं है. उसे बनाने का काम किया जा रहा है"

सवाल: पहले की तुलना में हेल्थ सेंटर्स का प्रदर्शन कैसा रहा है. इस सेक्टर में क्या कार्य किए जा रहे हैं.

जवाब: हेल्थ सेंटर्स में हर जगह चार तरह के स्टाफ की व्यवस्था की गई है. इस बीच कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती हुई है. एएनएम को ट्रेड करके उनको भी वहां रखा गया है. एक आरएनएम और 2 एएनएम है. कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में प्राथमिक तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रकार की दवाइयां और ब्लड टेस्ट फ्री में करवाने की व्यवस्था की गई है. इसमें पहले की तुलना में लगातार सुधार भी आया है.

सवाल: निचले स्थर पर स्वास्थ्य केंद्रों में किस तरह की व्यवस्था की गई है. किस तरह के कर्मचारियों का साथ लिया जा रहा है.

जवाब: सिंहदेव ने कहा कि" मितानिनों की फैसिलिटी लोगों को मिलती रहनी चाहिए. दुर्गम इलाकों में यह स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में बहुत मदद करती है. मितानिन पेटी सिस्टम बरकरार रहे. उनको भी दवाइयां मिले. उल्टी दस्त से लेकर मलेरिया, बुखार और खांसी जैसे छोटी बीमारियों में मितानिन स्वास्थ्य सेवाएं दुर्गम और गांव के इलाके में पहुंचाने का काम करती है. तो मितानिन की ट्रेनिंग से लेकर मितानिन पेटी उपलब्ध कराना. मितानिन के माध्यम से डिलीवरी इत्यादि या अन्य बीमारियों के लिए एक एनसीडी का कॉन्सेप्ट चला है. मोतियाबिंद, डिलीवरी, एनसीडी के लिए मितानिन को एक्टिवेट किया गया है. उनको प्रोत्साहित करने के लिए इस बार बजट में उन्हें अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था की गई है. मितानिन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बैक बोन की तरह हैं."

ये भी पढ़ें: World Health day 2023: स्वास्थ्य मंत्री के शहर के अस्पताल में ट्रामा सेंटर, न्यूरो सर्जन और MRI नहीं

सवाल: प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टर्स की संख्या कितनी है. मेडिकल ऑफिसर्स को लेकर क्या कहेंगे आप ?

जवाब: हमारी सरकार में पीएससी, सीएचसी और जिला अस्पताल को मजबूती प्रदान करने का काम किया गया है. वर्तमान समय में किसी भी पीएसएसी में मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं है. प्रदेश के किसी भी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी नहीं है. पोस्टिंग के बाद जो डॉक्टर अपने मौजूद स्थान पर नहीं जा रहे हैं. उस संदर्भ में भी व्यवस्था की जा रही है. पर्याप्त संख्या में हमारे पास डॉक्टर उपलब्ध है. एक तरह से पीएससी लेवल तक डॉक्टर की उपलब्धता पूरी हो गई है. यहां पर डिलीवरी इत्यादि हो रही है

सवाल: मैदानी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है

जवाब: मैदानी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और सुधरी है. लेकिन यहां मॉनिटरिंग की जरूरत है. हमे देखना है कि यहां लोगों को लाभ मिल रहा है कि नहीं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी स्पेशलिस्ट आने लगे हैं. पीएससी में एमबीबीएस के डॉक्टर होते हैं और आयुष वाले 3 साल वाले पाठ्यक्रम वाले डॉक्टर होते हैं.

सवाल: यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम प्रदेश में कब तक लागू हो जाएगा.

जवाब: हाट बाजार क्लीनिक योजना चल रही है. जो लोग बड़ी बीमारी से पीड़ित हैं और वह अस्पातल नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए साप्ताहिक बाजार में मोबाइल मेडिकल यूनिट उपलब्ध कराए गए हैं. यहां मरीजों की जांच की जाती है. फिर उन्हें रेफर भी किया जाता है. जांच और इलाज सब फ्री मुहैया कराया जाता है. यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को लेकर मैं सीएम से चर्चा करूंगा. राजस्थान ने इसको लागू कर दिया है.

रायपुर: शुक्रवार को पूरी दुनिया में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. इस मौके पर ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री से खास चर्चा की. इस चर्चा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने हेल्थ सेक्टर के कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी और हमारे सवालों के जवाब दिए.

सवाल: बीजेपी शासनकाल में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति थी

जवाब: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि "स्वास्थ्य व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था. उसको हम और आगे ले गए हैं. यह कहना गलत होगा कि पहले कुछ नहीं किया गया. उस दौरान हमारे पास स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी थी. महज10-12 परसेंट स्पेशलिस्ट थे. आज लगभग 3 गुना स्पेशलिस्ट हैं. सौ सवा सौ की जगह अब 475 से ऊपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भर्ती हुई है. लेकिन हमें अभी और भी स्पेशल लोग चाहिए. बीजेपी ने कुछ नहीं किया. यह बात नहीं है. डॉक्टरों के प्रमोशन बहुत दिनों से रुके थे, उसे पूरा किया गया. उस समय मेडिकल कॉलेज 6 थे. 3 चालू नहीं थे. उसे बढ़ाया गया . कुछ और नए मेडिकल कॉलेज खुलने वाले हैं. जिसका भूमि पूजन मुख्यमंत्री जल्द कर सकते हैं"

सवाल: मानव संसाधन सहित मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कैसी स्थिति है

जवाब: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि " स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था मुख्य रूप से दो चीजों पर निर्भर है. एक मानव संसाधन यानी वार्ड ब्वॉय, नर्स से लेकर सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक. दूसरा भौतिक संसाधन है. इसमें सब हेल्थ सेंटर से लेकर मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य सेवाओं की तकनीकी चीजें शामिल हैं. कोई राज्य किस प्रकार की इलाज की सुविधा दे सकता है. इसमें हम लोगों ने यह प्रयास किया है. विगत वर्षों में जितने भी सब हेल्थ सेंटर 5300 के करीब थे. उसमें सात आठ सौ नए हेल्थ सेंटर भी शामिल हैं. आने वाले साल को मिलाकर भी उसकी मंजूरी मिल गई है. सारे सब सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित होंगे. इसके लिए लगभग 28 लाख की एक बिल्डिंग बनती है. अब जिन जगहों में बिल्डिंग नहीं है. उसे बनाने का काम किया जा रहा है"

सवाल: पहले की तुलना में हेल्थ सेंटर्स का प्रदर्शन कैसा रहा है. इस सेक्टर में क्या कार्य किए जा रहे हैं.

जवाब: हेल्थ सेंटर्स में हर जगह चार तरह के स्टाफ की व्यवस्था की गई है. इस बीच कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती हुई है. एएनएम को ट्रेड करके उनको भी वहां रखा गया है. एक आरएनएम और 2 एएनएम है. कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में प्राथमिक तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रकार की दवाइयां और ब्लड टेस्ट फ्री में करवाने की व्यवस्था की गई है. इसमें पहले की तुलना में लगातार सुधार भी आया है.

सवाल: निचले स्थर पर स्वास्थ्य केंद्रों में किस तरह की व्यवस्था की गई है. किस तरह के कर्मचारियों का साथ लिया जा रहा है.

जवाब: सिंहदेव ने कहा कि" मितानिनों की फैसिलिटी लोगों को मिलती रहनी चाहिए. दुर्गम इलाकों में यह स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में बहुत मदद करती है. मितानिन पेटी सिस्टम बरकरार रहे. उनको भी दवाइयां मिले. उल्टी दस्त से लेकर मलेरिया, बुखार और खांसी जैसे छोटी बीमारियों में मितानिन स्वास्थ्य सेवाएं दुर्गम और गांव के इलाके में पहुंचाने का काम करती है. तो मितानिन की ट्रेनिंग से लेकर मितानिन पेटी उपलब्ध कराना. मितानिन के माध्यम से डिलीवरी इत्यादि या अन्य बीमारियों के लिए एक एनसीडी का कॉन्सेप्ट चला है. मोतियाबिंद, डिलीवरी, एनसीडी के लिए मितानिन को एक्टिवेट किया गया है. उनको प्रोत्साहित करने के लिए इस बार बजट में उन्हें अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था की गई है. मितानिन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बैक बोन की तरह हैं."

ये भी पढ़ें: World Health day 2023: स्वास्थ्य मंत्री के शहर के अस्पताल में ट्रामा सेंटर, न्यूरो सर्जन और MRI नहीं

सवाल: प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टर्स की संख्या कितनी है. मेडिकल ऑफिसर्स को लेकर क्या कहेंगे आप ?

जवाब: हमारी सरकार में पीएससी, सीएचसी और जिला अस्पताल को मजबूती प्रदान करने का काम किया गया है. वर्तमान समय में किसी भी पीएसएसी में मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं है. प्रदेश के किसी भी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी नहीं है. पोस्टिंग के बाद जो डॉक्टर अपने मौजूद स्थान पर नहीं जा रहे हैं. उस संदर्भ में भी व्यवस्था की जा रही है. पर्याप्त संख्या में हमारे पास डॉक्टर उपलब्ध है. एक तरह से पीएससी लेवल तक डॉक्टर की उपलब्धता पूरी हो गई है. यहां पर डिलीवरी इत्यादि हो रही है

सवाल: मैदानी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है

जवाब: मैदानी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और सुधरी है. लेकिन यहां मॉनिटरिंग की जरूरत है. हमे देखना है कि यहां लोगों को लाभ मिल रहा है कि नहीं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी स्पेशलिस्ट आने लगे हैं. पीएससी में एमबीबीएस के डॉक्टर होते हैं और आयुष वाले 3 साल वाले पाठ्यक्रम वाले डॉक्टर होते हैं.

सवाल: यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम प्रदेश में कब तक लागू हो जाएगा.

जवाब: हाट बाजार क्लीनिक योजना चल रही है. जो लोग बड़ी बीमारी से पीड़ित हैं और वह अस्पातल नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए साप्ताहिक बाजार में मोबाइल मेडिकल यूनिट उपलब्ध कराए गए हैं. यहां मरीजों की जांच की जाती है. फिर उन्हें रेफर भी किया जाता है. जांच और इलाज सब फ्री मुहैया कराया जाता है. यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को लेकर मैं सीएम से चर्चा करूंगा. राजस्थान ने इसको लागू कर दिया है.

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