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World Day Of War Orphans 2023 : विश्व युद्ध अनाथ दिवस और इतिहास

बचपन हम सब के जीवनकाल का एक स्वर्णिम क्षण हैं. बचपन में हमें किसी भी बात का कोई तनाव नहीं होता. हम अपनी जिंदगी का यह पल बड़े आराम से और खुशी से व्यतीत करते हैं. वहीं दूसरी ओर लाखों बच्चे बीमारी, गरीबी, युद्ध और अन्य संघर्षों के कारण अपने बचपन को खो देते World Day Of War Orphans हैं. वार ऑर्फन्स डे 6 जनवरी को हर साल ऐसे ही अनाथ हुए बच्चों के लिए मनाया जाता है. विश्व युद्ध अनाथ दिवस का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका उद्देश्य एक कमजोर समूह की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. World Day Of War Orphans and history

World Day Of War Orphans 2023
क्या है विश्व युद्ध अनाथ दिवस
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Published : Jan 2, 2023, 6:48 PM IST

रायपुर/ हैदराबाद : ऐसे बच्चे जिन्होंने युद्ध में अपने मां बाप को खोया हो, उनके लिए इस दिन की परिकल्पना की गई. इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता फैलाना और युद्ध के अनाथ या संघर्ष में बच्चों द्वारा सामना किए गए संकटों को दूर करना है. अक्सर देखा गया है कि अनाथालयों में बड़े होने वाले बच्चे अक्सर भावनात्मक और सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं. यह दुनिया भर में मानवीय और सामाजिक संकट बन गया है. जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. यह दिन कई बच्चों के जीवन पर प्रकाश डालता है, जो युद्ध के परिणामों से प्रभावित हुए हैं और परिवारों के बिना रह रहे World yudh anath divas हैं.

वर्ल्ड ऑर्फन डे का इतिहास : यूनिसेफ (unicef) के अनुसार, एक अनाथ वो है जो “18 वर्ष से कम उम्र का बच्चा है जिसने अपने माता-पिता को खो दिया है” एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध संगठन के लिए विश्व युद्ध अनाथ दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी संगठन, एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेस द्वारा की गई थी. कई देश जो युद्ध क्षेत्र बन गए हैं, वहां के नागरिकों बिना किसी विकल्प के युद्ध के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं. जिन उपेक्षित बच्चों को बिना परिवारों के छोड़ दिया जाता है, वे युद्ध पीड़ितों में से एक होते हैं जो सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता हैं.अधिकांश अनाथ आमतौर पर एक जीवित रिश्तेदार के साथ रहते हैं, अक्सर उनके दादा दादी. हालांकि, कई ऐसे भी हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई रिश्तेदार नहीं है. ऐसे मामलों में, बच्चे के उपेक्षित होने की संभावना अधिक होती World Day Of War Orphans है.

युद्ध में अनाथ होने का असर : यह संभव है कि कुपोषण जैसे कारक उनके शरीर को कमजोर कर सकते हैं और इससे उन्हें संक्रमण का खतरा भी ही सकता हैं. भावनात्मक आघात के अलावा, युद्ध क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को भी हिंसा का लक्ष्य बनाया जाता हैं . उन्हें चोट लगने की भी संभावना होती हैं. युद्धों से प्रभावित लगभग आधे नागरिक बच्चे हैं. अगर कोई अनाथ भाई-बहनों में सबसे बड़ा होता हैं तो उन्हें अपने छोटे भाई-बहनों की भी ज़िम्मेदारी लेनी होती हैं.यानी बच्चों का जीवन पूरी तरह से प्रभावित रहता है. उनके बड़े होने तक उनके मन के अंदर भी द्वेष और बदले की भावना पैदा होती effects of war orphan है.

ये भी पढ़ें- आधुनिक युग में वैश्विक परिवार दिवस की उपयोगिता

कैसे करें अनाथ बच्चों की मदद : जो व्यक्ति इस दिन को चिह्नित करना चाहते हैं, वे युद्ध अनाथों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं. साथ ही साथ संघर्ष क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के कल्याण के लिए अपना योगदान कर सकते हैं. मौजूदा दौर में युद्ध क्षेत्र में कई समाज सेवी संगठन काम कर रहे हैं. ये संगठन ऐसे बच्चों की जानकारी इकट्ठा करने के बाद उनके जीवन संवार रहे how to help orphans हैं.

रायपुर/ हैदराबाद : ऐसे बच्चे जिन्होंने युद्ध में अपने मां बाप को खोया हो, उनके लिए इस दिन की परिकल्पना की गई. इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता फैलाना और युद्ध के अनाथ या संघर्ष में बच्चों द्वारा सामना किए गए संकटों को दूर करना है. अक्सर देखा गया है कि अनाथालयों में बड़े होने वाले बच्चे अक्सर भावनात्मक और सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं. यह दुनिया भर में मानवीय और सामाजिक संकट बन गया है. जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. यह दिन कई बच्चों के जीवन पर प्रकाश डालता है, जो युद्ध के परिणामों से प्रभावित हुए हैं और परिवारों के बिना रह रहे World yudh anath divas हैं.

वर्ल्ड ऑर्फन डे का इतिहास : यूनिसेफ (unicef) के अनुसार, एक अनाथ वो है जो “18 वर्ष से कम उम्र का बच्चा है जिसने अपने माता-पिता को खो दिया है” एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध संगठन के लिए विश्व युद्ध अनाथ दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी संगठन, एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेस द्वारा की गई थी. कई देश जो युद्ध क्षेत्र बन गए हैं, वहां के नागरिकों बिना किसी विकल्प के युद्ध के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं. जिन उपेक्षित बच्चों को बिना परिवारों के छोड़ दिया जाता है, वे युद्ध पीड़ितों में से एक होते हैं जो सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता हैं.अधिकांश अनाथ आमतौर पर एक जीवित रिश्तेदार के साथ रहते हैं, अक्सर उनके दादा दादी. हालांकि, कई ऐसे भी हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई रिश्तेदार नहीं है. ऐसे मामलों में, बच्चे के उपेक्षित होने की संभावना अधिक होती World Day Of War Orphans है.

युद्ध में अनाथ होने का असर : यह संभव है कि कुपोषण जैसे कारक उनके शरीर को कमजोर कर सकते हैं और इससे उन्हें संक्रमण का खतरा भी ही सकता हैं. भावनात्मक आघात के अलावा, युद्ध क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को भी हिंसा का लक्ष्य बनाया जाता हैं . उन्हें चोट लगने की भी संभावना होती हैं. युद्धों से प्रभावित लगभग आधे नागरिक बच्चे हैं. अगर कोई अनाथ भाई-बहनों में सबसे बड़ा होता हैं तो उन्हें अपने छोटे भाई-बहनों की भी ज़िम्मेदारी लेनी होती हैं.यानी बच्चों का जीवन पूरी तरह से प्रभावित रहता है. उनके बड़े होने तक उनके मन के अंदर भी द्वेष और बदले की भावना पैदा होती effects of war orphan है.

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कैसे करें अनाथ बच्चों की मदद : जो व्यक्ति इस दिन को चिह्नित करना चाहते हैं, वे युद्ध अनाथों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं. साथ ही साथ संघर्ष क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के कल्याण के लिए अपना योगदान कर सकते हैं. मौजूदा दौर में युद्ध क्षेत्र में कई समाज सेवी संगठन काम कर रहे हैं. ये संगठन ऐसे बच्चों की जानकारी इकट्ठा करने के बाद उनके जीवन संवार रहे how to help orphans हैं.

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