रायपुर : रेवती नक्षत्र इंद्र योग बव करण ब्रह्म योग, मीन और मेष राशि की चंद्रमा में शनिवार के दिन वसंत नवरात्र का प्रथम दिवस माता शैलपुत्री के पूजन के रूप में मनाया (Workship method of Mata Shailputri )जाएगा. इस शुभ दिन सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है .जिसे संवत्सर नल नाम से जाना जाएगा. नवरात्र का पहला का दिन चेटीचंड और गुड़ी पड़वा के रूप में भी मनाया जाता है. माता शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री के रूप में जानी जाती हैं. माता शैलपुत्री चट्टान की भांति अविचल संकल्प की धनीं रहीं. माता से हमें जीवन में हिमालय से ऊंचा संकल्प की प्रेरणा मिलती है.
माता की आराधना कैसे करें : माता शैलपुत्री संकल्प प्रतिज्ञा और उच्चतम प्रकल्प की देवी मानी जाती है. अतः इस शुभ दिन पूरी सात्विकता अनंत, आस्था, अपरिमित श्रद्धा के साथ माता की पूजा की जानी चाहिए. दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ विधि विधान पूर्वक करना चाहिए. आज के शुभ दिन प्रातः काल में सूर्योदय से पूर्व स्नान ध्यान और योग से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद पद्मासन अथवा सुखासन में बैठकर माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना (Workship method of Mata Shailputr) करें.
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कैसे करें व्रत का पालन : नवरात्र के प्रथम दिन अपने शरीर का ध्यान रखते हुए एकासना फलाहारी या निराहार उपवास (Ekasana Falahari or fasting fasting) रखना चाहिए. अपने शरीर की संतुलन का ध्यान रखते हुए इस उपवास को करना चाहिए .आज के दिन योग, प्राणायाम, मंत्र, सिद्धि तंत्र, सिद्धि और भगवती की आराधना करना बहुत शुभ माना गया है. आज के दिन माता घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं . माता शैलपुत्री के एक हाथ में कमल है और एक हाथ में तलवार है. माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ माना गया है. इसलिए इन्हें वृषरुढा भी कहा जाता है. आज के दिन माता को निर्मल वस्त्र में आह्वान करना चाहिए. रोली चंदन कुमकुम सिंदूर बंधन परिमल जैसे शुभ पदार्थों से माता का अभिषेक करना चाहिए. माता भगवती स्थिरता संकल्प प्रदान करने वाली देवी शैलपुत्री सौभाग्यवर्धनी है. मनोकामना को पूर्ण करने वाली देवी मानी जाती है. आज के दिन किया गया व्रत हमारी कामनाओं को और अभिलाषाओं को परिपूर्ण करता है.