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'भूख' ने तोड़ा लॉकडाउन : पैदल ही घर के लिए निकल पड़े मजदूर - raipur workers moved to madhya pradesh from raipur

लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा तकलीफ गरीब तबके के लोगों को हो रही है. मजदूरों के काम छीन गए हैं. उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. छत्तीसगढ़ में भी इसका असर दिख रहा है. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर में ऐसे ही मजदूरों से बातचीत की जो रायपुर से ही मध्यप्रदेश जाने के लिए पैदल निकल पड़े हैं.

raipur workers moved to madhya pradesh from raipur
रायपुर से मध्यप्रदेश के लिए पैदल ही निकले मजदूर
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Published : Apr 17, 2020, 9:23 PM IST

Updated : Apr 18, 2020, 8:40 PM IST

रायपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है. इसके रोकथाम और बचाव के लिए पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पहले फेस में लॉकडाउन किया गया था. वहीं अब लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे फेस के लिए 15 अप्रैल से लेकर 3 मई तक लॉकडाउन की घोषणा की है. इस दौरान लोगों को घरों में रहने के सख्त निर्देश दिए गए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को हो रही है, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा है. उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. छत्तीसगढ़ में भी मजदूर परेशान हो रहे हैं.

पेट की आग ने तोड़ा लॉकडाउन

ETV भारत ने की मजदूरों से बात

अलग-अलग राज्यों के मजदूर लगातार अपने घरों की ओर रूख करने लगे हैं. कई मजदूर इस उम्मीद में बैठे थे कि 14 अप्रैल के बाद आवागमन की सुविधा शुरू हो जाएगी और वह अपने गांव की ओर चले जाएंगे, लेकिन पीएम मोदी की लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद इन मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया और वह पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर में ऐसे ही मजदूरों से बातचीत की जो रायपुर से ही मध्यप्रदेश जाने के लिए पैदल निकल पड़े हैं.

'एक वक्त के खाने से नहीं भरता पेट'

मजदूरों ने बताया कि, 'हम लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि इसके खत्म होने के बाद आसानी से घर जा सकें. रायपुर में सभी कारखाने बंद हो गए हैं और काम करने के लिए कुछ भी नहीं है. सरकार की तरफ से जो खाना आता है. वह भी सिर्फ एक वक्त का होता है. इससे जीवन गुजारने में मुश्किल हो रही है. सबसे ज्यादा बच्चों को परेशानी हो रही है. खाने की पूर्ति नहीं हो पा रही है. हमारे पास पैसे भी नहीं है. हमें हमारे गांव तक जाने में भले परेशानी होगी, लेकिन वहां पहुंचकर हम कैसे भी अपना गुजारा कर लेंगे. बस एक बार मध्यप्रदेश में अपने गांव पहुंच जाएं.'

मजबूर हैं ये मजदूर

मजदूरों ने बताया कि रायपुर में कारखाने बंद होने से उनके सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई है. इस वजह से उन्हें अपने गांव जाना पड़ रहा है. वहीं गर्मी और तेज धूप की वजह से वह दिनभर पैदल नहीं चल सकते, जिसकी वजह से सुबह 4 बजे से ही रवाना हो गए. प्रदेश में एक तरफ शासन-प्रशासन मजदूरों को सुविधा और मदद देने का दावा कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ इन मजदूरों की हालत देखकर लगता है कि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

रायपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है. इसके रोकथाम और बचाव के लिए पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पहले फेस में लॉकडाउन किया गया था. वहीं अब लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे फेस के लिए 15 अप्रैल से लेकर 3 मई तक लॉकडाउन की घोषणा की है. इस दौरान लोगों को घरों में रहने के सख्त निर्देश दिए गए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को हो रही है, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा है. उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. छत्तीसगढ़ में भी मजदूर परेशान हो रहे हैं.

पेट की आग ने तोड़ा लॉकडाउन

ETV भारत ने की मजदूरों से बात

अलग-अलग राज्यों के मजदूर लगातार अपने घरों की ओर रूख करने लगे हैं. कई मजदूर इस उम्मीद में बैठे थे कि 14 अप्रैल के बाद आवागमन की सुविधा शुरू हो जाएगी और वह अपने गांव की ओर चले जाएंगे, लेकिन पीएम मोदी की लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद इन मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया और वह पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर में ऐसे ही मजदूरों से बातचीत की जो रायपुर से ही मध्यप्रदेश जाने के लिए पैदल निकल पड़े हैं.

'एक वक्त के खाने से नहीं भरता पेट'

मजदूरों ने बताया कि, 'हम लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि इसके खत्म होने के बाद आसानी से घर जा सकें. रायपुर में सभी कारखाने बंद हो गए हैं और काम करने के लिए कुछ भी नहीं है. सरकार की तरफ से जो खाना आता है. वह भी सिर्फ एक वक्त का होता है. इससे जीवन गुजारने में मुश्किल हो रही है. सबसे ज्यादा बच्चों को परेशानी हो रही है. खाने की पूर्ति नहीं हो पा रही है. हमारे पास पैसे भी नहीं है. हमें हमारे गांव तक जाने में भले परेशानी होगी, लेकिन वहां पहुंचकर हम कैसे भी अपना गुजारा कर लेंगे. बस एक बार मध्यप्रदेश में अपने गांव पहुंच जाएं.'

मजबूर हैं ये मजदूर

मजदूरों ने बताया कि रायपुर में कारखाने बंद होने से उनके सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई है. इस वजह से उन्हें अपने गांव जाना पड़ रहा है. वहीं गर्मी और तेज धूप की वजह से वह दिनभर पैदल नहीं चल सकते, जिसकी वजह से सुबह 4 बजे से ही रवाना हो गए. प्रदेश में एक तरफ शासन-प्रशासन मजदूरों को सुविधा और मदद देने का दावा कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ इन मजदूरों की हालत देखकर लगता है कि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

Last Updated : Apr 18, 2020, 8:40 PM IST
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