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छत्तीसगढ़ में महिला सुरक्षा का मुद्दा कितना अहम ?

छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह घोषणा की थी कि सरकार जल्द ही महिला सुरक्षा से संबंधित एप्लीकेशन बनाएगी. इस संबंध में सीएम भूपेश बघेल ने 6 दिसंबर को एप बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई काम होता नजर नहीं आ रहा है.

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छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था
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Published : Mar 4, 2020, 10:07 PM IST

Updated : Mar 5, 2020, 12:03 AM IST

रायपुर: महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनकी सुरक्षा तो बड़ा मसला है ही, साथ ही इस वक्त अपराधों के बाद मिलने वाला इंसाफ भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. निर्भया केस इसका उदाहरण है. 7 साल बाद भी निर्भया और उसका परिवार न्याय की आस में बैठा है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार लगातार कई तरह के प्रयास कर रही है. कई हेल्पलाइन नंबर भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन इन सब के बावजूद अपराध थम नहीं रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था

छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह घोषणा की थी कि सरकार जल्द ही महिला सुरक्षा से संबंधित एप्लीकेशन बनाएगी. इस संबंध में सीएम भूपेश बघेल ने 6 दिसंबर को एप बनाने की घोषणा की थी. इसके साथ ही मुख्य सचिव को दो सप्ताह के अंदर एक प्लान तैयार करने का निर्देश दे दिया था, लेकिन इस पर अभी तक कोई काम होता नजर नहीं आ रहा है.

पुलिस प्रशासन को दिए गए थे निर्देश

सूबे में महिलाओं के कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाओं को एक साथ चलाने के साथ ही महिलाओं को सुरक्षा और सहायता मुहैया कराने के लिए एक मोबाइल एप भी तैयार करने घोषणा की थी. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस प्रशासन को इसके लिए जल्द तैयारी करन के निर्देश दिए थे.

'सरकार की बातें सिर्फ घोषणाओं तक सीमित'

भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष शैलेन्द्री परघनिया ने कहा कि, 'सरकार ने बहुत ही वादे किए लेकिन कोई वादे पूरे नहीं हुए. यहां तक कि अंबिकापुर में कुछ दिन पहले हुए गैंगरेप में उन्हीं के पार्टी के विधायक ने हस्तक्षेप किया बावजूद इसके अपराधियों को सजा अब तक नहीं हो पाई. यही हाल पूरे प्रदेश में है. लगातार महिलाओं से संबंधित अपराध बढ़ रहे हैं. इतने सब के बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए. सरकार की बातें सिर्फ घोषणाओं में ही नजर आती है, जमीनी स्तर पर इन पर कोई काम नहीं हो रहा है.

'समाज में बने असुरक्षित माहौल से महिलाओं को नहीं मिलता सामान अवसर'

समाज सेविका मनजीत कौर बाल का कहना है कि, 'समाज में लड़कियों के लिए जिस तरह असुरक्षित माहौल है, इस वजह से महिलाओं और लड़कियों को समान अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. हम जेंडर इक्वॉलिटी की बात करते हैं, लेकिन आज भी कई मां-बाप अपनी बच्चियों को ज्यादा बाहर नहीं निकलने देते. अपनी बच्चियों को ज्यादा काम इसलिए नहीं करने देते क्योंकि उन्हें यह भरोसा ही नहीं है कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं.'

'सरकार लगातार उठा रही नए कदम'

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि, 'सरकार लगातार महिला सुरक्षा की ओर कदम बढ़ा रही है. सरकार खुद को अपडेट कर रही है. हेल्पलाइन नंबरों के जरिए महिला सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है कि घटनाओं में पिछले डेढ़ सालों में कमी आई है और हमारी सरकार लगातार कोशिश कर रही है महिलाओं से जुड़े अपराधों में कमी आने की संभावना है.'

'लड़कियां खुलकर रखने लगी है अपनी बात'

एएसपी अमृता सोरी का कहना है कि, 'हमने अलग-अलग योजनाओं के तहत महिलाओं की लगातार हेल्प की है. इन दिनों थाने में विशेष तरीके का एक केबिन बनाया गया है. जिसमें सभी स्टाफ महिला होती है और वह विशेष रूप से महिलाओं के लिए चलाया जा रहा है और अनेक प्रयास हमारी ओर से किए जा रहे हैं. जिससे यह जरूर हुआ है कि महिलाएं अब खुलकर अपनी बात रखनी है. बच्चियां जो इन बातों को खुलकर सामने नहीं रखती थी वे भी सामने आने लगी हैं.'

दावे चाहे जो भी हों लेकिन जब भी प्रदेश के किसी कोने से बलात्कार, बलात्कार के बाद पीड़िता की आत्महत्या, घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ जैसे मामले सामने आते हैं, सरकार और सरकारी मशीनरी पर सवाल खड़ा होता है. हालांकि ये समाज भी बेटियों को सुरक्षा न दे पाने के मामले में बराबर जिम्मेदार है.

रायपुर: महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनकी सुरक्षा तो बड़ा मसला है ही, साथ ही इस वक्त अपराधों के बाद मिलने वाला इंसाफ भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. निर्भया केस इसका उदाहरण है. 7 साल बाद भी निर्भया और उसका परिवार न्याय की आस में बैठा है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार लगातार कई तरह के प्रयास कर रही है. कई हेल्पलाइन नंबर भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन इन सब के बावजूद अपराध थम नहीं रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था

छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह घोषणा की थी कि सरकार जल्द ही महिला सुरक्षा से संबंधित एप्लीकेशन बनाएगी. इस संबंध में सीएम भूपेश बघेल ने 6 दिसंबर को एप बनाने की घोषणा की थी. इसके साथ ही मुख्य सचिव को दो सप्ताह के अंदर एक प्लान तैयार करने का निर्देश दे दिया था, लेकिन इस पर अभी तक कोई काम होता नजर नहीं आ रहा है.

पुलिस प्रशासन को दिए गए थे निर्देश

सूबे में महिलाओं के कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाओं को एक साथ चलाने के साथ ही महिलाओं को सुरक्षा और सहायता मुहैया कराने के लिए एक मोबाइल एप भी तैयार करने घोषणा की थी. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस प्रशासन को इसके लिए जल्द तैयारी करन के निर्देश दिए थे.

'सरकार की बातें सिर्फ घोषणाओं तक सीमित'

भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष शैलेन्द्री परघनिया ने कहा कि, 'सरकार ने बहुत ही वादे किए लेकिन कोई वादे पूरे नहीं हुए. यहां तक कि अंबिकापुर में कुछ दिन पहले हुए गैंगरेप में उन्हीं के पार्टी के विधायक ने हस्तक्षेप किया बावजूद इसके अपराधियों को सजा अब तक नहीं हो पाई. यही हाल पूरे प्रदेश में है. लगातार महिलाओं से संबंधित अपराध बढ़ रहे हैं. इतने सब के बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए. सरकार की बातें सिर्फ घोषणाओं में ही नजर आती है, जमीनी स्तर पर इन पर कोई काम नहीं हो रहा है.

'समाज में बने असुरक्षित माहौल से महिलाओं को नहीं मिलता सामान अवसर'

समाज सेविका मनजीत कौर बाल का कहना है कि, 'समाज में लड़कियों के लिए जिस तरह असुरक्षित माहौल है, इस वजह से महिलाओं और लड़कियों को समान अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. हम जेंडर इक्वॉलिटी की बात करते हैं, लेकिन आज भी कई मां-बाप अपनी बच्चियों को ज्यादा बाहर नहीं निकलने देते. अपनी बच्चियों को ज्यादा काम इसलिए नहीं करने देते क्योंकि उन्हें यह भरोसा ही नहीं है कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं.'

'सरकार लगातार उठा रही नए कदम'

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि, 'सरकार लगातार महिला सुरक्षा की ओर कदम बढ़ा रही है. सरकार खुद को अपडेट कर रही है. हेल्पलाइन नंबरों के जरिए महिला सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है कि घटनाओं में पिछले डेढ़ सालों में कमी आई है और हमारी सरकार लगातार कोशिश कर रही है महिलाओं से जुड़े अपराधों में कमी आने की संभावना है.'

'लड़कियां खुलकर रखने लगी है अपनी बात'

एएसपी अमृता सोरी का कहना है कि, 'हमने अलग-अलग योजनाओं के तहत महिलाओं की लगातार हेल्प की है. इन दिनों थाने में विशेष तरीके का एक केबिन बनाया गया है. जिसमें सभी स्टाफ महिला होती है और वह विशेष रूप से महिलाओं के लिए चलाया जा रहा है और अनेक प्रयास हमारी ओर से किए जा रहे हैं. जिससे यह जरूर हुआ है कि महिलाएं अब खुलकर अपनी बात रखनी है. बच्चियां जो इन बातों को खुलकर सामने नहीं रखती थी वे भी सामने आने लगी हैं.'

दावे चाहे जो भी हों लेकिन जब भी प्रदेश के किसी कोने से बलात्कार, बलात्कार के बाद पीड़िता की आत्महत्या, घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ जैसे मामले सामने आते हैं, सरकार और सरकारी मशीनरी पर सवाल खड़ा होता है. हालांकि ये समाज भी बेटियों को सुरक्षा न दे पाने के मामले में बराबर जिम्मेदार है.

Last Updated : Mar 5, 2020, 12:03 AM IST
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