रायपुर: हमेशा की तरह एक बार फिर छत्तीसगढ़ में महिलाएं कोरोना से जंग में सबसे सामने खड़ी हैं. अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक विभिन्न पदों पर महिलाएं जी तोड़ मेहनत कर रही हैं, जिससे इस महामारी से जंग में प्रदेश को सफलता हासिल हो सके. मेडिकल फील्ड हो या पुलिस विभाग हर जगह आधी आबादी मजबूती से खड़ी है.
स्वास्थ्य विभाग की कमान महिला अफसरों के हाथों में हैं. पुलिस-प्रशासन के भी अहम पदों पर बैठी महिला अफसर कोरोना और लॉकडाउन के समय अहम फैसले ले रही हैं. तमाम अस्पतालों में भी डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ में महिलाएं बड़ी भूमिका निभाते हुए कोरोना को मात देने में लगी हैं. इसके साथ ही स्वच्छता दीदियां भी जागरूक रहते हुए दूसरों को सुरक्षा दे रही हैं. बीते दिनों DSP शिल्पा साहू की गर्भवती होने के बाद भी लॉकडाउन में ड्यूटी देने की खबर काफी वायरल हुई थी. उन्होंने भी साफ कहा था कि लोग घरों में रहे इसलिए हम सड़कों पर उतरे हैं.
स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं
स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर महिला अफसर पदस्थ हैं. विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव रेणु जी पिल्ले हैं. सचिव का पद शहला निगार संभाल रही हैं. डॉक्टर प्रियंका शुक्ला विभाग के संयुक्त सचिव के साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर और राज्य टीकाकरण की कमान भी संभाल रही हैं. इनमें से शहला निगार को हाल ही में स्वास्थ्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है. रेणु जी पिल्ले और डॉक्टर प्रियंका शुक्ला साल भर से कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाली हुई हैं.
राजधानी में स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाल रहीं CMHO मीरा बघेल
रायपुर में कोरोना के हालात छिपे नहीं हैं. हर रोज यहां 15 सौ से ज्यादा कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. इसके साथ ही मौतों का आंकड़ा भी प्रदेश में सबसे ज्यादा है. ऐसे मुश्किल समय में CMHO मीरा बघेल स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाल रही हैं. मीरा बघेल काफी शांत लेकिन गंभीर विषयों पर तुरंत एक्शन लेने वाली ऑफिसर के रूप में जानी जाती हैं. खुद दो बार कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी मीरा राजधानी में कोरोना के हालातों पर नजर बनाए हुई हैं. इसके साथ ही लगातार लोगों को जागरूक रहने और कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने की अपील करती रहती हैं.
कोरोना वॉरियर्स DSP शिल्पा साहू की कर्तव्यनिष्ठा के कायल हैं विभाग के अफसर
प्रदेश के ज्यादातर विभागों की कमान महिलाओं के हाथों में
छत्तीसगढ़ प्रशासन में महिला IAS का दबदबा है. प्रदेश में स्वास्थ्य, कृषि, पंचायत और नगरीय प्रशासन विभाग से लेकर बजट की कमान इस वक्त नारी शक्ति के हाथों में हैं. राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साथ इतने विभागों की कमान महिला अफसरों को सौंपी गई है. कोरोना संक्रमण की वजह से स्वास्थ्य विभाग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण बनी हुई है और उनके खिलाफ जंग की कमान महिलाओं ने ही संभाल रखी है.
वित्त सचिव अलरमेल मंगई डी
वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण पदों पर नारी शक्ति इन दिनों मोर्चा संभाली हुई है. उन्होंने कहा कि महिला अफसर काफी अच्छी तरह से नेतृत्व करने के साथ ही किसी भी काम के क्रियान्वयन के लिए तुरंत फैसले भी ले रही है. वित्त सचिव अलरमेल मंगई डी ने काफी अच्छा बजट प्रदेश के लिए तैयार किया है. उन्होंने कहा कि ना केवल उच्च स्तर पर बल्कि ग्राउंड स्टाफ में भी नर्सेज और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर महिला स्टाफ काम कर रही हैं. सिक्योरिटी गार्ड और स्वच्छता दीदियां लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं.
वित्त विभाग में पहली बार महिला IAS अलरमेल मंगई डी
वित्त विभाग में भी राज्य में ऐसा पहली बार हुआ है जब इस महत्वपूर्ण विभाग की कमान महिला वित्त सचिव को मिली है. इस वक्त वित्त विभाग की सचिव अलरमेल मंगई डी हैं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी महिला को वित्त विभाग का सचिव बनाया गया है. वित्त सचिव के साथ ही वित्त डायरेक्टर जैसा महत्वपूर्ण पद भी महिला IAS शारदा वर्मा संभाल रही हैं.
रीना बाबा साहेब कंगाले महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव
छत्तीसगढ़ के महिला बाल विकास विभाग में भी महिला IAS अधिकारियों का दबदबा है. रीना बाबा साहेब कंगाले महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव हैं. दिव्या मिश्रा इस विभाग की डायरेक्टर है. ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ तीन महिलाएं इन महत्वपूर्ण पदों पर है. विभागीय मंत्री हमेशा से ही महिला ही रही है. लेकिन उनके साथ सचिव और डायरेक्टर पहली बार महिला अधिकारी काम कर रहे हैं.
कोरोना संक्रमण के दौर में इंसानियत की मिसाल पेश करते इन कोरोना वॉरियर्स को सलाम
मरीजों से भी घर परिवार की तरह करते हैं व्यवहार: सुरभि दुबे
प्रदेश के सबसे बड़े डॉ अंबेडकर अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे कहती हैं कि छत्तीसगढ़ इस मामले में काफी लकी है कि हमारे विभाग के सबसे ऊंचे पदों पर महिलाएं बैठी हैं. इसके साथ ही हॉस्पिटल में भी नर्सिंग स्टाफ और दूसरे मेडिकल स्टाफ में महिलाएं ही इस कोरोना काल में दिन भर काम कर ही हैं. इस समय अस्पतालों की हालत ये है कि 15-15 दिनों तक नर्सिंग स्टाफ बिना घर गए अस्पताल में रहकर काम कर रहा है. डॉ सुरभि दुबे कहती हैं कि इस समय महिलाएं घर हो या बाहर हर क्षेत्र में एक लीडिंग भूमिका अदा कर रही हैं.
'महीने भर परिवार से नहीं हो पाती थी बात'
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल की स्टाफ नर्स श्यामा देवी ने बताया कि इस कठिन परिस्थितियों में भी वे अपने घर-परिवार, बच्चे और बुजुर्ग मां-पिता को छोड़कर अस्पताल में रुककर सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा भी समय आया है कि महीने भर तक उनका परिवार से संपर्क नहीं हुआ है. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी इसकी शिकायत नहीं की. श्यामा देवी ने बताया कि कोरोना मरीजों की देखभाल के दौरान कई नर्सें कोरोना पॉजिटिव हुईं. लेकिन ठीक होने के बाद दोबारा फिर वे मरीजों की सेवा करने पहुंच गई हैं.
'मुश्किल समय है लेकिन क्या करें'
हेल्थ वर्कर कीर्ति सोनी बताती हैं कि अस्पताल में वे अपनी सुरक्षा का काफी ध्यान रखती हैं. अस्पताल में मरीजों की जिम्मेदारी के साथ ही घर में परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है. इस वजह से पूरी सुरक्षा के साथ वे कोरोना मरीजों की देखभाल करती हैं. कीर्ति ने बताया कि काफी मुश्किल समय है और वे हमेशा संक्रमण के बीच घिरी रहती हैं, जिससे उन्हें भी डर लगता है. लेकिन साफ-सफाई और खुद को सैनिटाइज कर वे इस डर को दूर भगाती हैं.
158 में 32 महिलाएं आईएएस
छत्तीसगढ़ में कुल 158 IAS हैं. इसमें 32 महिलाएं हैं. 23 महिला अफसर संयुक्त सचिव से ऊपर रैंक पर है. इनमें से 4 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है. एक चाइल्ड केयर लीव पर है जबकि एक बिना विभाग के मंत्रालय में है. एक महिला अफसर इंटरेस्टेड प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश में सेवाएं दे रही है.