रायपुर: आपको बता दें कि 25 दिसंबर तक इस मेले का आयोजन किया गया है. Womens made idols from paddy दंतेवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाके में भी महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है. वैसे तो बस्तर आर्ट की खूबसूरती के सभी कायल हैं. तो वहीं अब एक और कला सामने आई है. exhibit in Saras mela raipur जिसमें घर बैठे महिलाएं धान की बालियों से मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं. raipur news update
मूर्तियों को बनाने में 8 से 12 दिन लग जाते हैं: जानकारी के मुताबिक इन मूर्तियों को बनाने में करीब 8 से 12 दिन लग जाते हैं. वहीं भिन्न-भिन्न गांवों की महिलाएं मिलकर इसे बनाती हैं. इसके अतिरिक्त इस मूर्तियों में कीड़े न लगे और यह अधिक से अधिक समय तक चले इसका भी विशेष ध्यान रखा जाता है. मूर्तियों की वेराइटी की ओर देखा जाए तो गणेश जी, मां लक्ष्मी, देवी दुर्गा, भगवान जगन्नाथ, मां दंतेश्वरी आदि देवी देवताओं की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है.
आयोजन से कलाकारों को मिल रही मदद: बता दें कि ये महिलाएं ग्रामीण इलाके से आने के कारण अपनी कला को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में असमर्थ होती हैं. इसलिए इनकी ये कला अक्सर लोगों के आगे आ नहीं पाती. ऐसे में राज्य शासन द्वारा इस तरह के मेले के आयोजन से इन कलाकारों की काफी हद्द तक मदद हो जाती है. वहीं इनके आय के स्त्रोत में भी वृद्धि होती है. गौरतलब है कि समूह की लीडर जसविंदर कौर से बातचीत के दौरान पता चला कि इस काम में मेहनत काफी लग जाती है. लेकिन कमाई इतनी नहीं हो पाती. मेले में आने वाले लोग इसकी कीमत कम से कम देते हैं.
टेरा कोटा आर्ट से भी कलाकृति महिलाएं कर रहीं तैयार: वहीं महिलाएं टेरा कोटा अर्थात मिट्टी की बनी ज्वेलरी भी अपने स्टॉल में बिक्री कर रही हैं. टेरा कोटा आर्ट से बनी ज्वैलरी में गले में पहनने वाले नेकलेस, कानों के झुमके, हाथों के ब्रेसलेट जैसे ज्वेलरी का कलेक्शन स्टॉल में लगाया गया है.