रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बारी के तहत गौठानों से आमदनी शुरू हो गई है. बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक के अलग-अलग गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह वर्मी खाद बेचकर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. खेती-बाड़ी के इस मौसम में गौठनों में तैयार जैविक खाद की मांग बढ़ गई है. गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बना कर किसानों को बेच रही हैं.
शिवतराई गांव के गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन करने वाले महामाया महिला स्व-सहायता समूह ने एक दिन में 60 क्विंटल वर्मी खाद बेचकर 48 हजार रूपए की कमाई की है. इसी तरह से नेवसा गांव के गौठान में जय मां लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह ने 12 हजार रूपए और परसदा के गौठान में उत्पादित वर्मी खाद बेचकर 14 हजार रूपए से अधिक की कमाई महिलाओं ने की है.
पढ़ें:-EXCLUSIVE: बीजेपी ने 15 वर्षों में ग्रामोद्योग बोर्ड में नहीं किया कुछ काम- राजेन्द्र तिवारी
'गौधन न्याय योजना' की शुरुआत
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता को अपने हाथ में लेते ही जनता के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरू की हैं. जिसमें एक है नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी. इस महत्वकांक्षी योजना में 'गरवा' के अंतर्गत बनाए गए थे, गौठान. प्रदेश भर के गांव से लेकर शहरों तक में गौठान बनाए गए. प्रदेश सरकार अपनी इस योजना को लेकर काफी उत्साहित हैं. गौठान योजना के तहत मवेशियों को गौठानों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने 'रोका छेका' अभियान की शुरुआत की. किसानों और पशुपालकों से अपील की गई कि मवेशियों को खुला न छोड़ें. इस अभियान को जोर देने के लिए 'गौधन न्याय योजना' भी लाई गई है. जिसके जरिए सरकार ने गोबर खरीदने का काम शुरू करने की तैयारी कर रही है और गौठानों में सहभागी स्व-सहायता समूह की महिलाएं को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही है.