मंडला: मध्यप्रदेश में कमलनाथ जब सीएम थे,तब वे नसबंदी को लेकर एक आदेश लेकर आए थे. जिसको लेकर राज्य से लेकर केन्द्र तक बवाल मच गया था. जिसके बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार को उसी दिन शाम को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था. वहीं अभी अगर नसबंदी की बात करें तो मंडला जिले में नसबंदी को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां स्वास्थ्य विभाग ने टारगेट पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ से सैकड़ों महिलाओं को बुला लिया. जबकि कोरोना काल में 30 से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी पर रोक है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिछिया में महिलाओं की नसबंदी करने का फर्जीवाड़ा सामने आया है. स्वस्थ्य विभाग ने टारगेट पूरा करने के चलते नियमों को ताक पर रख सारी हदें पार कर दी. विभाग ने ना सिर्फ प्रदेश से बल्कि छत्तीसगढ़ से भी महिलाओं को नसबंदी के लिए बुलाया. साथ ही इस शिविर के दौरान न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना जरूरी समझा गया और न ही कोविड 19 की गाइडलाइन का पालन करना उचित समझा गया.
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कलेक्टर ने शिविर को स्थगित करने के दिए निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने छत्तीसगढ़ की महिलाओं की नसबंदी करने के लिए बिछिया सामुदायीयक केन्द्र में उन्हें भर्ती करा दिया गया. कोरोना काल में बिछिया स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कराने आई महिलाओं की भीड़ से कोरोना विस्फोट होने का डर है. वहीं मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला कलेक्टर ने शिविर को फौरन स्थगित करने के निर्देश दिए हैं.
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विधायक ने मामले की निंदा की
वहीं मामले पर बिछिया बीएमओ कुछ भी कहने से बचते नजर आए. जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीनाथ सिंह भी सामने नहीं आए. जब इस गंभीर मामले पर विधायक और चिकित्सक डॉक्टर अशोक मर्सकोले से बात की गई तो इन्होंने व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े किए. विधायक डॉक्टर मर्सकोले का कहना कि एक तो कोरोना काल में 30 से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी नहीं की जा सकती. वही दूसरे राज्यों की महिलाओं की नसबंदी करना न्याय संगत नहीं है.