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SPECIAL: कोरोना काल में कंगाली, 6 महीनों में 80 हजार लोगों ने EPF से निकाली रकम

मध्यमवर्गीय और मजदूर परिवारों के लिए PF सेविंग का एक जरिया है. पीएफ या EPF यानी 'कर्मचारी भविष्य निधि' यहां कर्मचारियों का पैसा सुरक्षित रहता है. जो रिटायरमेंट और नौकरी छोड़ने के समय कर्मचारियों को ब्याज सहित वापस मिलता है. कोरोना संकट काल में आर्थिक तंगी का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि लोग ईपीएफ फंड से रुपये निकालने को मजबूर हैं.

EPF funds become empty
EPF की तिजोरी हुई खाली
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Published : Sep 7, 2020, 10:20 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट काल में आर्थिक तंगी का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि इपीएफ फंड की तिजोरी हर दिन खाली हो रही है. आलम यह है कि पिछले 6 महीने के अंदर ही पीएफ निकालने वालों की संख्या 80 हजार के पार पहुंच चुकी है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने 25 मई से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी. जो लगभग ढाई महीने तक जारी रहा. इन ढाई महीनों में लगभग सभी व्यापार बंद रहे, कई लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा. लोगों का घर चलाना भी मुश्किल हो गया. इस दौरान कई लोगों ने अपने पीएफ के पैसे निकाले हैं.

6 महीनों में 80 हजार लोगों ने EPF से निकाले रुपये

कोरोना संकट काल में छत्तीसगढ़ में 6 महीनों में लगभग 80 हजार से ज्यादा लोगों ने पीएफ निकाला है और इस दौरान लगभग 42 करोड़ रुपये निकाले गए हैं. यानी हर दिन लगभग 23 लाख रुपए पीएफ फंड से खाली हुए हैं. ऑनलाइन आवेदनों की संख्या देखते हुए यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में पीएफ निकालने वालो की संख्या में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

मजबूरन निकालने पड़े पीएफ के पैसे

नौकरी पेशा लोगों की जॉब छूटने के बाद 4 से 6 महीने घर बैठने के हालात के बाद आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. प्रदेश में पीएफ तुड़वाने वालों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. इस बारे में जब ETV भारत में कुछ लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय से सभी कंपनियां बंद है. पिछले 4 से 6 महीने से वह घरों में बैठे हुए हैं. घर में पैसा नहीं आ रहा है, उन्होंने मजबूरन पीएफ से पैसे निकाले हैं.

पढ़ें-SPECIAL: कोरोना काल में ई-रिक्शा बनी चालकों के लिए वरदान, हो रही है अच्छी कमाई

मजदूरों का कहना है कि उन्होंने सोच रखा था कि बच्चे जब बड़े हो जाएंगे तो इन पीएफ के रुपयों से उनकी परवरिश करेंगे और अच्छे स्कूलों में उनको पढ़ाएंगे. लेकिन हालत इतनी खराब हो गई है कि घर चलाने तक के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में मजबूरन पीएफ के पैसे निकालने पड़ रहे हैं, ताकि घर चला सके. कुछ लोगों ने बताया घर में राशन लाने खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. ऐसे में बच्चों के भविष्य को देखते हुए पैसे रखे हुए थे उन्हें निकालना पड़ रहा है.

हर महीने लगभग 7 करोड़ रुपए निकाले गए

हालात को देखते हुए यह भी नहीं पता चल रहा कि कब कंपनियां चालू होंगी और हमें रोजगार मिलेगा. जो थोड़े बहुत पैसे घर में बचे हैं पीएफ से वह भी अब खत्म होने को है ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें. ईपीएफ के खाते में 6 महीने में निकाली गई राशि की गणना की जाए तो हर महीने लगभग 7 करोड़ रुपए निकाले गए. 6 महीने में हर दिन लगभग 23 लाख रुपए हितग्राहियों के खाते में डाले गए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब ईपीएफ के फंड में प्रत्येक दिन इतनी बड़ी राशि का ट्रांजैक्शन हुआ हो.

रायपुर: कोरोना संकट काल में आर्थिक तंगी का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि इपीएफ फंड की तिजोरी हर दिन खाली हो रही है. आलम यह है कि पिछले 6 महीने के अंदर ही पीएफ निकालने वालों की संख्या 80 हजार के पार पहुंच चुकी है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने 25 मई से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी. जो लगभग ढाई महीने तक जारी रहा. इन ढाई महीनों में लगभग सभी व्यापार बंद रहे, कई लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा. लोगों का घर चलाना भी मुश्किल हो गया. इस दौरान कई लोगों ने अपने पीएफ के पैसे निकाले हैं.

6 महीनों में 80 हजार लोगों ने EPF से निकाले रुपये

कोरोना संकट काल में छत्तीसगढ़ में 6 महीनों में लगभग 80 हजार से ज्यादा लोगों ने पीएफ निकाला है और इस दौरान लगभग 42 करोड़ रुपये निकाले गए हैं. यानी हर दिन लगभग 23 लाख रुपए पीएफ फंड से खाली हुए हैं. ऑनलाइन आवेदनों की संख्या देखते हुए यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में पीएफ निकालने वालो की संख्या में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

मजबूरन निकालने पड़े पीएफ के पैसे

नौकरी पेशा लोगों की जॉब छूटने के बाद 4 से 6 महीने घर बैठने के हालात के बाद आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. प्रदेश में पीएफ तुड़वाने वालों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. इस बारे में जब ETV भारत में कुछ लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय से सभी कंपनियां बंद है. पिछले 4 से 6 महीने से वह घरों में बैठे हुए हैं. घर में पैसा नहीं आ रहा है, उन्होंने मजबूरन पीएफ से पैसे निकाले हैं.

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मजदूरों का कहना है कि उन्होंने सोच रखा था कि बच्चे जब बड़े हो जाएंगे तो इन पीएफ के रुपयों से उनकी परवरिश करेंगे और अच्छे स्कूलों में उनको पढ़ाएंगे. लेकिन हालत इतनी खराब हो गई है कि घर चलाने तक के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में मजबूरन पीएफ के पैसे निकालने पड़ रहे हैं, ताकि घर चला सके. कुछ लोगों ने बताया घर में राशन लाने खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. ऐसे में बच्चों के भविष्य को देखते हुए पैसे रखे हुए थे उन्हें निकालना पड़ रहा है.

हर महीने लगभग 7 करोड़ रुपए निकाले गए

हालात को देखते हुए यह भी नहीं पता चल रहा कि कब कंपनियां चालू होंगी और हमें रोजगार मिलेगा. जो थोड़े बहुत पैसे घर में बचे हैं पीएफ से वह भी अब खत्म होने को है ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें. ईपीएफ के खाते में 6 महीने में निकाली गई राशि की गणना की जाए तो हर महीने लगभग 7 करोड़ रुपए निकाले गए. 6 महीने में हर दिन लगभग 23 लाख रुपए हितग्राहियों के खाते में डाले गए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब ईपीएफ के फंड में प्रत्येक दिन इतनी बड़ी राशि का ट्रांजैक्शन हुआ हो.

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