रायपुर: राजधानी रायपुर में दिवंगत पंचायत शिक्षकों की विधवाएं और उनके परिजन अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. पिछले 20 दिनों से खुले आसमान के नीचे धरना स्थल पर डटे हुए हैं. दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ की केवल 1 सूत्रीय मांग अनुकंपा नियुक्ति है. परिवार के मुखिया का निधन हो जाने के बाद दिवंगत की विधवाएं और उनके परिजनों का बुरा हाल है. विधवाओं और परिजनों को रोजी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कतें (protest for compassionate appointment in raipur) आ रही है. ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही लोगों से उनका हालचाल जाना. आइए जानते हैं, उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति को लेकर क्या कुछ कहा...
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केस 03: बेमेतरा जिले से आई हुई सरिता देशलहरे ने बताया कि "पति के चले जाने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है. उनके पति सहायक शिक्षक वर्ग 2 पर 2006 में पदस्थ थे. साल 2015 में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. पति की मौत हो जाने के बाद सास ससुर भी चल बसे. इसके साथ ही सरिता के मां-बाप भी चल बसे. कुछ दिनों तक सरिता को उनके जेठ और जेठानी का सहारा मिला. बाद में जेठ और जेठानी भी अलग रहने लगे. जिसके बाद से सरिता पूरी तरह से टूट गई. सरिता अपने बच्चों को रोजी मजदूरी करके पढ़ा रही है, लेकिन बच्चे आगे पढ़ना चाहते हैं. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण सरिता अपने दोनों बच्चों को भी नहीं पढ़ा पा रही है. सरिता का कहना है कि "सरकार जब सभी विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दे रही है, तो हम दिवंगत शिक्षक की विधवाओं को आखिर अनुकंपा नियुक्ति क्यों नहीं दे रही."
केस 04: रायगढ़ जिले से प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे दीपक पटेल ने बताया कि "उनके पिता सिरकी गांव के स्कूल में 1996 में पदस्थ हुए थे. 2007 में उनके पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई. जिसके बाद से घर की पूरी जिम्मेदारी बड़े बेटे दीपक पटेल पर आ गई. दीपक पटेल की आर्थिक स्थिति भी खराब हो चुकी है. सड़क हादसे में पिता की मौत होने के साथ ही उनकी मां और छोटे भाई को भी चोटें आई थी. दिवंगत शिक्षक के बड़े बेटे दीपक पटेल ने बताया कि "घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपने छोटे भाई को एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं करवा पा रहा है. हम सरकार से यही चाहते हैं कि उन्हें योग्यतानुसार अनुकंपा नियुक्ति दे दी जाए."
केस 05: बस्तर जिले से आई दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवा तुलसी मौर्य ने बताया कि "प्रदर्शन स्थल पर कोई भी सरकारी नुमाइंदा ना ही इनकी खोज खबर लेने आ रहा है और ना ही इन्हें अनुकंपा नियुक्ति मिल रही है." विधवा तुलसी मौर्य ने बताया कि "उनके पति की नौकरी शिक्षा विभाग में 2009 में बड़े किलेपाल में लगी थी. स्वास्थ्य खराब होने के कारण साल 2015 में पति की मौत हो गई. जिसके बाद से घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है." उन्होंने बताया कि "अपने बच्चे और सास की परवरिश दूसरे के घरों में कपड़े, झाड़ू पोंछा और बर्तन साफ करके घर परिवार चला रही है."
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केस 06: दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ की प्रदेश अध्यक्ष माधुरी मृगे ने बताया कि "प्रदेश में कुछ ऐसे दिवंगत पंचायत शिक्षक के विधवा और परिजन हैं, जिनको सरकार ने साल 2018 संविलियन की पूर्व अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी है. ऐसे में उन्हें भी अनुकंपा नियुक्ति दी जाए." आगे उन्होंने बताया कि "संबंधित जिले के जनपद सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही मंत्रालय द्वारा कुछ ऐसे लोगों को, जो आर्थिक रूप से संपन्न है, उन्हें अनुकंपा नियुक्ति चोरी छुपे दे दी है." जिसको लेकर माधुरी मृगे ने आक्रोश जताया है और कहा कि "हम गरीब और लाचार हैं. जिसके कारण सरकार हमें अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे रही है."
अनुकंपा नियुक्ति को लेकर मापदंड कठिन: सरकार के द्वारा दिवंगत पंचायत शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता बीएड, डीएड और टीईटी की परीक्षा देनी होगी. जिसके आधार पर ही उनको अनुकंपा नियुक्ति मिल सकेगी. सरकार द्वारा कठिन मापदंड तय किए गए हैं, जिसके चलते उन्हें आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. दिवंगत पंचायत शिक्षक के आश्रित परिवारों के पास दो वक्त की रोजी रोटी के साथ ही परिवार पालने के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में डीएड बीएड और टीईटी की परीक्षा कहां से देंगे.
जिन शिक्षाकर्मियों का संविलियन हुआ, उनके परिजनों को मिली अनुकंपा नियुक्ति: प्रदेश सरकार ने 1 जुलाई 2018 को शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया था. ऐसे परिवार के मुखिया का निधन होने पर उनके आश्रितों को सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति दे दी है. साल 2006 से 2018 के बीच जितने पंचायत शिक्षकों के निधन हुए हैं. उनके आश्रितों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन आश्रित परिवारों को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है.
प्रदेश में करीब 935 दिवंगत पंचायत शिक्षक के हैं परिजन: पूरे प्रदेश में लगभग 935 दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाएं और बच्चें हैं, जो अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि डीएड बीएड और टीईटी की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए सभी दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को उनके शैक्षणिक योग्यता के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी या फिर सहायक शिक्षकों, प्रयोगशाला शिक्षक के पदों और ग्राम पंचायत सचिव के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए. जिससे वे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.