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जानें : स्मार्टफोन की बैटरी डाउन होते ही आपका दिमाग क्यों हो जाता है बेचैन - साइकोलॉजिस्ट की मोबाइल पर राय

स्मार्टफोन को लेकर ETV भारत ने शहर के युवाओं और इसके प्रभाव के बारे में साइकोलॉजिस्ट से बातचीत की. क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट और युवा आप भी सुनिए.

स्मार्टफोन
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Published : Sep 23, 2019, 11:52 PM IST

रायपुर: आज के मॉडर्न और टेक्निकल युग में हर इंसान अपने सभी कामों के लिए स्मार्टफोन पर ही निर्भर होता जा रहा है. स्मार्टफोन हर किसी की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन ये जितना उपयोगी है, उतना ही हानिकारक भी.

देखें वीडियो

संचार, मनोरंजन, परिवहन, पेमेंट एप्स सहित और कई तकनीकों से संबंधित कामों के लिए स्मार्टफोन की जरूरत आज काफी बढ़ गई है. यही वजह है कि मोबाइल की बैटरी डाउन होते ही लोगों में बेचैनी बढ़ जाती है.

मोबाइल की बैटरी जब कम होने लगती है और आदमी के पास चार्जर और पावर बैंक नहीं होता, तो लोगों के बर्ताव और बेहवियर में भी चेंज आने लगता है. वह अपने आपको तनाव में महसूस करने लगता है और उनकी खुद की एनर्जी भी डाउन होने लगती है और वह सोचने लगते हैं कि जल्दी से जल्दी किसी ऐसी जगह पहुंचे जहां वह अपना मोबाइल चार्ज कर सके.

साइकोलॉजिस्ट से ETV भारत की खास बातचीत
इसी सिलसिले में ETV भारत ने राजधानी रायपुर के मशहूर साइकोलॉजिस्ट जेसी अजवानी से बात की और इसके हानिकारक पहलुओं के बारे में बताया.

  • उन्होंने कहा कि, 'मोबाइल का लगातार इस्तेमाल ऐसी आदत को जन्म देती है, जो लोगों के लिए काफी खतरनाक है. लगातार मोबाइल का इस्तमाल करने से जीवन में तनाव बढ़ जाता है और परिवार में भी दूरियां बढ़ने लगती है.'
  • उन्होंने कहा कि, 'लोग एक दूसरे से बात करने के दौरान काफी कुछ एक दूसरे से शेयर करते हैं, जो फोन कट हो जाने के बाद भी उनके दिमाग में चलता रहता है और कई बार यही उनके जीवन में तनाव बढ़ाने लगता है.'
  • साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि, 'मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से हमारी सोच और काम करने और जीवन जीने के तरीके में काफी बदलाव आता है. पहले हम दूरी और समय के बारे में किलोमीटर वह घंटे के हिसाब से सोचा करते थे पर अब सोचते हैं कि हमारे मोबाइल में कितनी बैटरी है जो हमारे पहुंचने वाली जगह तक चल सकती है या नहीं.'

ETV भारत ने की युवाओं से बात

  • जब ETV भारत ने इस बारे में युवाओं से बात की, तो उन्होंने सबसे पहले ये बताया कि वो रोज सुबह उठकर सबसे पहले अपने मोबाइल को देखते हैं और तमाम सोशल मीडिया एप्लीकेशन खोलकर स्क्रोल करते हैं और देखते हैं कहीं कोई मैसेज आया है या नहीं.
  • जब उनसे पूछा गया कि उनको सुबह-सुबह मोबाइल देखने की आदत कैसे पड़ी, तो बताया कि रात में मोबाइल का इस्तेमाल कर सोने से एक इच्छा जागती है कि कहीं सुबह कोई मैसेज का रिप्लाई आया होगा या सोशल मीडिया पर कोई नई फोटो या वीडियो अपलोड हुई है या नहीं, यही ललक उन्हें रोज सुबह मोबाइल देखने पर मजबूर करती है.
  • युवाओं ने बताया की मोबाइल की बैटरी कम हो जाने पर उनके बिहेवियर में काफी चेंज आते हैं और वह अपने आप को तनाव में महसूस करते हैं और सोचने लगते हैं कब जल्द से जल्द हम मोबाइल को फुल चार्ज कर पाएंगे.

पढ़ें-सलाम, लोकतंत्र को जिंदा और उसमें विश्वास बनाए रखने का हौसला देती हैं ये दो तस्वीरें

कितना हानिकारक है स्मार्टफोन
स्मार्टफोन अपने में ही एंटरटेनमेंट का एक भरपूर साधन है, जिसके इस्तेमाल से आप अपना टाइम पास कर सकते हैं. साथ ही दूसरों से चैटिंग करना, टीवी देखना, बातें करना, पेमेंट करना इस तरह के किसी भी काम को आसानी से आपका स्मार्टफोन कर सकता है.

  • यही कारण है कि आज का युवा ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट फोन की तरफ चले जा रहे हैं और छोटी उम्र में ही बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने लग जाते हैं, जिससे सिर्फ उनकी आंखों को नहीं बल्कि उनके शरीर पर भी काफी प्रभाव पड़ता है.
  • मोबाइल इस्तेमाल के समय जो रेडियो फ्रीक्वेंसी मोबाइल से निकलती है उससे बच्चों के शरीर पर काफी हानिकारक असर पड़ता है, जिससे जल्दी बीमार होने का खतरा बना रहता है.
  • ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से और मोबाइल देखते रहने से बच्चों के दिमाग और आंखों पर भी असर पड़ता है और उनका दिमाग स्लो हो जाता है और आंखें कमजोर हो जाती है.

रायपुर: आज के मॉडर्न और टेक्निकल युग में हर इंसान अपने सभी कामों के लिए स्मार्टफोन पर ही निर्भर होता जा रहा है. स्मार्टफोन हर किसी की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन ये जितना उपयोगी है, उतना ही हानिकारक भी.

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संचार, मनोरंजन, परिवहन, पेमेंट एप्स सहित और कई तकनीकों से संबंधित कामों के लिए स्मार्टफोन की जरूरत आज काफी बढ़ गई है. यही वजह है कि मोबाइल की बैटरी डाउन होते ही लोगों में बेचैनी बढ़ जाती है.

मोबाइल की बैटरी जब कम होने लगती है और आदमी के पास चार्जर और पावर बैंक नहीं होता, तो लोगों के बर्ताव और बेहवियर में भी चेंज आने लगता है. वह अपने आपको तनाव में महसूस करने लगता है और उनकी खुद की एनर्जी भी डाउन होने लगती है और वह सोचने लगते हैं कि जल्दी से जल्दी किसी ऐसी जगह पहुंचे जहां वह अपना मोबाइल चार्ज कर सके.

साइकोलॉजिस्ट से ETV भारत की खास बातचीत
इसी सिलसिले में ETV भारत ने राजधानी रायपुर के मशहूर साइकोलॉजिस्ट जेसी अजवानी से बात की और इसके हानिकारक पहलुओं के बारे में बताया.

  • उन्होंने कहा कि, 'मोबाइल का लगातार इस्तेमाल ऐसी आदत को जन्म देती है, जो लोगों के लिए काफी खतरनाक है. लगातार मोबाइल का इस्तमाल करने से जीवन में तनाव बढ़ जाता है और परिवार में भी दूरियां बढ़ने लगती है.'
  • उन्होंने कहा कि, 'लोग एक दूसरे से बात करने के दौरान काफी कुछ एक दूसरे से शेयर करते हैं, जो फोन कट हो जाने के बाद भी उनके दिमाग में चलता रहता है और कई बार यही उनके जीवन में तनाव बढ़ाने लगता है.'
  • साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि, 'मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से हमारी सोच और काम करने और जीवन जीने के तरीके में काफी बदलाव आता है. पहले हम दूरी और समय के बारे में किलोमीटर वह घंटे के हिसाब से सोचा करते थे पर अब सोचते हैं कि हमारे मोबाइल में कितनी बैटरी है जो हमारे पहुंचने वाली जगह तक चल सकती है या नहीं.'

ETV भारत ने की युवाओं से बात

  • जब ETV भारत ने इस बारे में युवाओं से बात की, तो उन्होंने सबसे पहले ये बताया कि वो रोज सुबह उठकर सबसे पहले अपने मोबाइल को देखते हैं और तमाम सोशल मीडिया एप्लीकेशन खोलकर स्क्रोल करते हैं और देखते हैं कहीं कोई मैसेज आया है या नहीं.
  • जब उनसे पूछा गया कि उनको सुबह-सुबह मोबाइल देखने की आदत कैसे पड़ी, तो बताया कि रात में मोबाइल का इस्तेमाल कर सोने से एक इच्छा जागती है कि कहीं सुबह कोई मैसेज का रिप्लाई आया होगा या सोशल मीडिया पर कोई नई फोटो या वीडियो अपलोड हुई है या नहीं, यही ललक उन्हें रोज सुबह मोबाइल देखने पर मजबूर करती है.
  • युवाओं ने बताया की मोबाइल की बैटरी कम हो जाने पर उनके बिहेवियर में काफी चेंज आते हैं और वह अपने आप को तनाव में महसूस करते हैं और सोचने लगते हैं कब जल्द से जल्द हम मोबाइल को फुल चार्ज कर पाएंगे.

पढ़ें-सलाम, लोकतंत्र को जिंदा और उसमें विश्वास बनाए रखने का हौसला देती हैं ये दो तस्वीरें

कितना हानिकारक है स्मार्टफोन
स्मार्टफोन अपने में ही एंटरटेनमेंट का एक भरपूर साधन है, जिसके इस्तेमाल से आप अपना टाइम पास कर सकते हैं. साथ ही दूसरों से चैटिंग करना, टीवी देखना, बातें करना, पेमेंट करना इस तरह के किसी भी काम को आसानी से आपका स्मार्टफोन कर सकता है.

  • यही कारण है कि आज का युवा ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट फोन की तरफ चले जा रहे हैं और छोटी उम्र में ही बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने लग जाते हैं, जिससे सिर्फ उनकी आंखों को नहीं बल्कि उनके शरीर पर भी काफी प्रभाव पड़ता है.
  • मोबाइल इस्तेमाल के समय जो रेडियो फ्रीक्वेंसी मोबाइल से निकलती है उससे बच्चों के शरीर पर काफी हानिकारक असर पड़ता है, जिससे जल्दी बीमार होने का खतरा बना रहता है.
  • ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से और मोबाइल देखते रहने से बच्चों के दिमाग और आंखों पर भी असर पड़ता है और उनका दिमाग स्लो हो जाता है और आंखें कमजोर हो जाती है.
Intro:आज के दौर में जहां लोगो को अपने लिए समय नहीं मिल पाता है वहीं मोबाइल ऐसा डेविस हे जिससे आप आराम से किसी से भी जुड़े रेह सकते हो पर जितना ये लोगो के लिए फायदेमंद है उतना ही नुकसान जनक भी । आज स्मार्टफोन हर किसी की जीवन शैली का एक अहम हिस्सा बन गया है। संचार मनोरंजन ,परिवहन ,पेमेंट एप्स सहित अन्य एप्स और तकनीकों से संबंधित कामों के लिए स्मार्टफोन की जरूरत आज काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि मोबाइल की बैटरी डाउन होते ही लोगों में एक बेचैनी सी बढ़ जाती है।

Body:
स्मार्टफोन अपने में ही एंटरटेनमेंट का एक भरपूर साधन है जिसके इस्तेमाल से आप अपना टाइम पास कर सकते हैं साथ ही दूसरों से चैटिंग, टीवी देखना, बातें करना, पेमेंट करना, बॉडी बिल्डिंग के लिए टिप्स लेना, योगा सीखना किसी भी तरह का काम आसानी से आपका स्मार्टफोन कर सकता है यही कारण है कि लोग और युवा ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट फोन की तरफ से चले जाते हैं और छोटी उम्र में ही बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने लग जाते हैं जिससे सिर्फ उनकी आंखों को नहीं बल्कि उनके शरीर पर भी काफी प्रभाव पड़ता है मोबाइल इस्तेमाल के समय जो रेडियो फ्रीक्वेंसी मोबाइल से निकलती है उसके बच्चों के शरीर पर काफी हानिकारक असर पढ़ते हैं जिससे वह जल्दी बीमार हो जाते हैं। ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से और मोबाइल देखते रहने से बच्चों के दिमाग पर और आंखों पर भी असर पड़ता है और उनका दिमाग स्लो हो जाता है और आंखें कमजोर हो जाता है। मोबाइल की बैटरी जॉब कम होने लगती है और आदमी के पास चार्जर और पावर बैंक नहीं होता तो लोगों के बर्ताव और बेहवियर में भी चेंज आने लगते हैं वह अपने आपको तनाव मैं महसूस करने लगते हैं और उनकी एनर्जी भी डाउन होने लगती है और वह सोचने लगते हैं कि जल्दी से जल्दी किसी ऐसी जगह पहुंचे जहां वह अपने मोबाइल को चार्ज कर सके।

Conclusion:इसी सिलसिले में जब हमने रायपुर के मशहूर साइकोलॉजिस्ट जे सी अजवानी से बात की तो उन्होंने बताया की मोबाइल का लगातार इस्तेमाल बहुत बड़े आदत को जन्म देती है जो लोगों के लिए काफी खतरनाक है लगातार मोबाइल का इस्तमाल करने से जीवन में तनाव बढ़ जाते हैं और परिवारों में भी दूरियां बढ़ जाती। लोग एक दूसरे से बात करने के दौरान काफी कुछ एक दूसरे से शेयर करते हैं जो फोन कट हो जाने के बाद भी उनकी दिमाग में चलता रहता है और वह उनके जीवन मैं तनाव बढ़ाने लगता है। साइकोलॉजिस्ट जे सी अज्वानी जी ने बताया कि मोबाइल के जादा इस्तमाल से हमारी सोच और तरीके में काफी बदलाव आता हैं। पहले हम दूरी और समय के बारे में किलोमीटर वह घंटे के हिसाब से सोचा करते थे पर अब सोचते हैं कि हमारे मोबाइल में कितनी बैटरी है जो हमारे पहुंचने वाली जगह तक चल सकती है या नहीं।


जब हमने इस बारे में युवाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि रोज सुबह उठकर सबसे पहले अपने मोबाइल को देखते हैं और फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम खोलकर स्क्रोल करते हैं और देखते हैं कहीं कोई मैसेज आया है या नहीं। जब उनसे पूछा गया कि उनको सुबह-सुबह मोबाइल देखने की आदत कैसे पड़ी तो उन्होंने बताया कि रात को मोबाइल का इस्तेमाल करके सोने से एक इच्छा जागती है कि कहीं सुबह कोई मैसेज का रिप्लाई या कुछ नई फोटो या वीडियो फेसबुक में अपलोड हुई है या नहीं यही ललक उन्हें रोज सुबह मोबाइल देखने पर मजबूर करती है। युवाओं ने बताया की मोबाइल की बैटरी कम हो जाने पर उनके बिहेवियर में काफी चेंज आते हैं और वह अपने आप को तनाव में महसूस करते हैं और सोचने लगते हैं कब जल्द से जल्द हम मोबाइल को फुल चार्ज कर पाएंगे।

बाइट :- साइकोलॉजिस्ट जे सी अजवानि
बाइट :- कार्तिक तीवाई (युवा)सफेद ब्लू लाइन
बाइट :- प्रिवांशु सिंह(युवा)सफेद शर्ट
बाइट :- सोनू साहू(युवा) ब्लू चेक
बाइट :- सूरज देव(युवा)रेड टीशर्ट

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
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