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Rakshabandan 2022 : अशुभ मुहूर्त में क्यों नहीं बंधवानी चाहिए राखी ?

रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन इस दिन शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाना बेहद जरुरी होता है.क्योंकि अशुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने से भाईयों के ऊपर संकट आ सकता (Why Rakhi should not be tied in inauspicious time) है.

auspicious time to tie Rakhi
अशुभ मुहूर्त में क्यों नहीं बंधवानी चाहिए राखी ?
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Published : Aug 2, 2022, 6:24 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 6:23 PM IST

रायपुर : रक्षाबंधन ( Rakshabandan 2022 ) का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम निश्चल संबंधों और रक्षा के वचनबद्ध होने का पर्व है. प्रेम के साथ बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा का महापर्व है. सनातन परंपरा में इस पर्व का विशेष महत्व है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह मनाया जाता है. इस पर्व में मौली धागे का प्रयोग बहुत ही शुभ माना जाता है. सभी बहनों भाइयों को मौली धागा बांधकर प्रतिज्ञाबद्ध करती हैं. अपनी सुरक्षा हेतु भाइयों को प्रेरित करती हैं. 11 अगस्त 2022 श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व आयुष्मान योग ववकरण सौम्य सोम में योग और मकर राशि के चंद्रमा में मनाया जाएगा. यह पर्व भाई बहनों के पवित्र प्रेम और संबंधों के नवीनीकरण का पर्व है. इसी बहाने घर में पारिवारिक मिलना जुलना उठना बैठना और खानपान का आयोजन होता (Why Rakhi should not be tied in inauspicious time ) है.

अशुभ मुहूर्त में क्यों नहीं बंधवानी चाहिए राखी ?
कब है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त : ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "रक्षाबंधन के दिन सुबह 10:38 से भद्रा का प्रवेश होगा. अतः सुबह के समय 10:38 के पहले ही राखी बनवाना बहुत शुभ होगा. रात्रि कालीन 8:52 के बाद भद्रा की निवृत्ति होगी. उसके बाद राखी बांधना उत्तम (auspicious time to tie Rakhi ) होगा. इसके साथ ही बीच में अभिजीत मुहूर्त की बेला में जो कि सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा. इस 48 मिनट के काल में भी रक्षाबंधन को बांधना और मनाना बहुत शुभ रहेगा. यह पर्व मूलतः बलीराजा और भगवान विष्णु के आत्मीय संबंधों पर आधारित है. इसमें विशिष्ट मंत्र के द्वारा बहने अपने भाई से रक्षा की प्रतिज्ञा करवाती है. यह पर्व लाल पीले मौली धागा का पर्व (auspicious time of rakshabandhan) है."कैसे मनाए रक्षाबंधन : आज के दिन सनातन परंपरा का अनुसरण कर इस पर्व को मनाया जाना चाहिए.अनेक स्थानों पर आचार्य और विद्वानजनों के यहां भी कई स्थानों पर विद्वान पंडितों के यहां भी पहुंचकर लोग रक्षा सूत्र बंधवाते हैं. आज के दिन बहनें थाली में रोली, चंदन, दीपक, नारियल, धूप, अगरबत्ती, मिठाई, फल और फूल सजाकर अपने भाइयों की पूजा करती हैं. पूजा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भाई और बहन दोनों के ही सिर में रुमाल या पवित्र कपड़ा हो. यहां पर हमारे संस्कारों को निभाए जाने का पर्व है.वसुधैव कुटुंबकम की धारणा का पर्व : आज के दिन बहने भाइयों के घर जाकर उनकी पसंद की चीजें खिलाने के साथ उनकी आरती उतारती हैं. बदले में भाई बहन को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार प्रदान करते हैं. इस शगुन से आपसी प्रेम स्नेह और संबंधों का नवीनीकरण होता है. रक्षाबंधन का पर्व हमारे वसुधैव कुटुंबकम की भावना को बल प्रदान करता है. इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पूर्ण भद्रा काल में राखी नहीं बंधवानी चाहिए. रात्रि को 8:52 के उपरांत भी समय मिलने पर राखी बंधवाई जा सकती है. अन्यथा सुबह 10:38 तक मुहूर्त बहुत ही सर्वश्रेष्ठ है. शुभ चौघड़िया में भी राखी बंधवाना परमयोग कारक माना गया है. अमरनाथ यात्रा की होगी समाप्ति : रक्षाबंधन के दिन से ही अमरनाथ यात्रा का समापन होता है. झूलन यात्रा समाप्त होती है. रक्षाबंधन के पवित्र दिन उत्कल प्रांत में बलभद्र पूजन किया जाता है. संपूर्ण श्रावण मास वेद पुराण उपनिषद गीता शिवपुराण को सुनने का महीना माना गया है. आज ही के दिन इन कथाओं की समापन करने की परंपरा रही है. संपूर्ण श्रावण मास शुभ शिव पूजन और भक्ति में बिताने का पर्व है. आज के दिन बहने यदि पूजा के पूर्व शिवलिंग में जाकर अभिषेक जलाभिषेक करती हैं. तो यह बहुत शुभ माना गया है. आज के शुभ दिन शिव चालीसा शिव तांडव स्त्रोत्र रुद्राष्टकम लिंगाष्टकम का पाठ करना परिवार के साथ भजन करना बहुत ही शुभप्रद परिणाम देने वाला होता है.

रायपुर : रक्षाबंधन ( Rakshabandan 2022 ) का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम निश्चल संबंधों और रक्षा के वचनबद्ध होने का पर्व है. प्रेम के साथ बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा का महापर्व है. सनातन परंपरा में इस पर्व का विशेष महत्व है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह मनाया जाता है. इस पर्व में मौली धागे का प्रयोग बहुत ही शुभ माना जाता है. सभी बहनों भाइयों को मौली धागा बांधकर प्रतिज्ञाबद्ध करती हैं. अपनी सुरक्षा हेतु भाइयों को प्रेरित करती हैं. 11 अगस्त 2022 श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व आयुष्मान योग ववकरण सौम्य सोम में योग और मकर राशि के चंद्रमा में मनाया जाएगा. यह पर्व भाई बहनों के पवित्र प्रेम और संबंधों के नवीनीकरण का पर्व है. इसी बहाने घर में पारिवारिक मिलना जुलना उठना बैठना और खानपान का आयोजन होता (Why Rakhi should not be tied in inauspicious time ) है.

अशुभ मुहूर्त में क्यों नहीं बंधवानी चाहिए राखी ?
कब है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त : ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "रक्षाबंधन के दिन सुबह 10:38 से भद्रा का प्रवेश होगा. अतः सुबह के समय 10:38 के पहले ही राखी बनवाना बहुत शुभ होगा. रात्रि कालीन 8:52 के बाद भद्रा की निवृत्ति होगी. उसके बाद राखी बांधना उत्तम (auspicious time to tie Rakhi ) होगा. इसके साथ ही बीच में अभिजीत मुहूर्त की बेला में जो कि सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा. इस 48 मिनट के काल में भी रक्षाबंधन को बांधना और मनाना बहुत शुभ रहेगा. यह पर्व मूलतः बलीराजा और भगवान विष्णु के आत्मीय संबंधों पर आधारित है. इसमें विशिष्ट मंत्र के द्वारा बहने अपने भाई से रक्षा की प्रतिज्ञा करवाती है. यह पर्व लाल पीले मौली धागा का पर्व (auspicious time of rakshabandhan) है."कैसे मनाए रक्षाबंधन : आज के दिन सनातन परंपरा का अनुसरण कर इस पर्व को मनाया जाना चाहिए.अनेक स्थानों पर आचार्य और विद्वानजनों के यहां भी कई स्थानों पर विद्वान पंडितों के यहां भी पहुंचकर लोग रक्षा सूत्र बंधवाते हैं. आज के दिन बहनें थाली में रोली, चंदन, दीपक, नारियल, धूप, अगरबत्ती, मिठाई, फल और फूल सजाकर अपने भाइयों की पूजा करती हैं. पूजा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भाई और बहन दोनों के ही सिर में रुमाल या पवित्र कपड़ा हो. यहां पर हमारे संस्कारों को निभाए जाने का पर्व है.वसुधैव कुटुंबकम की धारणा का पर्व : आज के दिन बहने भाइयों के घर जाकर उनकी पसंद की चीजें खिलाने के साथ उनकी आरती उतारती हैं. बदले में भाई बहन को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार प्रदान करते हैं. इस शगुन से आपसी प्रेम स्नेह और संबंधों का नवीनीकरण होता है. रक्षाबंधन का पर्व हमारे वसुधैव कुटुंबकम की भावना को बल प्रदान करता है. इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पूर्ण भद्रा काल में राखी नहीं बंधवानी चाहिए. रात्रि को 8:52 के उपरांत भी समय मिलने पर राखी बंधवाई जा सकती है. अन्यथा सुबह 10:38 तक मुहूर्त बहुत ही सर्वश्रेष्ठ है. शुभ चौघड़िया में भी राखी बंधवाना परमयोग कारक माना गया है. अमरनाथ यात्रा की होगी समाप्ति : रक्षाबंधन के दिन से ही अमरनाथ यात्रा का समापन होता है. झूलन यात्रा समाप्त होती है. रक्षाबंधन के पवित्र दिन उत्कल प्रांत में बलभद्र पूजन किया जाता है. संपूर्ण श्रावण मास वेद पुराण उपनिषद गीता शिवपुराण को सुनने का महीना माना गया है. आज ही के दिन इन कथाओं की समापन करने की परंपरा रही है. संपूर्ण श्रावण मास शुभ शिव पूजन और भक्ति में बिताने का पर्व है. आज के दिन बहने यदि पूजा के पूर्व शिवलिंग में जाकर अभिषेक जलाभिषेक करती हैं. तो यह बहुत शुभ माना गया है. आज के शुभ दिन शिव चालीसा शिव तांडव स्त्रोत्र रुद्राष्टकम लिंगाष्टकम का पाठ करना परिवार के साथ भजन करना बहुत ही शुभप्रद परिणाम देने वाला होता है.
Last Updated : Aug 10, 2022, 6:23 PM IST
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