रायपुर: बरसात आते ही डॉग बाइट यानी कुत्ते के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस मौसम ने कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं. जिसके कारण डॉग बाइट के केस बढ़ते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष 18 हजार से 20 हजार लोगों की मौत रेबीज इंफेक्शन की वजह से होती है. वहीं दुनिया भर में करीब 59 हजार लोगों की जान रेबीज इंफेक्शन की वजह से जाती है. 90 फीसदी रेबीज संक्रमण कुत्ते के काटने के कारण फैलता है. सबसे ज्यादा मौत भी कुत्ते के काटने के कारण फैले संक्रमण से होती है.
रायपुर बैरन बाजार पशु चिकित्सालय (Raipur Baron Bazar Veterinary Hospital) की डॉक्टर किरण चौधरी के मुताबिक बारिश के मौसम में डॉग अक्सर एग्रेसिव हो जाते हैं. इसका एक महत्वपूर्ण कारण बारिश का सीजन डॉग्स का मीटिंग सीजन (Beware of dogs) होता है. इस समय उनके हारमोंस में चेंजेस changes in hormones आते हैं. इसलिए इस सीजन में कुत्ते बहुत ज्यादा एग्रेसिव हो जाते हैं. बारिश के दौरान डॉग के साथ छेड़छाड़ से वह चिड़चिड़ा हो जाते हैं और लोगों को काटना और दौड़ाना शुरू कर देते हैं. हालांकि इससे बचने के कुछ उपाय हैं. जैसे जो घरों में डॉग्स पालते हैं, उनका प्रॉपर वैक्सीनेशन कराया जा सकता है. इससे अलावा स्ट्रीट डॉग्स से दूर रहकर खुद को डॉग्स बाइट से बचाया जा सकता है.
रायपुर में हर महीने डॉग बाइट के 180 से 200 केस
रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉक्टर आरएल खरे बताते हैं. 180 से 200 के आसपास डॉग बाइट के शिकार पेशेंट हर महीने आते हैं. इसमें सीजनल वेरिएशन भी होता है. जैसे-जैसे मौसम बदलता है, अक्सर बरसात के समय या ठंडी के समय जब कुत्तों की टेंडेंसी थोड़ी ज्यादा हो जाती है. कई बार ऐसा होता है कि एक ही दिन में 5-10 डॉग बाइट के केसेस देखने को मिलते हैं. कई बार एक दिन में 30-40 मरीज भी डॉग बाइट के आ जाते हैं. एवरेज 180 केस हर महीने आ जाते हैं.
किस तरह की जाती है डॉग बाइट की ग्रेडिंग
डॉक्टरों के मुताबिक थोड़ा सा खरोंच पैर में होता है, उसे माइल्ड कैटेगरी में रखा जाता है. ऐसे में उन्हें एंटी रेबीज का इंजेक्शन anti rabies injection दिया जाता है. अगर कुत्ते हाथ या छाती के ऊपर फेस पर एक से ज्यादा बार काटता है. ऐसे में उन्हें रैबिज हीमोग्लोबिन इंजेक्शन देने की आवश्यकता पड़ती है, जो कि हाई पावर इंजेक्शन होते हैं. रेबीज के दोनों इंजेक्शन इन दिनों रायपुर के अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. कई बार रायपुर के बाहर गांव से कुछ लोग आते हैं, जो बंदर के काटने से घायल होते हैं. कई बार बियर बाइट के मामले भी होते हैं. ये सभी केस डेंजर बाइट में आती है, इसलिए ऐसे केस में रेबिज हीमोग्लोबिन इंजेक्शन लोगों को लगाना पड़ता है.
कब लगा सकते हैं एंटी रेबीज इंजेक्शन ?
0 दिन
1 दिन
7 दिन
14 दिन
28 दिन
कुत्ता काटने के बाद तत्काल एंटी रेबीज टीकाकरण कराना जरूरी
कुत्ता जो पहले से चार पांच लोगों को काट चुका हो या इंसानों के बिना छेड़े वह कुत्ता लोगों को लगातार काट रहा हो यह इंडिकेशन बताता है कि कुत्ते में रेबीज के लक्षण हैं. उसको लोगों को नजर अंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए और तत्काल अस्पताल जाकर इंजेक्शन लगवाना चाहिए. क्योंकि एक बार रेबिज हो गया तो उसका इलाज मुश्किल हो जाता है. यह 100 फीसदी जानलेवा बीमारी है. इसलिए टीकाकरण कुत्ता काटने के बाद कराना बहुत ही आवश्यक है.
पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है इंजेक्शन
मेकाहारा अस्पताल में 180 पेशेंट हर महीने आते हैं. इसके लिए अस्पताल के पास हमेशा कम से कम 2000 इंजेक्शन उपलब्ध रहते हैं. यानी 1 साल का इंजेक्शन हमेशा अस्पताल में उपलब्ध रहता है. रेबीज हीमोग्लोबिन भी अस्पताल के पास भरपूर मात्रा में उपलब्ध है, जो मेकाहारा अस्पताल में पेशेंट के लिए मुफ्त है.
क्या डॉग बाइट में एज मैटर करती है ?
डॉक्टरों के मुताबिक डॉग बाइट के बाद ऐज मैटर नहीं करती है. हां इंजेक्शन के डोज की मात्रा कम ज्यादा रहती है. बच्चों में डोज की मात्रा कम रहती है, लेकिन सभी को इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. हालांकि, डॉग ने कहां काटा है यह ज्यादा मैटर करता है. हाथ या छाती के ऊपर जब एक कुत्ता काटता है तो वह ज्यादा गंभीर मामला हो जाता है. इसमें तुरंत इंजेक्शन देने की जरूरत होती है, क्योंकि धीरे-धीरे बीमारी दिमाग की नसों तक आती है जो कि खतरनाक है गंभीर है.