रायपुर: छत्तीसगढ़ में धर्म पर राजनीति को लेकर दोनों प्रमुख दल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. भाजपा सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर रही है तो वहीं कांग्रेस के लोग सुंदरकांड पढ़ रहे हैं. प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोलते हुए बजरंग दल की भी अपनी रणनीति है. कई जिलों में प्रदर्शन के साथ ही वो भी हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं.
भाजपा के पास नहीं हैं मुद्दे-कांग्रेस: कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सुशील आंनद शुक्ला का कहना है कि "भारतीय जनता पार्टी के पास जब जन सरोकार के मुद्दे नहीं होते हैं तब वह धर्म के पीछे छुप कर राजनीति करती है. जो लोग जनता के मुद्दे नहीं उठा सकते जो लोग रोटी कपड़ा मकान जैसे मुद्दो पर बात नहीं कर सकते, जो लोग किसानों की समस्या पर बात नहीं करते, बेरोजगारी से जुड़ी, महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर बात करने का इनका साहस नहीं है. ऐसे लोग धर्म की बातें करते हैं. हिंदू मुस्लिम की बात करते हैं. यह भारतीय जनता पार्टी का पुराना चरित्र है. जनता इनके चरित्र को समझ चुकी है."
भाजपा के पास नहीं है मुद्दों की कमी: बीजेपी प्रवक्ता नलनिश ठोकने का कहना है कि "पिछली बार कर्नाटक में जो कांग्रेस की पार्टी आई थी तब पीएफआई पर बैन लगा था उस केस को कांग्रेस पार्टी ने वापस लिया था. अब जब भारत सरकार ने पीएफआई पर बैन लगाया तो इन्हें बहुत बुरा लगा. इसी के काउंटर में इन्होंने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कही है. भारतीय जनता पार्टी धर्म को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाते हमारे पास अन्य मुद्दे भी हैं. छत्तीसगढ़ में 600 किसानों ने आत्महत्या की है. लंबे समय से भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई थी अभी भर्ती देना इन्होंने शुरू किया है. इन्होंने ₹2500 बेरोजगारी भत्ता देने की बात की है जो कि अभी टोकन के रूप में यह तीन महीना देंगे उसके बाद ही चले जाएंगे."
धर्म को लेकर राजनीति ठीक नहीं : धर्म के जानकार अजय भानसिंह का कहना है कि "जिस तरह से रोटी कपड़ा मकान शरीर के भौतिक आवश्यकता है, उसी तरह से उसकी आत्मीय आवश्यकता के लिए धर्म आस्था होती है. धर्म पर या धार्मिक मुद्दों को आधार बनाकर कोई अपनी रोटियां सेंके या उसमें राजनीति करे यह ठीक नहीं है. लेकिन भारत में तात्कालिक परिस्थितियां ऐसी है कि लोगों के बीच अलगाव, झगड़ा, द्वेष पैदा किया जा रहा है और यह जानबूझ किया जा रहा है. इसमें भारत की राजनीतिक पार्टियों से ज्यादा योगदान अंतरराष्ट्रीय लोगों का है जो नहीं चाहते कि भारत में सामुदायिक सामंजस्य की स्थिति हो."