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जन गण मन: 'सत्यमेव जयते' और छत्तीसगढ़ के बीच क्या है नाता

'सत्यमेव जयते' हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य, मूल आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है. मुंडकोपनिषद की रचना मण्डू ऋषि ने की थी. उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी. मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा.

What is the relationship between 'Satyamev Jayate' and Chhattisgarh in raipur
'सत्यमेव जयते' के रचनाकार मण्डू ऋषि
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Published : Jan 25, 2020, 7:44 PM IST

रायपुर: 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार हुए भारतीय संविधान के निर्माण की यात्रा बहुत रोचक रही है. अगर हम अपने संविधान से जुड़ी कहानियों और किस्सों को सुनें, तो वे बड़े रोचक लगते हैं. जैसे- संविधान को अंग्रेजी और हिन्दी में किसने लिखा और फीस के तौर पर क्या लिया. संविधान की प्रति पर चित्र किसने बनाए, संविधान बनाने में कितनी महिलाओं का योगदान रहा. ऐसी ही एक और रोचक जानकारी हम आपको देते हैं कि हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहां से आया है और इसका छत्तीसगढ़ से क्या संबंध है.

सत्यमेव जयते' और छत्तीसगढ़ के बीच क्या है नाता

'सत्यमेव जयते' हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है सत्य की सदैव ही विजय होती है. यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित है. 'सत्यमेव जयते' सारनाथ में 250 ईसा पूर्व सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सिंह स्तंभ के शिखर से लिया गया है लेकिन मूल आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है.

मुण्डकोपनिषद से लिया गया वाक्य
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः। येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत्‌ सत्यस्य परमं निधानम्‌ ।।

मण्डू ऋषि ने की थी मुंडकोपनिषद की रचना
मुंडकोपनिषद की रचना मण्डू ऋषि ने की थी. पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में पुरातात्विक खुदाई की गई तो पता चला है कि इस उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी. मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा.

पढ़ें- गणतंत्र दिवस समारोह देखने जाने से पहले देख लें पार्किंग और रूट चार्ट

सत्य के पथ पर चलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा
इतिहासकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में स्थित अलग-अलग रियासतों में इस तरह के आदर्श सूचक वाक्यों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और दर्शन कितने उच्च स्थान पर था.

सत्य की सदैव विजय हो यही हमारे संविधान का मूल मंत्र है. गणतंत्र दिवस के मौके पर हम सभी को इस आदर्श वाक्य के मुताबिक सत्य की राह पर आगे बढ़ने का प्रण लेना चाहिए.

रायपुर: 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार हुए भारतीय संविधान के निर्माण की यात्रा बहुत रोचक रही है. अगर हम अपने संविधान से जुड़ी कहानियों और किस्सों को सुनें, तो वे बड़े रोचक लगते हैं. जैसे- संविधान को अंग्रेजी और हिन्दी में किसने लिखा और फीस के तौर पर क्या लिया. संविधान की प्रति पर चित्र किसने बनाए, संविधान बनाने में कितनी महिलाओं का योगदान रहा. ऐसी ही एक और रोचक जानकारी हम आपको देते हैं कि हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहां से आया है और इसका छत्तीसगढ़ से क्या संबंध है.

सत्यमेव जयते' और छत्तीसगढ़ के बीच क्या है नाता

'सत्यमेव जयते' हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है सत्य की सदैव ही विजय होती है. यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित है. 'सत्यमेव जयते' सारनाथ में 250 ईसा पूर्व सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सिंह स्तंभ के शिखर से लिया गया है लेकिन मूल आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है.

मुण्डकोपनिषद से लिया गया वाक्य
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः। येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत्‌ सत्यस्य परमं निधानम्‌ ।।

मण्डू ऋषि ने की थी मुंडकोपनिषद की रचना
मुंडकोपनिषद की रचना मण्डू ऋषि ने की थी. पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में पुरातात्विक खुदाई की गई तो पता चला है कि इस उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी. मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा.

पढ़ें- गणतंत्र दिवस समारोह देखने जाने से पहले देख लें पार्किंग और रूट चार्ट

सत्य के पथ पर चलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा
इतिहासकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में स्थित अलग-अलग रियासतों में इस तरह के आदर्श सूचक वाक्यों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और दर्शन कितने उच्च स्थान पर था.

सत्य की सदैव विजय हो यही हमारे संविधान का मूल मंत्र है. गणतंत्र दिवस के मौके पर हम सभी को इस आदर्श वाक्य के मुताबिक सत्य की राह पर आगे बढ़ने का प्रण लेना चाहिए.

Intro:सत्यमेव जयते और छत्तीसगढ़ के बीच में क्या है संबंध !

रायपुर । सत्यमेव जयते हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है जिसका अर्थ है सत्य की सदैव ही विजय होती है यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित है क्या आप जानते हैं कि संस्कृत का वाक्य कहां से आया है भारतीय संविधान के 70 साल पूरा होने के मौके पर हम राष्ट्र मंत्र के बारे में कुछ खास जानकारी देंगे साथी बताएंगे कि दुनिया को सच के मार्ग पर चलने की सीख देने वाला यह बात पर छत्तीसगढ़ से क्या संबंध है




Body:सत्यमेव जयते सारनाथ में 250 ईसा पूर्व सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सिंह स्तंभ के शिखर से लिया गया है लेकिन मूल उसे आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।

सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः। येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत्‌ सत्यस्य परमं निधानम्‌ ।।

मुंडकोपनिषद् की रचना मण्डू ऋषि ने की थी पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ पुरातात्विक खुदाई की गई इसमें पता चला है कि इस उपनिषद की रचना महर्षि मण्डू ने बिलासपुर के नजदीक शिवनाथ नदी पर स्थित मदकू द्वीप पर की थी। मण्डू ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम मदकू द्वीप पड़ा ।
बाइट :- अरुण शर्मा , पुरातत्ववेत्ता

इतिहासकार बताते हैं कि छत्तीसगढ में स्थित अलग-अलग रियासतों में इस तरह के आदर्श सूचक वाक्यों का इस्तेमाल किया जाता रहा है इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और दर्शन कितने उच्च स्थान पर था ।
बाइट:- रविंद्र नाथ मिश्र, इतिहासकार
(चश्मा लगाए कुर्ता पहने हुए व्यक्ति)




Conclusion:सत्यमेव जयते आज भी मानव जगत की सीमा निर्धारित करता है सत्य की सदैव विजय हो यही हमारे संविधान का मूल मंत्र है गणतंत्र दिवस की स्थापना के जश्न के मौके पर हम सभी को इस आदर्श वाक्य के मुताबिक सत्य की राह पर आगे बढ़ने का प्रण लेना चाहिए ।
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