ETV Bharat / state

टीएस सिंहदेव की चुप्पी के आखिर क्या हैं मायने ?

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के सीएम का घमासान मचा हुआ है. इस बीच सिंहदेव ने मीडिया में यह कहकर सबको चौंका दिया कि उन्हें चुप रहने की सलाह दी गई है. आखिर जानते हैं कि सिंहदेव की चुप्पी के क्या मायने हैं.

Two-and-a-half-year-old CM's tussle
ढाई-ढाई साल के सीएम का घमासान
author img

By

Published : Aug 31, 2021, 10:45 PM IST

रायपुर: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सोमवार की शाम अचानक दिल्ली रवाना हुए और उसके बाद मंगलवार की रात रायपुर लौट आए. उनकी यह यात्रा कहीं ना कहीं ढाई ढाई साल के फॉर्मूले और कप्तान परिवर्तन को लेकर चर्चा में रही. सोमवार को जाते समय भी सिंहदेव ने मीडिया से दूरी बना रखी थी और जब मंगलवार की देर शाम वापस रायपुर लौटे तो उस दौरान भी उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा. रायपुर लौटने के बाद सिंहदेव ने सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी दिल्ली में किसी भी बड़े नेता से मुलाकात नहीं हुई है.

सिंहदेव के बयान के राजनीति मायने

हालांकि टीएस सिंहदेव दबी जुबान में यह जरूर कहते नजर आए कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें शांत रहने की सलाह दी है. बाबा का यह बयान कई मायनों में राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करता है.वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का मानना है कि हो ना हो वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हाईकमान की ओर से बाबा को चुप रहने की नसीहत दी गई है. क्योंकि यदि वर्तमान परिस्थिति में छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई साल के फॉर्मूले या फिर कप्तान बदलने को लेकर फिर से चर्चा होती है तो, इसका असर देश के अन्य राज्यों में भी पड़ सकता है. इससे कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है और हो सकता है इसी डैमेज कंट्रोल के लिए सिंहदेव को चुप्पी साधने की नसीहत हाईकमान की ओर से दी गई हो.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

रामअवतार तिवारी का यह भी कहना है कि जिस तरह से पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंत्री विधायकों के साथ दिल्ली पहुंचे और एकजुटता दिखाई. इससे साफ जाहिर होता है कि वे हाईकमान को मैसेज देना चाहते थे कि, उनके साथ प्रदेश के सभी मंत्री विधायक हैं और यही कारण है कि हाईकमान ने भी वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ में किसी भी परिवर्तन के निर्णय को फिलहाल टाल दिया है. हालांकि यह मामला अभी शांत नहीं हुआ है रह रहकर यह जरूर छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना रहेगा.

कई सवालों को जन्म दे रहा सिंहदेव का बयान

बता दें कि जिस तरह से अचानक सोमवार को टीएस बाबा का दिल्ली जाना हुआ. उससे तो लग रहा था मानो कि हाईकमान या फिर कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने उन्हें बुलाया है और हो ना हो ढाई ढाई साल के फॉर्मूले या फिर कप्तान परिवर्तन को लेकर रायशुमारी होगी. लेकिन दिल्ली से वापस लौटने के बाद बाबा का यह कहना कि उनकी दिल्ली में किसी भी बड़े नेता से बात नहीं हुई है. यह बयान कई सवालों को जन्म देता है. अब देखने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में कप्तान परिवर्तन का मुद्दा क्या रंग लाता है.

रायपुर: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सोमवार की शाम अचानक दिल्ली रवाना हुए और उसके बाद मंगलवार की रात रायपुर लौट आए. उनकी यह यात्रा कहीं ना कहीं ढाई ढाई साल के फॉर्मूले और कप्तान परिवर्तन को लेकर चर्चा में रही. सोमवार को जाते समय भी सिंहदेव ने मीडिया से दूरी बना रखी थी और जब मंगलवार की देर शाम वापस रायपुर लौटे तो उस दौरान भी उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा. रायपुर लौटने के बाद सिंहदेव ने सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी दिल्ली में किसी भी बड़े नेता से मुलाकात नहीं हुई है.

सिंहदेव के बयान के राजनीति मायने

हालांकि टीएस सिंहदेव दबी जुबान में यह जरूर कहते नजर आए कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें शांत रहने की सलाह दी है. बाबा का यह बयान कई मायनों में राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करता है.वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का मानना है कि हो ना हो वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हाईकमान की ओर से बाबा को चुप रहने की नसीहत दी गई है. क्योंकि यदि वर्तमान परिस्थिति में छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई साल के फॉर्मूले या फिर कप्तान बदलने को लेकर फिर से चर्चा होती है तो, इसका असर देश के अन्य राज्यों में भी पड़ सकता है. इससे कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है और हो सकता है इसी डैमेज कंट्रोल के लिए सिंहदेव को चुप्पी साधने की नसीहत हाईकमान की ओर से दी गई हो.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

रामअवतार तिवारी का यह भी कहना है कि जिस तरह से पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंत्री विधायकों के साथ दिल्ली पहुंचे और एकजुटता दिखाई. इससे साफ जाहिर होता है कि वे हाईकमान को मैसेज देना चाहते थे कि, उनके साथ प्रदेश के सभी मंत्री विधायक हैं और यही कारण है कि हाईकमान ने भी वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ में किसी भी परिवर्तन के निर्णय को फिलहाल टाल दिया है. हालांकि यह मामला अभी शांत नहीं हुआ है रह रहकर यह जरूर छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना रहेगा.

कई सवालों को जन्म दे रहा सिंहदेव का बयान

बता दें कि जिस तरह से अचानक सोमवार को टीएस बाबा का दिल्ली जाना हुआ. उससे तो लग रहा था मानो कि हाईकमान या फिर कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने उन्हें बुलाया है और हो ना हो ढाई ढाई साल के फॉर्मूले या फिर कप्तान परिवर्तन को लेकर रायशुमारी होगी. लेकिन दिल्ली से वापस लौटने के बाद बाबा का यह कहना कि उनकी दिल्ली में किसी भी बड़े नेता से बात नहीं हुई है. यह बयान कई सवालों को जन्म देता है. अब देखने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में कप्तान परिवर्तन का मुद्दा क्या रंग लाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.